अमित शाह

हमेशा से अध्ययनशील परम्परा की अनुगामी रही है भाजपा

प्रसिद्ध जर्मन भाषाविद और लेखक मैक्समूलर अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘इंडिया व्हॉट कैन इट टीच अस’ में कहते हैं- ‘अगर मुझसे पूछा जाए कि वह कौन सा स्थान है, जहां मानव ने अपने भीतर सद्भावों को पूर्ण रूप से विकसित किया है और गहराई में उतर कर जीवन की कठिनतम समस्याओं पर विचार किया है, तो मेरी उंगली भारत की तरफ उठेगी।’ ज़ाहिर है जब पश्चिम तक सभ्यता के सूरज ने पहुंचने

भाजपा की अध्ययन परंपरा और वर्तमान परिदृश्य

गोयबल्स थ्योरी कहती है कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच लगने लगता है। इस देश के तथाकथित बुद्धिजीवी जमात ने ऐसे अनेक झूठ हजार बार बोले हैं। उन्हीं में से एक बड़ा झूठ यह भी कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग, खासकर संघ और भाजपा वाले, पढ़ते-लिखते नहीं है। यह कोरा झूठ कम से कम हजार बार, सैकड़ों तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा बोला गया होगा। 21 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

मोदी-शाह की जुगलबंदी से कुछ बुद्धिजीवी डिप्रेशन में क्यों हैं ?

कुछ महीने पहले एक प्रसिद्ध स्तम्भकार का लेख एक वेबसाईट पर छपा था कि वो डिप्रेशन में हैं क्योंकि मोदी और शाह देश चला रहे हैं। लेख का हेडिंग था, ‘आई एम डिप्रेस्ड, मोदी एंड अमित शाह आर रनिंग दिस कंट्री’। उनके डिप्रेशन की वजहें हैं। हालांकि यह डिप्रेशन सिर्फ उन्हीं को नहीं है बल्कि

कश्मीर में ‘राष्ट्रवादी विचारधारा’ की जीत है महबूबा मुफ्ती का बयान

तीन-चार महीने पूर्व एक टीवी न्यूज़ कार्यक्रम में एंकर ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह…

नेशनल राइटर्स मीट: लेखकों के जुटान से मिला अनुभवों का पिटारा

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउन्डेशन द्वारा दिल्ली में 30-31 जुलाई को आयोजित नेशनल राइटर्स मीट में देश भर से तीन सौ से ज्यादा लेखकों ने हिस्सा लिया। व्याख्यान अब सवाल-जवाब वाले कई सत्र आयोजित हुए। फाउन्डेशन की वेबसाईट नेशनलिस्ट ऑनलाइन डॉट कॉम को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा लांच किया गया। इस कार्यक्रम से लौटकर अपना अनुभव साझा कर रहे हैं पुष्कर अवस्थी: