सतीश सिंह

वैश्विक स्तर पर मजबूत होता रुपया

भारत सरकार की पहल से रूपये में अन्तर्राष्ट्रीय कारोबार करने में काफी तेजी आई है। रुपया में अगर सिर्फ 30 देश भी कारोबार करने लगेंगे तो यह अंतरराष्ट्रीय कारोबारी मुद्रा बन जायेगा।

निजी खर्च में वृद्धि से मजबूत होती अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय भुगतान निगम के अनुसार, 2023 में यूपीआई लेनदेन की मात्रा में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि लेनदेन की राशि में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

अमेरिकी बैंकों के डूबने का भारतीय बैंकों पर नहीं पड़ेगा कोई असर

किसी भी देश में बैंक इस तरह से न डूबे, इसके लिए जरूरी है कि बैंकिंग नियामक बैंकों पर कड़ी निगरानी रखें और समय-समय पर समीचीन कदम उठाते रहें।

अडाणी प्रकरण : निवेशकों को भरोसा और समझदारी बनाए रखने की जरूरत

यह रिपोर्ट अडाणी इंटरप्राइजेज़ के 20000 करोड़ रुपए के एफपीओ लाने से ठीक पहले जारी किया गया, लिहाजा हिंडनबर्ग की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं।

समावेशी विकास, युवा सशक्तिकरण और बुनियादी ढाँचे की मजबूती को साकार करने वाला बजट

बजट में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 10 लाख करोड़ का खर्च करने का प्रस्ताव किया गया है। इस क्रम में रेलवे के मद में 2.40 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे।

ग्यारह महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई, 2023 में रहेगी नियंत्रित

ग्यारह महीनों में खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है। साथ ही, यह रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा 6.00 प्रतिशत से नीचे है।

दुनिया में भले आर्थिक सुस्ती हो, मगर भारत में बरकरार रहेगी विकास की तेज गति

महंगाई और विकास की सुस्त वृद्धि दर से विकसित देशों समेत दुनिया भर के अधिकांश देश मंदी की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि भारत मजबूती से विकास की दिशा में अग्रसर है।

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में वृद्धि से महँगाई में आएगी कमी

रेपो दर में बढ़ोतरी से महँगाई कम होती है, इसलिए, महँगाई को सहनशीलता सीमा के अंदर लाने के लिये रिजर्व बैंक को ताजा मौद्रिक समीक्षा में भी रेपो दर में इजाफ़ा करना पड़ा।

भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देते बैंक

कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था की मजबूती के ही संकेत मिल रहे हैं।

वैश्विक मंदी के असर से मुक्त रहेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

आंकड़ों से साफ़ है, दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत बनी हुई है।