डॉ रवि प्रभात

कोरोना काल में ममता की संकीर्ण राजनीति का शिकार बंगाल

पूरा विश्व कोरोना के भयंकर संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत ने अभी तक अपनी प्रबंधन क्षमता एवं प्रबल इच्छाशक्ति से कोरोना का डटकर मुकाबला किया है तथा यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत इस व्याधि को नियंत्रित रखने में काफी हद तक कामयाब भी नजर आ रहा है।

संकट काल में दिखता संघ का विराट रूप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल भारत नहीं अपितु वैश्विक पटल पर भी विभिन्न विभिन्न कारणों से सर्वदा चर्चा का केंद्र रहता है। अपने 95 साल के इतिहास में एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन होने पर भी  संघ की अधिकतम चर्चा राजनीतिक अथवा सांप्रदायिक कारणों से ही की जाती रही,  निहित स्वार्थों के वशीभूत वामपंथी मीडिया मुगलों के द्वारा एक विशेष चश्मे से देखते हुए एकपक्षीय दुष्प्रचार संघ को लेकर को लेकर किया जाता रहा।

कोरोना संकट से निपटने के लिए मोदी के नेतृत्व में विश्व को राह दिखाता भारत

संपूर्ण विश्व इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। कोरोना वायरस संपूर्ण मानवता के लिए एक बड़े संकट के तौर पर उभर कर आया है जिससे सफलतापूर्वक निपटने का कोई ठोस समाधान अभी तक सामने नहीं आ पाया है । कोरोना वायरस ने न केवल जनसामान्य के लिए स्वास्थ्य का संकट खड़ा किया है

मोदी सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की ओर अग्रसर भारत

उत्तर प्रदेश के नतीजों के तुरंत बाद उमर अब्दुल्लाह ने कहा था कि “विपक्ष को अब 2024 की तैयारी करनी चाहिए; 2019 में उसके लिए खास उम्मीद नहीं है”। उमर अब्दुल्ला ने संभवत: वर्तमान राजनीति की उस हक़ीकत को स्वीकारने का प्रयास किया, जिसे पूरा विपक्ष कहीं न कहीं समझ तो रहा है, मगर स्वीकार नहीं रहा। यद्यपि 2019 अभी दूर है; परंतु जमीनी हकीकत और तमाम समीकरणों को देखते हुए पूरी संभावना

यूपी चुनाव : भाजपा के पक्ष में दिख रहे जीत के सभी समीकरण

देश का पूरा राजनीतिक विमर्श उत्तर प्रदेश पर केंद्रित है। पांच राज्यो के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का अपना अलग महत्त्व है। यह भी तय है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम देश की आगामी राजनीतिक दशा और दिशा को तय करने वाले सिद्ध हो सकते हैं। पूरे देश में इस चुनाव को लेकर जबरदस्त ऊहापोह है, जिज्ञासा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है और चारो तरफ

यूपी चुनाव : भाजपा की लहर से सहमें सपा-कांग्रेस हुए एक, बसपा की हालत भी पस्त

भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश का चुनाव एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। यद्यपि मोदी सरकार के आने के बाद छात्रसंघ चुनावों से लेकर निगम/पंचायत चुनावों तक भी मोदी लहर को पढ़ने की कोशिश राजनीतिक विश्लेषक करते रहे हैं, परंतु वास्तविकता में उत्तर प्रदेश चुनाव को मोदी समेत पूरी भाजपा भी बेहद गंभीरता से ले रही है, वहीं मोदी-विरोधी संपूर्ण तबका इस बार भी बिहार जैसे परिणामों की

भारत की सर्जिकत स्ट्राइक से सहमा पाकिस्तान

उड़ी हमला पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी साबित होगा यह किसी ने भी नहीं सोचा था। भारत को चोट पर चोट देने की पाकिस्तान की एक आदत सी बन गयी थी, जिसमें उसे पूरी तरह विश्वास था कि भारत की तरफ से कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। पाकिस्तान पहले से ही कड़ी निंदा और सबूत वाले डोजियर को रद्दी की टोकरी में फेंकने का आदी रहा और भारत उसे बार-बार डोजियर सौंपने का। पाकिस्तान एक

भारतीय विदेश नीति से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब होता पाकिस्तान

उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही गरमा-गरमी के दरम्यान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र में होने वाले भाषण पर सबकी नजर थी। नवाज शरीफ इस बार के सम्मेलन को भारत के खिलाफ काफी कुछ हासिल करने वाला मान कर चल रहे थे, लेकिन नवाज का आतंकवादी बुरहान वानी को कश्मीरी युवा नेता करार देना उड़ी हमले पर संवेदना प्रकट न करना, ज्यादातर समय गैर

उड़ी हमले पर मोदी सरकार का सख्त रुख, दोषियों के खिलाफ उठाए जाएंगे कड़े कदम!

उड़ी में सैनिक छावनी पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश शोकसंतप्त एवं सन्न है। पूरे देश की भावना, संवेदना, सहानुभूति और एकात्मता सैनिको और उनके परिवारो से जुड़ी हुई है, इसलिए इस हमले को पूरे देश पर हुए हमले के रूप में देखा जाना चाहिए। पिछले 30 वर्षो से पाकिस्तान इसी तरह का छद्म युद्ध लड़ता आ रहा है, जिसमें हमारी सेनाओ को केवल जवाबी कार्यवाही की अनुमति प्राप्त है। हमला कब और

संघ के खिलाफ गांधी की हत्या को नहीं भुनाती तो खत्म हो जाती कांग्रेस!

गांधी ह्त्या से जुड़ा एक दूसरा पक्ष अगर देखें तो गांधी की मृत्यु से सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को ही हुआ है। यदि इस प्रकार गांधी की ह्त्या न हुई होती तो कांग्रेस इतने दिनों तक लोकप्रिय नही रही होती। कांग्रेस की रीती-नीति से खफा होकर गांधी खुद कांग्रेस के विरोध में उतर आते। कुछ लोग तो यह भी बतलाते हैं कि गांधी जी एक दो दिन के भीतर कांग्रेस विसर्जित करने की घोषणा करने वाले थे। साथ ही यह भी अन्वेषणा