कामकाज

लोकलुभावन नहीं, सर्वसमावेशी और दूरगामी लक्ष्यों पर आधारित है ये बजट !

एक फरवरी, 2018 को पेश की गई बजट में समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। इसमें सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश में गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है। गरीबों को स्वस्थ रखना सरकार के लिये हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। इसलिये, हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिये 1200 करोड़ रूपये बजट में देने की बात कही गई है। इस क्रम में हर परिवार को 5 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा दिया

शहर-गाँव, अमीर-गरीब और किसान-उद्योग सबके लिए ख़ास है ये बजट !

यह मीडिया भी गज़ब की है! जो पिछले कुछ सालों से नरेन्द्र मोदी सरकार को प्रो-कॉर्पोरेट कहते नहीं थकती थी, वही आज कह रही है कि मोदी सरकार तो प्रो-फार्मर हो गई है। खैर, देश की बहुसंख्यक आबादी खेती और उससे सम्बंधित व्यवसायों से जुड़ी है, ऐसे में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना बहुत अच्छा कदम है।

राजस्व संग्रह में सुधार होने से मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था

भले ही दिसंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 910 अरब रूपये के लक्ष्य से थोड़ा-सा पीछे रह गया, लेकिन इतना तो साफ है कि जल्द ही इसका संग्रह उम्मीद के मुताबिक होने लगेगा। यह इसलिये भी लग रहा है, क्योंकि जीएसटी संग्रह अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 808.08 एवं 833 अरब रुपये रहा था और दिसंबर महीने में यह आंकड़ा पिछले दोनों महीनों से ज्यादा है। जीएसटी की चोरी रोकने के उपायों से

‘इन्वेस्टर्स समिट’ के द्वारा यूपी के विकास की नयी इबारत लिखने में जुटी योगी सरकार !

उत्तर प्रदेश की पिछली दोनों सरकार को पूर्ण बहुमत से अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला था। उनके मुख्यमंत्रियों के लिए अपने कतिपय ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में भी आसानी थी। शायद उन्होने कुछ ड्रीम प्रोजेक्ट बनाये भी थे और इनकी चर्चा भी खूब होती थी । लेकिन प्रदेश के सर्वांगीण विकास या बीमारू छवि से प्रदेश को बाहर निकालने के प्रति इन सरकारों में पर्याप्त गंभीरता दिखाई नहीं दी थी। वर्तमान

डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार और काले धन पर लग रही लगाम

हाल ही में आयकर विभाग ने 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपातियाँ जब्त की है, जिनमें फ्लैट, दुकानें, आभूषण, वाहन आदि शामिल हैं। अगर व्यक्ति कोई जायदाद किसी दूसरे के नाम से खरीदता है, तो उसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है। ऐसे जायदाद आमतौर पर पत्नी, पति या बच्चे के नाम से खरीदे जाते हैं, जिनके भुगतान के स्रोत की जानकारी नहीं होती है। वैसे, भाई, बहन, साला, साली या

अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में सफलता के नए आयाम गढ़ता भारत

नया साल देश के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता और उपलब्धियां लेकर आया है। अपने सफल प्रक्षेपणों के लिए ख्‍यात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने फिर एक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण कर दिखाया है। यह उपग्रह कार्टोसेट टू सीरीज का था, जिसे पीएसएलवी के माध्‍यम से लॉन्‍च किया गया। यह तो उपलब्धि है ही, लेकिन इससे बड़ी और अहम उपलब्धि ये रही कि इस प्रक्षेपण के साथ ही इसरो द्वारा प्रक्षेपित

काले धन पर एक और चोट, 3500 करोड़ की बेनामी संपत्ति हुई जब्त !

नोटबंदी के बाद से काले धन की रोकथाम के लिए मोदी सरकार एकदम से कमर कस चुकी है। नोटबंदी, बाजार में मौजूद नकदी काले धन को बैंकिंग प्रणाली में सम्मिलित करवाने में कारगर रही। इसके बाद बात उठी कि बहुत सारा काला धन तो लोग नकदी से इतर बेनामी संपत्ति के रूप में इधर-उधर लगा चुके हैं, मगर इसके लिए भी मोदी सरकार पहले से ही तैयारी करके बैठी थी।

मोदी सरकार के प्रयासों से वैश्‍विक विनिर्माण की धुरी बन रहा भारत !

आज भारत दुनिया भर की कंपनियों का बाजार बना है तो इसके लिए कांग्रेस सरकारों की भ्रष्‍ट और वोट बैंक की राजनीति जिम्‍मेदार है। आजादी के बाद से ही हमारे यहां बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों (आइआइटी) को विकास का पर्याय मान लिया गया। इसी का नतीजा है कि भारत की पहचान कच्‍चा माल आपूर्ति करने वाले देश के रूप में होने लगी है। दूसरी चूक यह हुई कि उदारीकरण के दौर

डीबीटी प्रणाली के द्वारा स्थापित हो रही आर्थिक सशक्तिकरण की पारदर्शी व्यवस्था

एक प्रश्न है कि किसी भी व्यक्ति के सशक्त होने का व्यवहारिक मानदंड क्या है ? इस सवाल के जवाब में व्यवहारिकता के सर्वाधिक करीब उत्तर नजर आता है- आर्थिक मजबूती। व्यक्ति आर्थिक तौर पर जितना सम्पन्न होता है, समाज के बीच उतने ही सशक्त रूप में आत्मविश्वास के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। निश्चित तौर पर आर्थिक मजबूती के लिए अर्थ को अर्जित करना ही पड़ता है। भारतीय अर्थ परम्परा में धर्म और

लोगों के अपने घर के सपने को साकार कर रही प्रधानमंत्री आवास योजना !

देश में घरों की कमी एक गंभीर समस्या है। आज भी करोड़ों लोग घरों के बिना फुटपाथ पर अपना जीवन गुजर-बसर करने के लिये अभिशप्त हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंम 25 जून, 2015 को किया, जिसका उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को दो भागों यथा, शहरी और ग्रामीण में विभाजित किया गया है।