अजेन्द्र अजय

आपातकाल : जब सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को ठेंगे पर रख दिया गया!

वर्ष 1975 में आज के ही दिन सत्ता के कुत्सित कदमों ने देश में लोकतंत्र को कुचल दिया था और लोकतंत्र के इतिहास में यह एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। लोकतंत्र के चारों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व प्रेस पर घोषित व अघोषित पहरा बैठा दिया गया। लोकतंत्र को ठेंगे पर रखकर देश को आपातकाल की गहरी खाई में धकेलने के पीछे महज किसी भी

मोदी सरकार की दो रेल परियोजनाएं जो उत्तराखंड के लिए युगांतरकारी सिद्ध होंगी

रेलवे लाइन के निर्माण के बाद उत्तराखंड जहां परिवहन कनेक्टविटी की दृष्टि से लंबी छलांग लगा सकेगा, वहीं पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के लिए आवागमन का एक सुलभ व सस्ता साधन उपलब्ध हो सकेगा। रेल यातायात शुरू होने पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की दूरी, जिसे पूरा करने में सड़क मार्ग से लगभग 6 घंटे का समय लगता है, वो मात्र 2 घंटे में पूरी हो सकेगी। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े उत्तराखंड में इस परियोजना का सामरिक कारणों से बेहद महत्व है।

अरुण जेटली : भारतीय राजनीति के एक दूरदर्शी, सुधारवादी और सौम्य नेता का जाना

अब तक के अपने राजनीतिक जीवन में मुझे अनेक वरिष्ठ राजनेताओं से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है। मगर मुझे सर्वाधिक प्रभावित किसी ने किया है, तो वह अरुण जेटली जी थे। वर्ष 2003-04 के आसपास मुझे उत्तराखंड भाजपा में प्रदेश सह-मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी मिली थी।

‘निर्मला सीतारमण ने बजट को भारतीय परम्पराओं से जोड़ने की एक कामयाब कोशिश की है’

निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने के साथ देश में वर्षों पुरानी एक परंपरा को भी तोड़ डाला। अंग्रेजों के समय से तत्कालीन वित्त मंत्री चमड़े के ब्रीफकेस में बजट दस्तावेज लेकर पहुंचते थे। मगर निर्मला सीतारमण लाल मखमली कपड़े में बजट दस्तावेजों को रख कर संसद पहुंचीं।

आयुष्मान भारत योजना से प्रेरित होकर उत्तराखंड सरकार ने भी की स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी पहल

स्वतंत्रता के पश्चात देश में सरकारों ने आम आदमी को केंद्र में रखकर तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कीं और कई नारे दिए। मगर ज्यादातर सरकारों की नीति और नीयत साफ ना होने के कारण तमाम योजनाएं ढकोसला ही साबित हुई हैं। इन योजनाओं ने आम आदमी के बजाय योजनाकारों को ही लाभ पहुंचाया और उनकी संपन्नता में बढ़ोतरी की।

उत्तराखंड : खली का शो आयोजित करने वाले क्या समझेंगे इन्वेस्टर्स समिट का अर्थ?

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का क्रिकेट स्टेडियम अब तक दो मेगा शो का गवाह बन चुका है। पहला आयोजन वर्ष 2016 के फरवरी महीने में हुआ था। ‘द ग्रेट खली रिटर्न्स मेगा शो’ के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ऐसे प्रचार किया, मानो यह प्रदेश की तकदीर बदल देगा। मेगा शो को सफल बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने अपनी पूरी ताकत

राफेल के रूप में राहुल गांधी ने जो आग लगाई है, वो कांग्रेस के ही हाथ जलाएगी!

लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने आनन-फानन में राफेल के रूप में ऐसी आग सुलगाने का दुष्प्रयास किया है, जिसमें उनके व कांग्रेस के हाथ झुलसने के अलावा कुछ और परिणाम निकलता नहीं दिख रहा है। राफेल को लेकर राहुल के आरोपों में कितनी गंभीरता है, इसको समझने के लिए भारी-भरकम तथ्यों की आवश्यकता नहीं है।

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार का भ्रष्टाचार पर अबतक का सबसे बड़ा वार!

उत्तराखंड में एक चर्चा आम होती है कि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों की सर्पाकार, ऊंची चोटियों व खतरनाक ढलान वाली सड़कों में भले ही वाहन फर्राटे नहीं भर पाते हों। मगर इस नवगठित राज्य का माहौल भ्रष्टाचारियों के लिए एक्सप्रेसवे की तरह साबित होता है। जहां वह तूफानी गति से दौड़तें हैं और किसी प्रकार की दुर्घटना अथवा जोखिम से मुक्त रहते हैं।

मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे जलपुरुष को कुछ सवाल हरीश रावत से भी पूछने चाहिए !

इसे महज संयोग कहा जाए या सब कुछ पूर्व निर्धारित। जल पुरुष राजेंद्र सिंह 4 जुलाई को पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पत्रकारों से बातचीत करते हैं। पत्रकारों को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम पर बुलाया जाता है और फिर उस प्रेस कांफ्रेंस में रावत के साथ जलपुरुष भी प्रकट होते हैं।

‘इन एक्सप्रेसवे पर फर्राटे भरते हुए आप मोदी सरकार के आधुनिक भारत से रूबरू हो सकते हैं’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई को जो दो दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे व ईस्टर्न पेरिफेरल (पूर्वी परिधीय) एक्सप्रेसवे राष्ट्र को समर्पित किए, उनकी गिनती देश में अब तक निर्मित एक्सप्रेसवे की भांति नहीं की जा सकती है। यह दोनों एक्सप्रेसवे स्मार्ट और हाईटेक सुविधाओं से युक्त हमारी इंजीनियरिंग की मिसाल भी हैं। इन एक्सप्रेसवे पर फर्राटे भरते हुए देश के नागरिक मोदी सरकार के