समाज-संस्कृति

रामनवमी विशेष : भारतीय पंथनिरपेक्षता के प्रतीक पुरुष श्रीराम

पंथनिरपेक्षता का विचार तो खैर अभारतीय है ही, इसलिए आज भी देश का बड़ा मानस इस विचार के साथ खुद को असहज पाता है, कभी खुद को इस विचार के साथ जोड़ नहीं पाता है। अन्य देशों का नहीं पता लेकिन भारत के लिए यह कथित विचार कृतिम है, कोस्मेटिक है, थोपा सा है, अप्राकृतिक है। हालांकि यह भी तथ्य है कि इससे मिलते-जुलते विचार को भारत अनादि काल से जीता आ रहा है। वह विचार है सर्व पंथ

जयंती विशेष: डॉ. हेडगेवार जिन्होंने अपने छोटे-से कमरे में दुनिया के सबसे बड़े संगठन की नींव रखी

1 अप्रैल 1889 को नागपुर में जन्मे डॉ. हेडगेवार में अपनी माटी और देश से प्रेम-भाव उत्पन्न होने में समय न लगा, उनको अपने समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता थी। जो इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के 60 वर्ष पूर्ण होने पर बाँटी गयी मिठाई को स्वीकार ना करने से ही स्पष्ट पता लग जाता है, उन्होंने  विद्यालय में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वन्दे मातरम

कोरोना संकट : ‘आज घर में रहना ही राष्ट्र सेवा और सावधानी ही दवा है’

आज 21वी सदी का अबतक का सबसे बड़ा संकट कोरोनावायरस – कोविड -19 हमारे सामने है। अपने आप को महाशक्ति कहने और कहलवाने वाले देशों ने भी अपने घुटने टेक दिए हैं। चीन के वुहान से निकला यह वायरस अब दुनिया भर को अपने चपेट में ले चुका है। अगर शुरू में ही चीन सच्चाई से नहीं भागता और सूचनाएं ना छुपाता तो शायद दुनिया आज इस वैश्विक

कोरोना की आपदा के इस दौर में स्वामी विवेकानंद के ‘प्लेग मेनिफेस्टो’ की प्रासंगिकता

कोरोनावायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित हो गया है, इस संक्रमण से लगभग  4,720 लोगों की मृत्यु हो गयी और 128,343 से अधिक लोगों में इसकी पुष्टि की गई है। चीन के वुहान प्रान्त  से उत्पन्न यह आपदा वास्तविक और आभासी दुनिया के समाचार, रिपोर्ट, गपशप और हर एक के लिए विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु बन गया है।

राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जिन्होंने ग्रामीण विकास व स्वावलंबन का आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया

राष्ट्र के उत्थान के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वालों की चर्चा होते ही एक नाम हमारे सामने सबसे पहले आता है, वह है भारत रत्न राष्ट्र ऋषि, विराट पुरुष नाना जी देखमुख का। नानाजी देशमुख आज भी प्रसांगिक हैं, तो उसका सबसे बड़ा कारण उनका सामाजिक जीवन में नैतिकता और राष्ट्र सेवा के लिए संकल्पबद्ध होकर कठिन परिश्रम करना है।

पी. परमेश्वरन का जीवन-संदेश हमारी स्मृतियों में सदैव अमर रहेगा

समाज को संगठित, शक्तिशाली, अनुशासित और स्वावलम्बी करने के कार्य में जिन्होंने अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण समर्पित कर दिया, ऐसे कर्म योगी माननीय परमेश्वरन जी अब हमारे बीच नहीं हैं।  लेकिन कभी आराम ना मांगने वाले, विश्राम ना मांगने वाले, ‘चरैवेति चरैवेति’ ऐतरेय उपनिषद का यह मंत्र अपने जीवन में एकात्म करने वाले परमेश्वरन जी हमारी

प्रक्रिया में बदलाव से सुपात्र नागरिकों तक पहुँच रहे पद्म सम्मान

वर्ष 2014 के बाद से बीते तीन-चार वर्षों में पद्म सम्मानों के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व और सकारात्मक परिवर्तन नजर आया है। इस दौरान ऐसे नामों की घोषणा देखने को मिली है, जो बिना किसी संपत्ति या सम्मान की लालसा के लम्बे समय से अपने-अपने क्षेत्र में उत्तम कार्य कर रहे।

आस्था ही नहीं, विकास का भी सन्देश देने वाली है गंगा यात्रा

गंगा दुनिया की सबसे पवित्र नदी है। इस तथ्य को वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है जबकि हमारे ऋषियों ने आदि काल से ही यह शोध कर लिया था। लेकिन  परतंत्रता के लंबे कालखंड और बाद में आने वाली सरकारों ने इसकी महिमा को नहीं समझा। नरेंद्र मोदी ने पहली बार सरकार बनाने के बाद नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी।

जयंती विशेष : भारत की राष्ट्रीयता के प्राणतत्व को आत्मसात किए थे अटल जी

अटल बिहारी वाजपेयी इस देश की राष्ट्रीयता के प्राणतत्व को आत्मसात किए हुए थे। भारत क्या है, अगर इसे एक पंक्ति में समझना हो तो अटल बिहारी वाजपेयी का नाम ही काफी है। वे लगभग आधी शताब्दी तक हमारी संसदीय प्रणाली के अविभाज्य अंग रहे। अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व व कार्य-क्षमता से उन्होंने लोगों के हृदय पर राज किया।

विश्वस्तरीय तीर्थाटन केंद्र के रूप में विकसित होगी अयोध्या

विश्व के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन व तीर्थाटन का विशेष योगदान रहता है। इसके लिए इन देशों ने योजनबद्ध ढंग से प्रयास किया। अपनी आध्यात्मिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहरों को सजाया-सँवारा, वहां विश्व स्तरीय सुविधाओं व संसाधनों का विकास किया। इसके कारण अनेक स्थानों को विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा मिली।