पॉलिटिकल कमेंटरी

अमेरिका की अफगानिस्तान नीति से पाक बाहर, भारत को मिला सर्वाधिक महत्व

भारत के थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और अमेरिकी विदेश उपमंत्री के बयान में कोई सीधा संबन्ध नही था। लेकिन, लगभग एक ही समय मे आये इन बयानों की सच्चाई एक जैसी है। जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान और चीन दोनो मोर्चो पर मुस्तैद रहने की बात कही तो दूसरी ओर अमेरिकी विदेश उपमंत्री ने कहा कि भारत दो खतरनाक देशों से घिरा है। इन दोनों बयानों का मतलब भी एक है और इनकी सच्चाई

ये ब्रिक्स सम्मेलन दिखाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ा है भारत का दबदबा !

ब्रिक्स सम्मेलन इस बार चीन के शियामन में 3 से 5 सितम्बर तक हुआ। इस समूह के पांचो सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में भारत ने जिस तरह आतंकवाद के मुद्दे को उठाया, वो अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाते हुए पहली बार आतंकवादी संगठनो के नाम जारी किये गए। भारत ने पाक-पोषित आतंकी संगठनो के नामों पर जोर डालते हुए घोषणापत्र में कुल 18 बार आतंकवाद का ज़िक्र किया।

बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई ममता तानाशाही पर उतर आई हैं !

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वोटबैंक सियासत में इतना उलझ गई हैं कि अब उन्हें राष्ट्रवादी विचारो से परेशानी होने लगी है। वस्तुतः इसे वह अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानने लगी हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम हेतु महाजाति आडिटोरियम की बुकिंग रदद् करा दी। यह राज्य सरकार का आडिटोरियम है। बताया जाता है कि संबंधित अधिकारियों

विकास के लिए ‘स्पीड बूस्टर’ साबित होगा ये मंत्रिमंडल विस्तार

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 साल से भी कम समय बच गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चुनाव में जीत को सुनिश्चित करना चाहते हैं और यह जीत वे तभी हासिल कर सकते हैं जब सभी क्षेत्रों में बेहतर कार्य किये जायें। इसलिये ताजे फेरबदल में कुछ नए एवं ऊर्जावान सिपहसालारों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, क्योंकि सकारात्मक दृष्टि के साथ 24 घंटे एवं 365 दिन लक्ष्य को हासिल करने के लिये गतिशील रहने वाले मंत्री

डोकलाम के बाद अब ब्रिक्स में भी भारत के आगे चित हुआ चीन !

ब्रिक्स सम्मेलन के साझे घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ने की बात कही गई है। आतंकवाद का ज़िक्र इस घोषणापत्र में कम से कम 18 बार किया गया है। चीन ने भी जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान जैसे पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठनों के नामों को इसमें शामिल किए जाने पर ऐतराज न जताते हुए भारत के रुख का ही साथ दिया। ये आतंकी संगठन मूलतः पाकिस्तान की धरती पर मौजूद हैं और यहीं से

निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्री बनने का मतलब

केंद्र की सत्ता संभालने के बाद देश के विकास में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कई सकारात्मक कदम उठाए। ग्रामीण महिलाओं को परेशानियों से निजात दिलाने हेतु उज्ज्वला योजना की शुरूआत की गई और महिलाओं के उत्थान के लिए कई कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा गया। महिलाओं को सशक्त करने की ओर बढ़ रहे कदमों के क्रम में ही एक बड़ा कदम मोदी सरकार की कैबिनेट में

मोदी सरकार की सफल विदेशनीति का उदाहरण है डोकलाम से चीन का पलायन

आखिरकार भारत और चीन के बीच डोकलाम से सेना पीछे करने पर सहमति बन गयी। भारत ने बातचीत के जरिये डोकलाम मुद्दे को सुलझाने का प्रस्ताव रखा था, जबकि चीन इसके लिए तैयार नहीं था। भारत ने भी अपनी सेना पीछे हटाने से साफ़ इन्कार कर दिया था। चीन को भारत की सेना और सरकार के निश्चय के आगे आख़िरकार झुकना ही पड़ा।

सरकार और सेना की दृढ़ता का परिणाम है डोकलाम की कूटनीतिक जीत

डोकलाम मुद्दे पर 73 दिनों तक चीनी सेना के साथ आंखों में आंखें डालकर खड़ा रहने का माद्दा भारत ने दिखाया है, इसके लिए सरकार और भारतीय सेना दोनों ही निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं। इसे न सिर्फ एक कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि भारत ने पाकिस्तान जैसे और भी कई देशों को कड़ा सन्देश भी दिया है कि भारत कठिन परिस्थितियों में भी ठोस कदम उठाने की हिम्मत रखता है।

डोकलाम में चीन के पीछे हटने के क्या हैं कारण ?

पिछले दो महीने से ज्यादा समय से जारी डोकलाम विवाद से पैदा हुआ गतिरोध आखिरकार अब खत्म हो रहा है। भारत और चीन दोनों डोकलाम के आस-पास के क्षेत्र से सेना हटाने को तैयार हो गए हैं कूटनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भारत सरकार के लिए यह काफी बड़ी जीत है, क्योकि चीन जैसे देश ने हमारे कूटनीतिक दावों को स्वीकार करते हुए अपनी सेना हटाने का निर्णय लिया है ।

कांग्रेसी सरकारों की वोट बैंक की राजनीति का शिकार बनी भारतीय रेल

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफे की पेशकश करके जो प्रतिमान स्‍थापित किया है वह आज की सत्‍तालोभी राजनीति में दुर्लभ है। सबसे बढ़कर जहां पूर्व रेलमंत्रियों के भष्‍टाचार के नित नए मामले उजागर हो रहे हैं वहीं सुरेश प्रभु के उपर भ्रष्‍टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। अपने इस्‍तीफे में रेल मंत्री ने लिखा है कि दशकों से उपेक्षित रेलवे की खामियां दूर करने में मैंने