आयुष आनंद

नकदी के जाल से निकलकर डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने का समय

लेखक अमिष त्रिपाठी की तीन खण्डों में शिव की एक काल्पनिक कहानी है, जो सोमरस नामक अमरता देने वाले द्रव्य की कथा है। यह एक अमृत था, परन्तु इस अमृत के दुष्प्रभाव भी थे, जिसको वहां के राजा दक्ष प्रजा से छुपा रहे थे। जिस तरह समुद्र मंथन में अमृत के साथ विष भी निकला, उसी तरह इस अमृत की निर्माण प्रक्रिया में इसके साथ-साथ विष भी बनता था। इस कहानी में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वो यह कि

सांसद आदर्श ग्राम योजना से ग्रामीण स्तर पर हो रहे व्यापक बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर सरकार की तरफ से काफी जोर-शोर से पहल की गई है। प्रधानमंत्री स्वयं इस सम्बन्ध में अक्सर सांसदों से अपील करते रहे हैं। इस योजना को लेकर सरकार की इन प्रतिबद्धताओं का जमीनी स्तर पर भी काफी असर देखने को मिल रहा है। इस योजना द्वारा ग्रामीण स्तर पर आ रहे बदलावों को इन उदाहरणों के जरिये समझा जा सकता है।

सांसद आदर्श ग्राम योजना : ग्रामीण विकास की दिशा में एक सार्थक पहल

दिनांक 11 अक्टूबर 2014 को मोदी जी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का मकसद वर्ष 2016 तक प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में एक आदर्श ग्राम की स्थापना एवं वर्ष 2019 तक इन आदर्श ग्रामों की संख्या बढ़ाते हुए तीन तक करने की है। फिर इन पांच वर्षों में इस क्षेत्र में हुए क्षमता विकास की मदद से आगामी पांच वर्षों में यानी की 2024 तक पांच और गाँव को आदर्श ग्राम की तरह विकसित

शहीदों के राष्ट्र-निर्माण के स्वप्न को पूर्ण करने में ही है आज़ादी की सार्थकता!

भारत आज अपनी आजादी की 70 वीं सालगिरह मना रहा है। लाल किले पर तिरंगा फहर चुका है । सन् 1947 को आज ही के दिन भारत ने लगभग 200 वर्षों की अंग्रेजी दासता के बंधनों को तोड़ कर आजादी का प्रथम सूर्योदय देखा था। आजादी के इस आंदोलन में कितनी शहादतें हुई, ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। देश के हर गांव के ही आस-पास ऐसी कई कहानियां होगी, जिनसे हम आज भी अनजान हैं।