लोकेन्द्र सिंह

हाइफा युद्ध : भारतीय योद्धाओं के बलिदान ने लिखी इजरायल की आजादी की इबारत

पराजय का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने बड़ी सफाई से भारतीय योद्धाओं की अकल्पनीय विजयों को इतिहास के पन्नों पर दर्ज नहीं होने दिया। शारीरिक तौर पर मरने के बाद जी उठने वाले देश इजरायल की आजादी के संघर्ष को जब हम देखेंगे, तब हम पाएंगे कि यहूदियों को ‘ईश्वर के प्यारे राष्ट्र’ का पहला हिस्सा भारतीय योद्धाओं ने जीतकर दिया था। वर्ष 1918 में हाइफा के युद्ध में भारत के अनेक योद्धाओं ने अपने

राष्ट्रपति चुनाव : दलित उत्थान का नारा लगाने वाले रामनाथ कोविंद के नाम से सन्नाटे में क्यों हैं ?

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम को सामने कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने एकबार फिर से सबको चौंका दिया है। सबके कयास धरे रह गए। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के पहले रामनाथ कोविंद का नाम किसी तरह की चर्चा में भी नहीं था। लेकिन, जब भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर

भारतीय सेना पर लांछन लगा पाकिस्तान की लाइन को आगे बढ़ाते रहे हैं वामपंथी !

भारतीय सेना सदैव से कम्युनिस्टों के निशाने पर रही है। सेना का अपमान करना और उसकी छवि खराब करना, इनका एक प्रमुख एजेंडा है। यह पहली बार नहीं है, जब एक कम्युनिस्ट लेखक ने भारतीय सेना के विरुद्ध लेख लिखा हो। पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्ट लेखक पार्थ चटर्जी ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की तुलना हत्यारे अंग्रेज जनरल डायर से करके सिर्फ सेना का ही अपमान नहीं किया है, बल्कि अपनी संकीर्ण

गंगा-यमुना के बाद अब नर्मदा को भी मिले जीवित मनुष्यों के समान अधिकार

जब उत्तराखंड के नैनीताल उच्च न्यायालय ने मोक्षदायिनी माँ गंगा नदी को मनुष्य के समान अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था और गंगा नदी को भारत की पहली जीवित इकाई के रूप में मान्यता दी थी, तब ही शिवराज सिंह चौहान के मन में यह विचार जन्म ले चुका था। वह भी सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा नदी को मनुष्य के समान दर्जा देने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर

गौ-संरक्षण की दिशा में गुजरात सरकार का अनुकरणीय प्रयास

भारतीय संस्कृति में गाय का बड़ा महत्व है। गाय के साथ इस देश का संबंध मात्र भावनात्मक नहीं है, वरन भारतीय समाज के पोषण में गौवंश का प्रमुख स्थान रहा है। भारत में गाय धार्मिक और आर्थिक, दोनों की बराबर प्रतीक है। यही कारण है कि प्राचीन समय में गौ-धन से सम्पन्नता देखी जाती थी। गाय के प्रति सब में बराबर सम्मान और श्रद्धा थी। फिर चाहे वह भारत में आक्रांता के रूप में आए समूह हों या फिर शरण लेने

मुसलमानों को योगी का झूठा डर दिखाने वालों से सावधान रहने की ज़रूरत

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से जिन्हें प्रदेश में मुसलमानों के लिए संकट दिखाई दे रहा है, वे लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित तो हैं ही, भारतीय समाज के लिए भी खतरनाक हैं। उनके पूर्वाग्रह से कहीं अधिक उनका बर्ताव और उनकी विचार प्रक्रिया सामाजिक ताने-बाने के लिए ठीक नहीं है। योगी आदित्यनाथ को मुस्लिम समाज के लिए हौव्वा बनाकर यह लोग उत्तरप्रदेश का सामाजिक

हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत खड़ी करने का अवसर

भारत के स्वाभिमान और हिंदू आस्था से जुड़े राम मंदिर निर्माण का प्रश्न एक बार फिर बहस के लिए प्रस्तुत है। उच्चतम न्यायालय की एक अनुकरणीय टिप्पणी के बाद उम्मीद बंधी है कि हिंदू-मुस्लिम राम मंदिर निर्माण के मसले पर आपसी सहमति से कोई राह निकालने के लिए आगे आएंगे। राम मंदिर निर्माण पर देश में एक सार्थक और सकारात्मक संवाद भी प्रारंभ किया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने

कट्टरपंथ की बुरी नजर से कला-संस्कृति को बचाना होगा

असम के 46 मौलवियों की कट्टरपंथी सोच को 16 वर्षीय गायिका नाहिद आफरीन ने करारा जवाब दिया है। नाहिद ने कहा है कि खुदा ने उसे गायिका का हुनर दिया है, संगीत की अनदेखी करना मतलब खुदा की अनदेखी होगा। वह मरते दम तक संगीत से जुड़ी रहेंगी और वह किसी फतवे से नहीं डरती हैं। इंडियन आइडल से प्रसिद्ध हुई नाहिद आफरीन ने हाल में आतंकवाद और आईएसआईएस के विरोध में गीत गाए थे।

रामजस कॉलेज प्रकरण पर हंगामा, तो केरल की वामपंथी हिंसा पर खामोशी क्यों ?

रामजस महाविद्यालय प्रकरण से एक बार फिर साबित हो गया कि हमारा तथाकथित बौद्धिक जगत और मीडिया का एक वर्ग भयंकर रूप से दोमुंहा है। एक तरफ ये कथित धमकियों पर भी देश में ऐसी बहस खड़ी कर देते हैं, मानो आपातकाल ही आ गया है, जबकि दूसरी ओर बेरहमी से की जा रही हत्याओं पर भी चुप्पी साध कर बैठे रहते हैं। वामपंथ के अनुगामी और भारत विरोधी ताकतें वर्षों से इस अभ्यास में लगी

यूँ ही नहीं है किरण रिजिजू का बयान, वाकई में कम हो रही है हिन्दू आबादी

अरुणाचल प्रदेश में हिंदू जनसंख्या के सन्दर्भ में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर कुछ लोग विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि उनका बयान एक कड़वी हकीकत को बयां कर रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि उनके बयान पर वो लोग हायतौबा मचा रहे हैं, जो खुद को पंथनिरपेक्षता का झंडाबरदार बताते हैं। हिंदू आबादी घटने के सच पर विवाद क्यों हो रहा है, जबकि यह तो चिंता का विषय होना