डॉ दिलीप अग्निहोत्री

‘हिन्दू चिंतन-दर्शन का अलग रूप है, तो यह हिन्दुओं के जीवन में दिखना भी चाहिए’

भारतीय चिंतन व ज्ञान में विश्व कल्याण की कामना समाहित रही है। तलवार के बल पर अपने मत के प्रचार की इसमें कोई अवधारणा ही नहीं है। सवा सौ वर्ष पहले स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में भारतीय संस्कृति के इस मानवतावादी स्वरूप का उद्घोष किया था। यह ऐतिहासिक भाषण शिकागो की पहचान से जुड़ गया। इसकी एक सौ पच्चीसवीं जयंती पर शिकागो में विश्व

टू प्लस टू वार्ता : भारत-अमेरिका संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा कॉमकासा समझौता!

अमेरिका से टू प्लस टू प्लस वार्ता करने वाला भारत तीसरा देश है। इससे पूर्व उसकी इस स्तर की वार्ता केवल आस्ट्रेलिया और जापान से थी। यह प्रयोग सफल रहा। दोनों देशों के बीच कॉमकासा करार हुआ। नाटो देशों के अलावा केवल तीन देशों के साथ अमेरिका का यह समझौता है।  ‘कॉमकासा’ अर्थात कम्युनिकेशंस एंड इन्फॉर्मेशन ऑन सिक्युरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट

कांग्रेस के ‘फोन लोन’ से गरीबों के लिए कल्याणकारी मोदी के पोस्ट पेमेंट बैंक तक

आजादी के सात दशक बाद भी देश के करोड़ो लोग बैंकिंग सुविधा से दूर थे। एक बड़ी आबादी ने बैक को भीतर से देखा तक नहीं था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही इस ओर ध्यान दिया और जनधन योजना के माध्यम से कुछ ही समय में तीस करोड़ से ज्यादा लोग खातेदार बन गए। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैक  इसका अगला चरण है।

यूपी अनुपूरक बजट : एकबार फिर स्पष्ट हुआ योगी सरकार का विकासपरक दृष्टिकोण

राजव्यवस्था का संचालन बजट पर निर्भर होता है। विधि निर्माताओं से बजट पर गंभीर विचार विमर्श की अपेक्षा रहती है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि पूर्ण बजट हो या अनुपूरक बजट। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान विपक्ष की उदासीनता दिखाई दी। फिर भी सरकार अपने मकसद में सफल रही। उसने प्रदेश के विकास को गति देने का

क्या पाकिस्तान की भारत विरोधी बिसात का मोहरा बने सिद्धू?

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा पर लग रहे कुछ कयास चौकाने वाले हैं। कहा जा रहा कि सिद्धू न कभी इमरान के स्तर के खिलाड़ी रहे, न ही वह उनके दोस्तों की फेहरिस्त में शुमार है, लेकिन इमरान ने उन्हें बुलाया तो ये यूँ ही नहीं है। इमरान को पता था कि  सुनील गावस्कर, कपिल देव आदि निजी दोस्ती की जगह अपने राष्ट्रीय सम्मान को महत्व देंगे। इसके

क्या राहुल गांधी ने दुनिया में देश की छवि खराब करने का जिम्मा ले रखा है?

पहले राहुल गांधी अक्सर गोपनीय विदेश यात्राओं पर निकल जाते थे। कोई नहीं जानता था कि वह कहाँ गए हैं, उनका कोई बयान भी नहीं आता था। बताया जाता कि वह चिंतन-मनन के लिए अज्ञातवास पर गए हैं। लेकिन लम्बा समय बिताकर जब उनकी वापसी होती तो भी कोई फर्क दिखाई नहीं देता था। फिर भी विदेश में उनका कुछ न बोलना देश के लिए राहत की बात

सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा का बचाव कर कांग्रेस शहीदों के अपमान के सिवा और क्या कर रही है?

सिद्धू का पाकिस्तान जाना और मणिशंकर अय्यर की कांग्रेस में वापसी एक ही समय पर हुई। इसी से कांग्रेस के वर्तमान  वैचारिक आधार का अनुमान लगाया जा सकता है। अय्यर ने पाकिस्तान जाकर कभी जयचंद की याद ताजा कर दी थी। वहां उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए आप ही कुछ करिए। अब सिद्धू पाकिस्तानी सेना प्रमुख को झप्पी देकर आए

दशक भर से सार्वजनिक निष्क्रियता के बावजूद अटल जी का मुख्यधारा में बने रहना यूं ही नहीं था!

पूर्ण क्षमता, निष्ठा, ईमानदारी और मर्यादा के साथ दायित्व निर्वाह ही कर्म कौशल होता है। ‘योग: कर्म कौशलम’ इस अर्थ में अटल बिहारी वाजपेयी कर्म योगी थे। राजनीति में ऐसे कम लोग ही हुए हैं जो कुर्सी नहीं, कर्म से महान बने। अटल जी ऐसे ही लोगों में से एक थे।अटल जी पिछले दस वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे। किसी विषय पर उनका कोई बयान नहीं आता था। इसके

पूरब से पश्चिम तक भाजपा का बुलंद मंसूबा

विपक्षी महागठबंधन की कवायदों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना मंसूबा बुलंद कर लिया है। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहले कलकत्ता की जनसभा और फिर मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन भाषण से जाहिर हुई। पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को पछाड़ कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। मतलब यहाँ पार्टी जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत में आ गई है। अमित शाह ने इसी अंदाज में ममता बनर्जी  सरकार पर हमले

ओडीओपी योजना : हर साल पांच लाख लोगों को मिलेगा रोजगार, बढ़ेगा देश का निर्यात

भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम बहुत औपचारिकता वाले रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से इसमें परिवर्तन देखा जा रहा है। रामनाथ कोविंद और वेंकैया नायडू ने विकास और लोक कल्याण कार्यक्रमो में अपनी सहभागिता बढ़ाई है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इसकी गवाह बनी।