आयुष आनंद

अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक है अपराध के खात्मे का ‘योगी मॉडल’ !

किसी भी आबादी में समाज और सभ्यता की शुरुआत तब से मानी जा सकती है जब वहां उस समाज के सदस्यों के द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों का अच्छे-बुरे में वर्गीकरण होने लगता है। कुछ हरकतों को समाज वर्ज्य घोषित कर देता है एवं इन्हें समाज की अवधारणा और स्थायित्व के लिए खतरा मान लिया जाता है। ऐसा करने पर कठोर सज़ा का प्रावधान भी समाज द्वारा किया जाता है एवं इसे अपराध बोला जाता है।

सेक्युलर बुद्धिजीवियों की नजर में शायद संघ-भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या माफ़ है !

उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की हत्या को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीते होंगे कि अब कर्नाटक में भाजपा के एक दलित कार्यकर्ता की हत्या उसी मानसिकता ने कर दी है, जिसके लिए चंदन के हत्यारे दोषी हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की राजनीति किसी भी मायने में साम्य नही रखती, परंतु जब एक सम्प्रदाय विशेष के सामूहिक व्यवहार और

वामपंथी हिंसा का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता आनंद, पी. विजयन के शासन में चौदहवीं हत्या

केरल में राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध पिन्नाराई सरकार की शह पर वामपंथियों के द्वारा लगातार की जा रही घात-प्रतिघात की राजनीति के विरुद्ध भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में चली जनरक्षा यात्रा को अभी 1 महीने भी नहीं पूरे हुए थे कि संघ का एक और स्वयंसेवक फिर से वामपंथियों की रक्तरंजित राजनीति का शिकार हो गया है। त्रिसूर जिले के अंतर्गत नेन्मेनिक्करा निवासी संघ के कार्यकर्ता आनंद (26) की हत्या

सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी

सीपीएम कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे – हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर, सिर काट लेंगे !

ताज़ा घटना दिनांक 30 अप्रैल की है जब संघ के एक नवनिर्मित सेवा केंद्र को कन्नूर में उद्घाटन के महज २४ घंटों के अन्दर ही वामपंथी गुंडों के द्वारा तहस नहस कर दिया गया। इस केंद्र का शुभारम्भ जे नन्द कुमार जी ने किया था। रात्रि के तीसरे पहर में हुए आक्रमण में कार्यालय के अन्दर रखी सारी वस्तुएं तोड़ डाली गयीं; खिड़कियाँ, दरवाजे एवं ईमारत में लगे शीशे तोड़ डाले गए। भवन की बाहरी

लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए भाजपा नेता रवींद्रनाथ

अभी सी.पी.एम. के कार्यकर्ताओं के हाथों केरल भाजपा के युवा कार्यकर्ता निर्मल (20) की हत्या के एक सप्ताह भी नहीं बीते कि यहाँ एक और भाजपा नेता की मौत मार्क्सवादी हिंसा में हो गयी है। भाजपा के कडकल पंचायत समिति के अध्यक्ष एवं सेवानिव्रित पुलिस इंस्पेक्टर रवींद्रनाथ (58) दिनांक 2 फ़रवरी को मार्क्सवादियों के घातक हमले में घायल हो गए थे। उनके सर पर गंभीर चोटें आई थीं। इस चोट के कारण

केरल में नहीं थम रही संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रति वामपंथी हिंसा, फिर हुई हत्या

केरल में पिनाराई विजयन के नेतृत्व में चल रही वाम गठबंधन की सरकार अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा की जा रही हिंसा पर लगाम लगाने में लगातार नाकामयाब हो रही है। अपितु हिंसा और दमन का चक्र अब इस ओर इशारा करने लगा है कि सी.पी.एम. के शीर्ष नेताओं के शह पर ही ये घटनाएं हो रही हैं। दिनांक 13 फ़रवरी को अहले सुबह चार – साढ़े चार बजे के करीब भाजपा युवा मोर्चा के 20 वर्षीय कार्यकर्ता की हत्या

लाल आतंक : कन्नूर में वामपंथी हिंसा ने ली आरएसएस स्वयंसेवक संतोष की जान

सी.पी.एम. शासित केरल के कन्नूर जिले में दिनांक 18 जनवरी 2017 की रात को हुए ताज़ा हिंसा में एक और स्वयंसेवक संतोष (५२) की जान चली गयी है। इसी हिंसा में एक और स्वयंसेवक रंजित की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। यह ताज़ा हिंसा केरल के निवर्तमान मुख्यमंत्री पी विजयन के चुनावी क्षेत्र धर्मादम में हुई है। सी.पी.एम. के आक्रमणकारी दस्ते ने आरएसएस स्वयंसेवक एवं बीजेपी कार्यकर्ता संतोष पर

लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा के शिकार बने भाजपा कार्यकर्ता सी. राधाकृष्णन

जी हाँ ! 291, अब तक केरल में सन 1969 से संघ और जनसंघ/भाजपा के कुल 291 कार्यकर्ता मारे गए हैं उनमें से 228 केवल वामपंथी हिंसा के शिकार बन चुके हैं । केरल के कन्जिकोड, पालाघाट के एक सामान्य से भाजपा कार्यकर्ता, चदयनकलायिल राधाकृष्णन का नाम वामपंथियों द्वारा किये जा रहे राजनैतिक हत्याओं की फेहरिश्त में 6 जनवरी 2017 को जुड़ गया । राधाकृष्णन केरल में राजनैतिक शहादत को

हिंसा और दमन के जरिये राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करना है वामपंथ का असल चरित्र

केरल हमेशा से राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात रहा है। आये दिन वहां राजनीतिक दलों के आम कार्यकर्ता इन हिंसा के शिकार हो रहे हैं। केरल में अक्सर हर तरह की राजनीतिक हिंसा में अक्सर एक पक्ष मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ही होती आई है| चाहे आज़ादी के पहले त्रावनकोर राज्य के विरुद्ध एलप्पी क्षेत्र में अक्टूबर 1946 को हुआ कम्युनिस्टों का हिंसक पुन्नापरा-वायलर विद्रोह हो, जिसमें हजारों की तादाद