कामकाज

सिंचाई तंत्र को सुदृढ़ करने में जुटी मोदी सरकार

इसे पिछले साठ सालों में सरकारों की नाकामी ही माना जाएगा कि अमेरिकी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने वाले देश की खेती-किसानी अभी भी “मानसून का जुआ” बनी हुई है। हर साल देश का कोई न कोई इलाका सूखे की चपेट में रहता है और सिंचाई के लिए पानी की किल्‍लत तो कमोबेश हर जगह बनी रहती है। इस विडंबना को दूर करने का बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया है।

मूडीज रेटिंग : सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ी भारत की रेटिंग, भविष्य में और बढ़ने की संभावना !

अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 सालों के बाद भारत सरकार के स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता साख का उन्नयन किया। भारत की साख को अपने वर्गीकरण में ऊँचा करते हुए मूडीज ने बीएए-2 श्रेणी में रखा है। पहले उसने भारत को इससे नीचे बीएए-3 श्रेणी में रखा था। मूडीज ने भारत के परिदृश्य को भी ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया। स्थानीय मुद्रा के असुरक्षित साख को भी मूडीज ने बीएए-3 से उन्नयन करके बीएए-2 कर

रोजगार सृजन की दिशा में प्रभावी सिद्ध हो रही मुद्रा योजना

देश में अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन को लेकर बहस गर्मायी हुई है। विपक्ष अलग-अलग दावों से प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा रहा है और यह दिखाना चाह रहा है कि प्रधानमंत्री ने लोगों की उम्मीदों को तोड़ा है। मगर, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आर्थिक नीतियों में न केवल मोदी सरकार ने बेहद ठोस और अनुशासित कदम उठाये हैं, बल्कि देश की सम्पूर्ण अर्थनीति में एक सकारात्मक

एक साल में देश के लिए हर तरह से लाभकारी रही नोटबंदी !

आज से एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये एक सार्थक पहल नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 व 1000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी, देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत ही अच्छा और सराहनीय कदम था। इससे आने वाले समय में देश में सुख और समृद्धि ही आएगी। विपक्ष नोटबंदी के फैसले का भले विरोध करता रहा हो, पर शुरूआती परेशानियों के

नोटबंदी का एक साल : बढ़ा आयकर संग्रह, कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर देश

नोटंबदी के एक वर्ष पूर्व होने पर स्थिति यह है कि इससे डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो रूपये में लगभग 1800 करोड़ होगी। मार्च एवं अप्रैल, 2017 में जब नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत लगभग दूर हो गई थी तब भी डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हो रही थी। मार्च एवं अप्रैल 2017 में लगभग 156 करोड़ रूपये

देशी बीजों के विकास में जुटी मोदी सरकार

भले ही विरोधी मोदी सरकार को सूट-बूट वालों की सरकार का तमगा दें लेकिन सच्‍चाई यह है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी किसानों, मजदूरों, गरीबों के कल्‍याण के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। ग्रामीण सड़क, बिजली, मृदा कार्ड, सिंचाई, फसल बीमा, राष्‍ट्रीय कृषि मंडी, खाद्य प्रसंस्‍करण के क्षेत्र में जितना काम पिछले तीन वर्षों में हुआ उतना तीन दशकों में भी नहीं हुआ था।

मोदी सरकार के सुधारों का दिखने लगा असर, कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में भारत की बड़ी छलांग!

विश्व बैंक की ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में भारत कारोबारी सुगमता के लिहाज से 30 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए 190 देशों की सूची में 100 वें पायदान पर पहुँच गया। 30 अंकों की भारत की बड़ी छलांग इंगित करता है कि वर्तमान सरकार के सुधारात्मक उपायों के फल मिलने शुरू हो गये हैं। कारोबार के 10 में से 6 मापदंडों में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

विगत तीन वर्षों से सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत

भारत पिछले तीन सालों से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मुद्रास्फीति वर्ष 2014 से लगातार नीचे आ रही है और चालू वित्त वर्ष में भी यह चार प्रतिशत से ऊपर नहीं जायेगी। इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा दो प्रतिशत से कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। वर्ष 2010 के बाद पहली बार इस साल सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राजस्व के 72,500

किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार

अब तक किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सीधा फोकस कभी नहीं किया गया। पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान उत्‍पादन व उत्‍पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। अर्थात हमारी नीतियां खेती केंद्रित रहीं न कि किसान केंद्रित। इसका नतीजा यह हुआ कि कृषि उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी के बावजूद उसी अनुपात में किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक भूल को सुधारते हुए 2022 तक किसानों की

जनधन योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली संजीवनी

विमुद्रीकरण के बाद से जनधन खातों में तेज वृद्धि देखी गई। अब तक 30 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। 10 राज्य, जहाँ 23 करोड़, प्रतिशत में 75% खाते खोले गये, में उत्तर प्रदेश 4.7 करोड़ खातों के साथ पहले स्थान पर, 3.2 करोड़ खाते खोलकर बिहार दूसरे स्थान और 2.9 करोड़ खातों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है।