वर्ल्ड व्यू

भारत-पाक संबंधों की नई इबारत नहीं लिख सके इमरान !

पाकिस्तान की सियासत में इमरान खान की एंट्री से एक उम्मीद बंधी थी कि पड़ोसी मुल्क को अंतत: एक समझदार नेता मिल गया है। वो पाकिस्तान को आगे चलकर एक सशक्त नेतृत्व दे सकेंगे। वे भारत से संबंध सुधारने की दिशा में भी अहम कदम उठाएंगे। ये उम्मीद इसलिए बंधी थी, क्योंकि उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान एक साफ-सुथरी पारी खेली थी। पर, इमऱान खान ने क्रिकेटर के रूप में जो सम्मान अर्जित

नहीं रहे पाकिस्तान में भारत का पक्ष लेने वाले ओवैस शेख !

वो भारत के मित्र थे। विशेष बात ये है कि वो पाकिस्तानी होने के बाद भी भारत को चाहते थे। नाम था उनाका ओवैस शेख। जिन दिनों पाकिस्तान की जेल में बंद थे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह तब उनकी रिहाई की लड़ाई वकील ओवैस शेख ही लड़ रहे थे। उनका बीते दिनों स्वीडन में निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। वे जुझारू मानवाधिकारीवादी थे। वे विश्व नागरिक थे। वे धर्म से पहले मानवता को स्थान देते थे। तहरीक-ए-तालिबान से

फ्रांस के राष्ट्रपति की इस भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ है !

फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों का नया अध्याय शुरू हुआ है। दोनों के बीच इतना विश्वास और सहयोग का माहौल पहले कभी नहीं था। इतना विस्तार भी अभूतपूर्व है। इसमें सुदूर मिर्जापुर के छानबे ब्लाक से लेकर हिन्द महासागर का इलाका भी शामिल है। फ्रांस बड़ी मात्रा में निवेश पर सहमत हुआ। जहाँ निवेश किया है, उस जगह जाना भी विदेशी राष्ट्रपति के लिए सुखद रहा।

पाक उच्च सदन में पहुँची कृष्णा कुमारी की हालत जोगेंद्र नाथ मण्डल जैसी न हो जाए !

पाकिस्तान में कृष्णा कुमारी नाम की हिन्दू महिला का नेशनल एसेंबली के उच्च सदन के लिए चुना जाना और सन 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना की कैबिनेट में जोगिन्दर नाथ मंडल को शामिल किए जाने को जोड़कर देखने की आवश्यकता है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में थार से आती हैं कृष्णा कुमारी। वो सिंध की सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सदस्य हैं। कहा जा रहा है कि कृष्णा कुमारी मुस्लिम देश में ‘पहली

विभाजन के बाद काफी समय भारत में रहने वाले भुट्टो पाकिस्तान जाकर कट्टर भारत विरोधी क्यों हो गए ?

पाकिस्तान के लिए चालू साल खास है, क्योंकि 2018 में वहां पर संसद के लिए चुनाव होने हैं। इस लिए चुनावी माहौल बन रहा है। इसी क्रम में वहां प्रमुख दल अपने-अपने तरीके से तैयारी कर रहे हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की बात करें तो उसके शिखर नेता जुल्फिखार अली भुट्टो की एक जीवनी भी हाल ही में बाजार में आई है। इसका नाम है ‘बोर्न टू बी हैंगंड’ जिसकी काफी चर्चा हो रही है।

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो के भारत दौरे को महत्व न दिए जाने के क्या हैं कारण ?

इन दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो भारत के दौरे पर हैं, पत्नी और बाल-बच्चे समेत, लेकिन किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के आने पर जिस तरह से शोरगुल होता है, वैसा कुछ सुनाई नहीं दे रहा। दौरे के चर्चे बहुत ज्यादा नहीं हो रहे हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है। पंजाब से गए पंजाबियों के लिए कनाडा दूसरा घर बन गया है, वहां की राजनीतिक व्यवस्था में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान बन

कारोबारी और कूटनीतिक दृष्टि से बेहद कामयाब रही मोदी की खाड़ी देशों की यात्रा !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 से 12 फरवरी के दौरान फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ओमान की यात्रा की। इस यात्रा का मकसद था – भारत और खाड़ी देशों के बीच कारोबार, निवेश, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाना तथा ऊर्जा समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना। ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि भारत के लिये इन देशों की महत्ता शुरू से ही महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता

‘पाकिस्तान का पंजाब इस्लामिक कट्टरपंथ की प्रयोगशाला है’

पाकिस्तान ने भारत पर मोर्टार और मिसाइल दागकर सारे माहौल को बेहद तनावपूर्ण कर दिया। भारतीय सेना ने भी करारा जवाब देते हुए पाक फौज की कई चौकियों को भारी नुकसान पहुँचाया है। पर, मिसाइल के हमले से एलओसी पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। भारत को पाकिस्तान की नापाक कोशिश पर हल्ला बोलने के बारे में सोचना होगा। भारत सरकार को मालूम होगा कि जब तक पाकिस्तानी सेना पर पंजाबी वर्चस्व

एक्ट ईस्ट नीति : एशिया में चीन के विस्तारवादी रुख का कूटनीतिक जवाब

भारत-आसियान संबंधो की रजत जयंती के अवसर पर इस बार गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आसियान के सदस्य-देशों के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह सिर्फ एक औपचारिकता वश ही नहीं था, बल्कि इसको मोदी सरकार के द्वारा अपनी कूटनीति को नये रूप में दक्षिण पूर्व एशिया में अपने वर्चस्व को बढ़ाने तथा इस क्षेत्र में चीन का जो वर्चस्व है, उससे संतुलन स्थापित करने के रूप में देखा जा

मोदी सरकार के नेतृत्व में एशियाई महाशक्ति के रूप में उभरता भारत

यह सप्‍ताह भारत के विदेशी मामलों के लिए बहुत अच्‍छा रहा। अव्‍वल तो दावोस में हुए विश्‍व इकानामिक फोरम में भारत की सशक्‍त मौजूदगी दिखी तो दूसरी तरफ भारत की मेजबानी में आसियान सम्‍मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। राजधानी स्थित राष्‍ट्रपति भवन में हुए इस सम्‍मेलन में आसियान नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परस्‍पर हितों के मुद्दों पर वार्ता की। इस भारत-आसियान शिखर सम्‍मेलन में