आम आदमी पार्टी

केवल दूसरों पर आरोप ही लगाते रहेंगे या अपने वादे भी पूरे करेंगे, केजरीवाल !

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली में सरकार बनाए और मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किए दो साल से अधिक का समय हो चुका है। फ़रवरी, 2015 में वे 67 सीटें जीतकर बड़े बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे। दिल्ली की जनता ने उनके बड़े-बड़े और लोक लुभावने वादों पर भरोसा कर उन्हें इतना बड़ा जनादेश दिया। लेकिन, सत्ता में आने के बाद से अबतक की अवधि

जनता के पैसे से अपनी छवि चमकाने के चक्कर में फँसे केजरीवाल, फिर खुली नयी राजनीति की पोल

अलग तरह की राजनीति का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सत्तारूढ़ हुए दो वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। जनता के हित के बड़े-बड़े काम करने का वादा करके सत्ता में आने वाले केजरीवाल इस दौरान काम तो कुछ नहीं किए हैं; मगर अपने विभिन्न कारनामों के लिए खूब चर्चा में रहे हैं। कभी अपने मंत्रियों की गिरफ़्तारी तो कभी नजीब जंग से लेकर अनिल बैज़ल तक दिल्ली के उपराज्यपालों से

पंजाब की पराजय से सबक लें केजरीवाल

उत्‍तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की कामयाबी जितना चमत्‍कृत करती है, उतना ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की नाकामी। यह नाकामी इसलिए भी महत्‍वपूर्ण बन जाती है क्‍योंकि दिल्‍ली की भांति केजरीवाल ने पंजाब में शपथ ग्रहण समारोह और चुनावी वायदों को पूरा करने का तिथिवार कार्यक्रम घोषित कर रखा था। इतना ही नहीं, पार्टी ने जीत का जश्‍न मनाने के लिए भारी-भरकम बंदोबस्‍त कि

‘आप’ सरकार के दो साल : नहीं पूरे हुए वादे, ठप्प पड़ा दिल्ली का विकास

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए दो वर्ष हो चुके हैं। इन दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान दिल्ली की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। दो साल के कार्यकाल के आधार पर यदि केजरीवाल सरकार का मूल्यांकन करें तो बेहद निराश करने वाली स्थिति नज़र आती है। यह बात तो जगजाहिर है कि केजरीवाल के अभी तक के कार्यकाल का अधिकाधिक समय केंद्र सरकार और दिल्ली के पूर्व

वादों की कसौटी पर विफल आम आदमी पार्टी सरकार

विगत १४ फ़रवरी को दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के दो साल पूरे हो गए । दो साल किसी भी सरकार के काम-काज का आंकलन करने के लिए काफी होता है । ‘आप’ सरकार दो साल तक केंद्र सरकार से टकराव के रास्ते पर चलती रही और उनके कुछ मंत्री विवादों में पड़े । संभव है कि आम आदमी पार्टी ने टकराव को ही अपनी राजनीति का आधार बनाया हो, लेकिन लोकतंत्र में जनहित के कामों को लेकर

दो सालों के शासन में पूरी तरह से नाकाम रही है केजरीवाल सरकार, बिगड़ी दिल्ली की हालत

विकास के नारे के साथ एक दिल्ली के मुख्यमंत्री बनाने वाले केजरीवाल की आप सरकार को दो साल का समय पूरा हो चुका है। दिल्ली के मतदाताओं को स्वच्छ राजनीति, लुभावने वादों और विकास का सब्जबाग दिखाकर केजरीवाल सत्ता तक तो पहुंच गए, लेकिन उनके कार्यकाल में विकास के नाम पर एक पत्ता भी नहीं हिला है। दो साल का समय बीता तो सिर्फ दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र

खुलीआम आदमी पार्टी की पोल, सामने आई नई राजनीति की हकीकत!

गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार आदि को ख़त्म कर देने के वायदो के साथ भोले-भाले लोगों के दिलो मे विश्वास घोलने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे अपने असली रंग में आती जा रही है। जन-लोकपाल और भ्रष्टाचार को हथकण्डा बनाकर लोगों के दिलो में जो विश्वास आम आदमी पार्टी ने कायम किया था, वह पार्टी की आंतरिक खामियों की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है। जिन लोगों ने जनता को यकीन

उतर गया आम आदमी पार्टी के चेहरे से नैतिकता का नकाब, सामने आया असल चरित्र!

जब भी आम आदमी पार्टी के किसी नेता पर कुछ आरोप लगता है तो समूची पार्टी उसके साथ खड़ी होती है,आरोपों को झूठा साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती। ताज़ा मामला यूँ है कि आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार का एक आपत्तिजनक विडियो का मामला प्रकाश में आया है। इस विडियो में संदीप कुमार कुछेक महिलाओं के साथ बेहद

राजनीतिक मूल्यों और विचारों से हीन है आप, पतन तो होना ही है!

आम आदमी पार्टी (आप) गत फ़रवरी में जब सत्ता में आई तबसे अबतक वो अपने कामों के लिए कम कारनामों के लिए अधिक चर्चा में रही है। राजनीतिक शुचिता, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा की बड़ी-बड़ी कसमें खाकर सत्ता में आने वाली आप ने सत्ता का रसपान करते ही कैसे इन कसमों को तिलांजलि दे दी, उसकी गवाही उसके शासन का ये लगभग डेढ़ साल का समय देता हैं।

ईमानदार राजनीति की निकली हवा, दिल्ली सरकार के पदों की बंदरबाँट करने में डूबे केजरीवाल!

अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन का सहारा लेकर अरविन्द केजरीवाल व उनकी टीम ने मौका देख धीरे-से पूरे आंदोलन को एक-तरफ़ कर अपना नया राजनीतिक एजेंडा आम आदमी पार्टी के रूप में देश में लांच किया।