समाज-संस्कृति

राम जन्मभूमि फैसला : सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाला समाधान

9 नवंबर, 2019 की तारीख भारतीय इतिहास में सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाले एक ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो चुकी है। इस दिन एक तरफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने लम्बे समय से चले आ रहे रामजन्मभूमि विवाद पर निर्णय देकर उसका समाधान किया तो वहीं दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच सिख समुदाय की आस्था से जुड़े करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत हुई।  

अयोध्या दीपोत्सव : फिजी तक गूँजा मंगल भवन अमंगल हारी

इसबार अयोध्या के दीपोत्सव में फिजी की डिप्टी स्पीकर व सरकार में मंत्री वीणा भटनागर मुख्य अतिथि थी। केवल इतने पर ही विचार करें तो बात सामान्य लगती है। अनेक प्रमुख समारोहों में विदेशी मेहमानों को बुलाया जाता है। लेकिन अयोध्या दीपोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में विदेशी मेहमान की भागीदारी भावनात्मक रूप से भी विशिष्ट थी। यह भावना फिजी की मंत्री वीणा और

अयोध्या में साकार हुआ त्रेतायुग का दीपोत्सव

प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग भी चौदह वर्ष तक बेचैन रहे थे। इन सभी को वनवास की समाप्ति और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा थी। ज्यों ज्यों यह समय निकट आ रहा था, जनमानस की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भरत जी ने चित्रकूट में प्रभुराम से कहा था कि यदि वनवास के बाद निर्धारित अवधि तक आप वापस अयोध्या नहीं आये तो वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेंगे।

इसबार और दिव्य-भव्य होगी अयोध्या की दीपावली

कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में भव्य दिव्य कुम्भ का सफल आयोजन किया था। अब अयोध्या में भव्य दिव्य दीपावली का आयोजन होगा। योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इसके लिए कमर कसी है। वह तीर्थाटन व पर्यटन के प्रति शुरू से गम्भीर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे विश्व में भारत की छवि बनती है, इसी के साथ स्थानीय स्तर पर परोक्ष व अपरोक्ष रोजगार का भी सृजन होता है।

दशहरा विशेष : भारत ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में आयोजित होती है रामलीला

रामकथा और रामलीला केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं, विश्व के अनेक देशों में व्यापक पैमाने पर रामलीला का आयोजन होता है। इंडोनेशिया मुस्लिम देश है, फिर भी यहां रामलीला बहुत लोकप्रिय है। यहां के लोग स्वीकार करते हैं कि श्री राम उनके पूर्वज हैं। यह बात अलग है कि उनकी उपासना पद्धति अलग है। गत वर्ष अयोध्या में भव्य दीपावली मनाई गई थी, उसमें कोरिया की महारानी मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुई थीं। उनका कहना था कि वह भी श्री राम की वंशज हैं।

राष्ट्र की प्रगति के लिए हिंदी की सर्वस्वीकार्यता आवश्यक

गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी के पक्ष में प्रस्तुत वक्तव्य–‘भारत’ विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है मगर पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वह सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है।‘– का विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य नेताओं को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का यह कथन स्मरण रखना चाहिए कि

हिंदी दिवस : वैश्विक फ़लक पर लोकप्रिय होती हिंदी

देश में सबसे अधिक बोली, समझी और लिखी जाने वाली भाषा हिंदी है। विश्व में भी यह चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भले ही अग्रेज़ीदाँ मानसिकता वाले अँग्रेजी को सर्वश्रेष्ठ भाषा मानते हैं, लेकिन दैनिक भास्कर, जो एक हिंदी दैनिक है, सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला अखबार है। दूसरे स्थान पर भी हिंदी अखबार दैनिक जागरण काबिज है। टीवी पर भी सबसे अधिक हिंदी के समाचार, विज्ञापन एवं कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और वेब मीडिया पर भी हिंदी का ही बोलबाला है।  

वृक्षारोपण महाकुम्भ : पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगी सरकार का बड़ा कदम

नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण और तालाब खुदवाए जाएंगे। सड़कों के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण अभियान की व्यापक कार्य योजना बनाई गई है। इस अभियान में पीपल, नीम, इमली, जामुन, अर्जुन, पाकड़, सागौन, शीशम, बरगद आदि प्रजातियों के वृक्षों को प्रमुखता दी जाएगी। जो पौधे लगाए जाएंगे, उनकी पूरी देखभाल और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी।

तीन तलाक बिल : यह आस्था नहीं, अधिकारों की लड़ाई है!

यह वाकई में समझ से परे है कि कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष अपनी गलतियों से कुछ भी सीखने को तैयार क्यों नहीं है। अपनी वोटबैंक की राजनीति की एकतरफा सोच में  विपक्षी दल इतने अंधे हो गए हैं कि  यह भी नहीं देख पा रहे कि उनके इस रवैये से उनका दोहरा आचरण ही देश के सामने आ रहा है।

वैचारिक ऊर्जा की प्रतिमा

स्वामी विवेकानन्द के प्रत्येक ध्येय वाक्य भारतीय संस्कृति उद्घोष करने वाले है। उनकी भव्य प्रतिमा देख कर उन्हीं विचारों की प्रेरणा मिलती है। इन्हीं उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुई लखनऊ के राजभवन में स्वामी विवेकानन्द जी की भव्य प्रतिमा की स्थापना की गई।