विवेक शुक्ला

विभाजन के बाद काफी समय भारत में रहने वाले भुट्टो पाकिस्तान जाकर कट्टर भारत विरोधी क्यों हो गए ?

पाकिस्तान के लिए चालू साल खास है, क्योंकि 2018 में वहां पर संसद के लिए चुनाव होने हैं। इस लिए चुनावी माहौल बन रहा है। इसी क्रम में वहां प्रमुख दल अपने-अपने तरीके से तैयारी कर रहे हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की बात करें तो उसके शिखर नेता जुल्फिखार अली भुट्टो की एक जीवनी भी हाल ही में बाजार में आई है। इसका नाम है ‘बोर्न टू बी हैंगंड’ जिसकी काफी चर्चा हो रही है।

खुद अक्सर देशविरोधी बयान देने वाले अब्दुल्ला अपने विधायक को किस मुंह से समझाएंगे !

फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के विधायक मोहम्मद अकबर लोन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 10 फरवरी को पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हैं। अब फारुक साहब कह रहे हैं कि “हमें ऐसे समय में नारेबाजी से बचना चाहिए जब पाकिस्तान हमारे लोगों पर निशाना साधने की कोशिश कर रहा है।” यानी अब्दुल्ला साहब के हिसाब से नारेबाजी गलत नहीं है, बस समय थोड़ा गलत है।

‘पाकिस्तान का पंजाब इस्लामिक कट्टरपंथ की प्रयोगशाला है’

पाकिस्तान ने भारत पर मोर्टार और मिसाइल दागकर सारे माहौल को बेहद तनावपूर्ण कर दिया। भारतीय सेना ने भी करारा जवाब देते हुए पाक फौज की कई चौकियों को भारी नुकसान पहुँचाया है। पर, मिसाइल के हमले से एलओसी पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। भारत को पाकिस्तान की नापाक कोशिश पर हल्ला बोलने के बारे में सोचना होगा। भारत सरकार को मालूम होगा कि जब तक पाकिस्तानी सेना पर पंजाबी वर्चस्व

हिन्दी भाषा के मुद्दे पर दो नावों की सवारी कर रहे शशि थरूर !

शशि थरूर को अभी तय करना है कि वे हिन्दी विरोधी हैं या प्रेमी। वे संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक दर्जा देने से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दावोस के वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिन्दी में भाषण देने का विरोध करते हैं। पर, थरूर साथ ही अपनी किताबों का हिन्दी में अनुवाद भी करवाने लगे हैं। शशि थरूर की नयी पुस्तक ​’अन्ध​कार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य’ का कुछ समय पूर्व लोकार्पण किया गया था। निश्चित

खुद ही अपनी कब्र खोद रहे वामपंथी दल !

कार्ल मार्क्स ने एक बार कहा था- “हर सवाल पर तर्क दिया जा सकता है। हां, ये जरूरी नहीं है कि वो तर्कपूर्ण ही हों।” मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) में यही हुआ। कांग्रेस के साथ तालमेल करने के प्रस्ताव को वहां गत दिनों जिस प्रकार से खारिज किया है, उसके बाद ये संभावना कम बचती है कि वामदल समय के साथ चलने के लिए तैयार होंगे। वामपंथ की मौजूदा जमीनी हकीकत से वाकिफ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी

केन्द्रीय विद्यालयों में हिंदी-संस्कृत में नहीं तो क्या अंग्रेजी-अरबी में प्रार्थना करवाई जाए !

क्या केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदुत्व को बढ़ावा देती है? ये प्रार्थना देश और देश से बाहर चल रहे सभी केन्द्रीय विद्यालयों में प्रयोग में है। अब ये पूरी तरह असंवैधानिक बताई जा रही है। अब इस प्रार्थना में हिंदुत्व देखा जा रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जीवन काल में केन्द्रीय विद्यालय चालू हो गए थे। तब देश में भाजपा या एनडीए की सरकारें नहीं थीं, जिनके पीछे आज देश के कथित

हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार !

लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया, “भारत सरकार हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने को लेकर गंभीरता से प्रयासरत है। वो इस पहल में अपने साथ मारीशस और फीजी को भी जोड़ रही है।” संयुक्त राष्ट्र में चीनी, अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएँ केवल चार

‘मर्द हैं तो ताक-झांक भी करेंगे, रखनिया भी रखेंगे’

लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। अब उम्मीद है कि ये राज्यसभा में भी पारित हो जाएगा। यानी अब हर पल तलाक के भय में जीवन व्यतीत करने वाली मुस्लिम औरतें चैन से जिंदगी बसर कर सकेंगी। तीन तलाक को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस बिल पर चर्चा

जाधव को रिहा करे पाकिस्तान, तो ही सुधरने की ओर बढ़ेंगे भारत-पाक संबंध!

पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी ने उनसे 30 मिनट के लिए मुलाकात की। जरा कल्पना कीजिए कि इन तीनों में जब मुलाकात हुई होगी तो वे पल कितने भावुक होंगे। तीनों एक लंबे अंतराल के बाद मिल रहे थे। हालांकि पाकिस्तान ने इस मुलाक़ात में भी अपनी नापाक हरकतें दिखा ही दीं। पाकिस्तान अपनी दुष्ट हरकतों से बाज आने का नाम ही नहीं ले रहा है।

गुजरात चुनाव में उतरा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का नकाब

भारतीय जनता पार्टी 22 साल गुजरात में सत्ता में काबिज रहने के बाद फिर से पांच साल के लिए राज्य में राज करेगी। गुजरात में भाजपा की जीत पर कभी भी संदेह नहीं था। देखा जाए तो बहस का मुद्दा यही था कि उसे पहले से थोड़े ज्यादा या कम वोट/सीट मिलेंगी या नहीं? कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के साथ ही अपने धर्मनिरपेक्षता के चोले को उतारकर फेंक दिया। गुजरात चुनाव में मुसलमानों के वोटों को पाने की कोई