पॉलिटिकल कमेंटरी

यूपी दंगल से पहले हारे-हारे नजर आ रहे मुलायम

मुलायम सिंह यादव इन दिनों अपने कार्यकर्ताओं को लगातार चेता रहे हैं। उनके इस चेतावनी का मकसद कार्यकर्ता से ज्यादा उन नेताओं को हड़काना नजर आता है, जो सत्ता की मलाई खा रहे हैं, जो मंत्री हैं, विधायक हैं, निगमों के पदाधिकारी हैं या जिला पंचायतों-परिषदों के अध्यक्ष, सदस्य आदि हैं। उत्तर भारत की राजनीति में नेताजी के नाम से विख्यात मुलायम बार-बार अपने नेताओं को बता रहे हैं कि कौन भ्रष्टाचार कर रहा है, कौन सत्ता की ताकत से जमीनें पर कब्जा कर रहा है, सब पर उनकी निगाह है।

राष्ट्रवाद के खिलाफ बन रहा इस्लाम और वाम गठबंधन

गत दिनों काश्मीर की घाटी में हिजबुल के आतंकवादी बुरहान को भारतीय सेना के जवानों ने एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया और साथ में इस्लामिक आतंकवाद की काली रात में टिमटिमाते तारे को भी लुप्त कर दिया है। इस आतंकी की मौत के बाद भी भारत ने वही मंजर देखा है जो पिछले कई सालों से देखता आरहा है।

रामनाथ गोयनका की आत्मा रो रही होगी अपने सम्पादक की करतूतों पर!

वर्ष 2015, जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में दो बड़ी घटनाएँ हुईं। देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन २७ जुलाई को हुआ और उसके ठीक तीन दिन बाद मुंबई हमले के दोषी आतंकी याकूब मेनन को फांसी हुई। आज एक साल बाद देश फिर उसी मुहाने पर खड़ा है। पाकिस्तान के मशहूर समाजसेवी अब्दुल ईदी सत्तार का हाल ही में निधन हुआ है और काश्मीर में हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को सेना ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है।

वंदेमातरम् और मुस्लिम तुष्टिकरण की कांग्रेसी नीति

काफ़ी साल पहले कांग्रेस का एक अधिवेशन काकिनाडा में चल रहा था और मौलाना मुहम्मद अली वहां एक बैंड के बाजे-गाजे वाले जुलुस की सलामी लेते हुए शामिल हुए। जैसा कि उस दौर की कांग्रेसी रवायत थी, सत्र की शुरुआत वन्दे मातरम के गान से होनी थी। पंडित विष्णु दिगंबर पालुस्कर आगे आये और वंदेमातरम् गाने के लिए मंच की तरफ बढे।

अमर शहीद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

संजीव कुमार सिन्हा: एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान – नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे” – यही वह नारा था, जिसकी खातिर भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना प्राणोत्सर्ग कर दिया। भारत माता के भाल कश्मीर की रक्षा के संकल्प ने उन्हें बलिदान के पथ पर पुकारा।

डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जीः अखंड भारत के स्वप्न द्रष्टा

शैलेन्द्र कुमार शुक्ल जब भारत स्वतंत्र हुआ और देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू बने तब उनकी नीति राष्ट्र नवनिर्माण की थी, जिसका सीधा अर्थ पश्चिम का अंधानुकरण और भारतीयता को तिलांजली देना था। वे भारतीय संस्कृति को पश्चिम के पास गिरवी रख देना चाहते थे। इसके विपरीत डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके साथियों का

बिहार में लौटता जंगल राज : आंकड़ों के आइने में

आयुष आनंद  बिहार में अपराध और अपराधियों की दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ोतरी का सिलसिला फिर से शुरू हो चुका है। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के जंगल राज के जिस  खात्मे का श्रेय भाजपा एवं नीतीश सरकार को 2005 के बाद मिला था, अब वही जंगल राज, जब से नीतीश जी लालू के

क्या है आतंकवाद और इस्लाम का संबंध

लोकेन्द्र सिंह बांग्लादेश की राजधानी ढाका के प्रतिष्ठित और सुरक्षित क्षेत्र में आतंकी हमले के बाद आतंकवाद और इस्लाम के संबंधों पर फिर से बहस शुरू हो गई है। महत्त्वपूर्ण बात है कि इस बहस में तीखे सवाल स्वयं मुस्लिम ही पूछ रहे हैं। इसलिए इस बहस को गैर मुस्लिमों द्वारा इस्लाम और मुसलमानों को

आज भी प्रासंगिक है डॉ. मुखर्जी की भारतीयता के प्रति सोच

नेशनलिस्ट ऑनलाइन डेस्क  5 जुलाई 2016 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू मेमोरियल पुस्तकालय एवं संग्रहालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जीः मेरे सपनों का भारत’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास अधिष्ठान के अध्यक्ष डा. महेश चंद्र शर्मा,

जनमत संग्रह का ऐलान यानी संविधान का अपमान…

उमेश चतुर्वेदी भारतीय समाज में आम मान्यता है कि सबसे बेहतरीन प्रतिभाएं ही सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर पाती हैं। इन अर्थों में देखा जाय तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी भारतीय मान्यता के मुताबिक बेहतरीन प्रतिभा हैं। लेकिन सिविल सेवा की परीक्षा पास करने के बाद राजस्व सेवा की नौकरी में रहे