सनातन भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व
भारत के इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं तो दिखता है कि सनातन संस्कृति के अनेक महापुरुषों को गुरु के आशीर्वाद एवं सान्निध्य से ही देवत्व की प्राप्ति हुई है।
आपातकाल : जब सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को ठेंगे पर रख दिया गया!
वर्ष 1975 में आज के ही दिन सत्ता के कुत्सित कदमों ने देश में लोकतंत्र को कुचल दिया था और लोकतंत्र के इतिहास में यह एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। लोकतंत्र के चारों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व प्रेस पर घोषित व अघोषित पहरा बैठा दिया गया। लोकतंत्र को ठेंगे पर रखकर देश को आपातकाल की गहरी खाई में धकेलने के पीछे महज किसी भी
‘गीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करने के पीछे की मानसिकता को समझिए
विरोधियों द्वारा यह कहना कि महात्मा गांधी और गीता प्रेस के प्रबंधकों के बीच घोर असहमतियां थी- निराधार और मूर्खतापूर्ण कथन है।
भारतीय मूल्यों की संवाहक बन रही हैं जी-20 की बैठकें
जब भारत अपनी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय उसे विश्व के प्रभावशाली देशों के संगठन ‘जी-20’ की अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है।
महारानी लक्ष्मीबाई : सोए हुए पौरुष और स्वाभिमान को जागृत-झंकृत करने वाली वीरांगना
जनरल ह्यूरोज का यह कथन महारानी लक्ष्मीबाई के साहस एवं पराक्रम का परिचय देता है, ”अगर भारत की एक फीसदी महिलाएँ इस लड़की की तरह आज़ादी की दीवानी हो गईं तो हम सब को यह देश छोड़कर भागना पड़ेगा।”
‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्रीशिवराज्याभिषेक
कहते हैं कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म न होता और उन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना न की होती, तब भारत अंधकार की दिशा में बहुत आगे चला जाता।
मोदी सरकार : जनकल्याण और विकास के बेमिसाल नौ वर्ष
आज सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है। इस तरह के अनेक बदलावों की कहानी नरेंद्र मोदी के नौ सालों के कार्यकाल में लिखी गई है।
जयंती विशेष : अखंड भारत के पक्षधर वीर सावरकर
वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना किया। नतीजा उनके वकालत करने पर रोक लगा दी गयी।
सेंगोल : भारतीय इतिहास से छल के अपराधी कौन ?
जो सेंगोल भारतीय स्वाधीनता और स्व-शासन के गौरवशाली प्रतीक के रूप में संसद में स्थापित होना चाहिए था, वो इतिहास से बेदखल होकर म्यूजियम में…
राष्ट्र-निर्माण, जनकल्याण और युगांतरकारी निर्णयों के पर्याय हैं मोदी सरकार के नौ साल
बीते वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के मार्ग में कई चुनौतियां आईं, लेकिन यह सरकार अपने लक्ष्य, मिशन, विजन, कर्म और विकास-यज्ञ से डिगी नहीं।