डॉ कृष्णगोपाल मिश्र

दीपावली विशेष : अबकी इस प्रकार करें लक्ष्मी पूजन !

स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व हमारे देशवासियों ने भावी भारत के रूप में सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का सपना देखा था। उन्हें विश्वास था कि अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिलते ही हम भारतीयों का ‘स्वराज्य’ स्वावलम्वन से सशक्त और सम्पन्न बनकर ‘सुराज’ की स्वार्णिम कल्पनाएं साकार करेगा। प्रख्यात सुकवि-नाटककार जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक के निम्नांकित गीत में इस जनभावना की अनुगूँज दूर तक सुनाई देती है-

मध्य प्रदेश : सांस्कृतिक जगत की महान उपलब्धि है एकात्मधाम

आदि शंकराचार्य संसार में सर्वत्र एक ही ईश्वरीय सत्ता का निर्देश कर मनुष्य को मनुष्य से ही नहीं प्रत्युत समस्त जीवजगत और वनस्पति जगत से भी जोड़ देते हैं।

राजनीति के आदर्श प्रतिमान हैं श्रीकृष्ण

नए निर्माण के पथ में आने वाले प्रत्येक अवरोध को, चाहे वह कितना भी प्रतिष्ठित क्यों न हो; हटाना ही होगा। यही श्रीकृष्ण की राजनीति का मूलमंत्र है।

शस्त्र और शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं परशुराम

मनुष्य के लिए आत्मरक्षण और समाज-सुख-संरक्षण के निमित्त शस्त्र का आराधन भी आवश्यक है। शर्त यह है कि उसकी शस्त्र-सिद्धि पर शास्त्र-ज्ञान का दृढ़ अनुशासन हो। भगवान परशुराम इसी शस्त्र-शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं। सहस्रार्जुन के बाहुबल पर उनकी विजय उनकी शस्त्र-सिद्धि को प्रमाणित करती है, तो राज्य भोग के प्रति उनकी निस्पृहता

धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान हैं राम !

श्रीराम के चरित्र में धर्म के समस्त लक्षणों का सम्यक् निर्वाह मिलता है। वनवास के समय धैर्य का जैसा अपूर्व प्रदर्शन राम ने किया वैसा अन्यत्र दुर्लभ है।

जन्माष्टमी विशेष : श्रीकृष्ण की धर्म नीति

लोकमंगल के निर्मल-जल में ही धर्म का कमल खिल सकता है। कृष्ण की धर्मदृष्टि इसी दर्शन से अनुप्राणित है। इसीलिए धर्म के संदर्भ में शाश्वत है, सार्वभौमिक है।

पितृ दिवस : पिता तो आज भी पहले जैसे ही हैं, पर पुत्र बदलते जा रहे!

‘पिता’ शब्द् संतान के लिए सुरक्षा-कवच है। पिता एक छत है, जिसके आश्रय में संतान विपत्ति के झंझावातों से स्वयं को सुरक्षित पाती है। पिता संतान के जन्म का कारण तो है ही, साथ ही उसके पालन-पोषण और संरक्षण का भी पर्याय है। पिता आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति की गारंटी है। पिता शिशु के लिए उल्लास है; किशोर और तरुण के लिए सर्वोत्तम प्रेरक एवं पथ-

जीवन के वांग्मय का सबसे प्यारा शब्द है ‘माँ’

भारतीय वाड्मय में माता का अभिप्राय और स्वरूप अत्यंत विशद है । शब्दकोशों के अनुसार माता स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द है। यह ऐसा संबोधन सूचक पद है जिसमें आदर और श्रद्धा का भाव स्वतः समाहित है। नारियों के लिए संबोधन सूचक अन्य शब्दों में वह गरिमा नहीं मिलती जो माता शब्द में है। इसीलिए भारतीय मन

मजहबी कट्टरता के कैंसर को उजागर करती ‘द कश्मीर फाइल्स’

विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी, अभिनेता अनुपम खेर आदि के सम्मिलित प्रयास से निर्मित बहुचर्चित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ लीक से हटकर बनी है।

महाशिवरात्रि विशेष : शिवत्व की प्रतिष्ठा में ही विश्व मानव का कल्याण संभव है

शिव मानसिक शांति के प्रतीक हैं। वे अपनी तपस्या में रत अवस्था में उस मनुष्य का प्रतीकार्थ प्रकट करते हैं जिसे किसी और से कुछ लेना-देना नहीं रहता।