पॉलिटिकल कमेंटरी

‘हिंदुत्व’ की विचारधारा से ही निकलेगा समाजिक भेद-भाव का समाधान

कभी आस पास नजर डालने पर भी काफ़ी कुछ नजर आता है। जैसे अभी हाल में ही समाचारों में तुर्की दिखा था। आधुनिक तुर्की का इतिहास देखेंगे तो कई चीज़ें नजर आ जाएँगी। किसी जमाने में यहाँ ओटोमन साम्राज्य हुआ करता था। इस साम्राज्य ने करीब सात सौ साल राज किया। ये कोई एक देश में नहीं बल्कि यूरोप, एशिया, अफ्रीका यानि कई महादेशों में फैला हुआ साम्राज्य था। यहीं के खलीफा का इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए भारत में भयावह मोपाला दंगे हुए थे। शायद कई लोगों ने मोपला दंगे का नाम ना सुना हो, लेकिन केरल में हुए इस दंगे की भयावहता ऐसी थी की उसके बारे में एनी बेसेंट कहती थी कि भगवान ना करे हमें कभी फिर से खलीफा और इस्लामिक हुकूमत के बुरे सपने को झेलना पड़े

संघ बनाम गांधी हत्या: हर आरोप निकले झूठे, बेदाग़ साबित हुआ संघ

राहुल गांधी पर सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बहाने संघ और गांधी हत्या की बहस एकबार फिर चल पड़ी है। हालांकि अदालत के आदेश के बाद एकबार और यह साबित हुआ है कि राजनीतिक और वैचारिक षड्यंत्र के तहत ही गांधी हत्या के मामले में आरएसएस को घसीटा गया था।

कौन रच रहा दलित राजनीति के बहाने अशांति फैलाने की साजिश ?

इसमें कोई शक नहीं कि आज भी हमारे समाज में तमाम समस्याएं और कुरीतियाँ बनी हुईं हैं। समाज में अभी भी व्यापक सुधारों की जरूरत है। अभी हाल में गुजरात के ऊना तहसील स्थित समयीयाड़ा गाँव में दलित समुदाय के कुछ लोगों की पिटाई का मामला सामने आया, जिसके बाद वहां विरोध प्रदर्शन आदि हुए।

बेदाग़ संघ के ऊपर दाग लगाने वालों को पड़ा सर्वोच्च अदालत का चाबुक

आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ वैचारिक स्तर पर हमले होते रहे हैं। संघ के खिलाफ नियोजित ढंग से तथ्य गढ़ने और उन्हें कुतकोर्ं से साबित कराने के लिएअलग-अलग दौर में कांग्रेस की सरकारों द्वारा भी बुद्धिजीवियों की एक बड़ी लॉबी तैयार की गयी। वामपंथी विचार वाले प्रोफेसर्स, इतिहासकार, साहित्यकार सहित तमाम लोगों द्वारा संघ के खिलाफ एक आम एका तैयार करके दशकों से संघ को बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है। वैसे तो वामपंथी विचारधारा के लेखकों द्वारा संघ पर तमाम आरोप लगाये जाते रहे हैं लेकिन उन सभी आरोपों में सर्वाधिक बार यह आरोप लगाया जाता है कि गांधी की हत्या संघ द्वारा की गयी थी।

केवल राहुल गांधी ही नहीं, पूरी एक जमात के मुंह पर है कोर्ट का तमाचा

राहुल गांधी के लिए कोर्ट का यह आदेश एक अदालती आदेश भर नहीं है बल्कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य भी बन गया है जिसे इतिहास में दर्ज करते हुए, पुर्व में किये गये इतिहास लेखन के घोटालों में सुधार किया जा सकता है।

भ्रम से निकलिए और जानिये क्यों भारत है ‘हिन्दू राष्ट्र’ ?

दो बातों को लेकर संघ का सर्वाधिक विरोध होता है। पहला कि संघ भारत के ‘हिन्दू राष्ट्र’ होने की बात करता है जबकि दूसरा ये कि संघ के अनुसार भारत में रहने वाला और भारतीय संस्कृति को मानने वाला हर भारतीय हिन्दू है। इन दोनों मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण बड़ा ही स्पष्ट है। लेकिन संघ-विरोधी खेमे द्वारा इन मुद्दों पर विरोध के साथ-साथ यह आरोप भी लगाने की भरपूर कोशिश होती रही है कि संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का एजेंडा चलाने की फिराक में है!

इतिहास में की गयी गलतियां हैं कांग्रेस के बौखलाहट की मूल वजह

इतिहास लिखना और इतिहास लिखवाना दोनों दो बातें हैं। पिछले 69 वर्षों से स्वाधीन भारत में कांग्रेस ने सच के समानान्तर झूठों का एक पुलिंदा तैयार करवाया और उसे बता दिया कि यही है इस देश का इतिहास। कांग्रेस निर्मित इतिहास के घड़े में अब कुछ सुराख बन गये हैं और उसमें से वही बदबूदार पानी रिस रहा है जिसे कभी उसके पोषित बुद्धिजीवियों द्वारा देश पर थोपा गया था।

कुतर्कों की बुनियाद पर टिका वामपंथी बुद्धिजीवियों का विलासी-विमर्श

हिटलर के प्रचारक गोयबेल्स ने ये उक्ति यूँ ही नहीं कही होगी कि अगर किसी झूठ को सौ बार बोला जाय तो सामने वाले को वो झूठ भी सच लगने लगता है। भारत के संदर्भ में अगर देखा जाय तो आज ये उक्ति काफी सटीक नजर आती है। भारतीय राजनीति एवं समाज के विमर्शों में दो ऐसे शब्दों का बहुतायत प्रयोग मिलता है, जिनकी बुनियाद ही कुतर्कों और झूठ की लफ्फाजियों पर टिकी हुई है। ये दो शब्द हैं दक्षिणपंथ एवं फासीवाद।

आतंकवादियों की शवयात्रा निकालने पर पूरी तरह से रोक लगाने की जरुरत

भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में बुरहान मुजफ्फर वानी की मौत के बाद निकले जनाजे में जमकर उत्पात हुआ। करीब 30 जानें जा चुकी हैं। अभी कितनी जान जाएगी, बता पाना मुश्किल है। हिंसक प्रदर्शन की वजह से अमरनाथ यात्रा रोकनी पड़ी है। हिंदुस्तान में हर साल करीब एकाध आतंकवादी ऐसा होता है, जिसकी शवयात्रा के दौरान हंगामा होता है।

सच्चे देशभक्त की तलाश गूगल पर नहीं दस्तावेजों में पूरी होगी

29 जून से 6 जुलाई तक दिल्ली के नेहरु मेमोरियल एंड लाइब्रेरी में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लेकर एक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था। प्रदर्शनी का उद्देश्य डॉ मुखर्जी के जीवन के उन तमाम पक्षों पर प्रकाश डालना था जिनपर या तो बिलकुल चर्चा नहीं हुई अथवा बहुत कम हुई है।