कांग्रेस

सत्ता में आते ही उजागर होने लगा कांग्रेस का असली चेहरा

गंगा जल लेकर कर्जमाफी का वादा कर सत्‍ता में आई कांग्रेस पार्टी का असली चाल-चरित्र उजागर होने लगा है। किसानों की कर्जमाफी के लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं, उल्‍टे उन्‍हें तीन-तीन दिन से यूरिया के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है। कांग्रेस के सत्‍ता में आते ही मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़ में जमाखोर व बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं। जो यूरिया भाजपा के शासन काल

क्यों उठ रहे हैं कमलनाथ सरकार की कर्जमाफी पर सवाल?

मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने पार्टी के बड़े चुनावी वादे किसान कर्जमाफ़ी का ऐलान भी कर दिया है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा जारी वचन-पत्र से लेकर राहुल गांधी के भाषणों तक में कर्जमाफी का वादा प्रमुखता से दिखाई दिया था। जाहिर है, कांग्रेस पर इस वादे को पूरा करने को लेकर

नेशनल हेराल्ड : दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से मुश्किल में कांग्रेस

गत 21 तारीख को नेशनल हेराल्ड मामले में एसोसिएट जर्नल्स लिमटेड (एजेएल) की तरफ से दायर याचिका पर आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल बीते अक्टूबर में भूमि विकास कार्यालय द्वारा कांग्रेस के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स को लीज समाप्ति के चलते नवम्बर में हेराल्ड हाउस खाली करने का नोटिस भेजा गया था। 

‘कमलनाथ के बयान पर हैरानी नहीं होती, क्योंकि कांग्रेस की राजनीति का मूल चरित्र यही है’

मध्‍य प्रदेश में इस सप्‍ताह नई सरकार की आधिकारिक शुरुआत हो गई। सप्‍ताह की शुरुआत में ही कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और नव-निर्वाचित मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ग्रहण की और पदभार ग्रहण किया। कार्यभार संभालते ही जिस तरह से उन्‍होंने जहां महज सुर्खियां बटोरने के लिए बिना किसी योजना-मंत्रणा के किसानों की कर्ज माफी का ऐलान कर दिया, वहीं दूसरी तरफ देश

सज्जन कुमार को सज़ा सुनाते हुए अदालत ने जो बात कही है, वो कांग्रेस पर गंभीर सवाल खड़े करती है!

1984 में हुए सिखों के नरसंहार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। 1984 से न्याय की आस लगाए पीड़ित परिवारों के लिए यह संतोषजनक फ़ैसला है। कोर्ट ने 31 दिसंबर तक सज्जन कुमार को आत्मसमपर्ण करने के निर्देश दिए हैं।

‘इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं, उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है’

तीन राज्‍यों में भारतीय जनता पार्टी को कांटे की टक्‍कर के साथ मिली पराजय ने कांग्रेस पोषित मीडिया और बुद्धिजीवियों को 2019 के लोक सभा चुनाव की भविष्‍यवाणी करने का मौका दे दिया। ये लोग यह नहीं देख रहे हैं कि इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं बल्‍कि उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है। कांग्रेस इस कड़वी हकीकत को जानती है कि युवा बेरोजगारों को सरकारी

मोदी सरकार की बड़ी सफलता, लंदन कोर्ट ने दी माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी

भारतीय बैंकों का पैसा लूटकर ब्रिटेन भागने वाले कारोबारी विजय माल्या को देश लाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है। लन्दन की कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण सम्बन्धी मामले में आज फैसला आया है, जिसमें अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इस सुनवाई के दौरान भारत की तरफ से अदालत में सीबीआई संयुक्त निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो

मिशेल के प्रत्यर्पण ने कांग्रेस की धड़कने बढ़ा दी हैं!

शीशे के घरों में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। कांग्रेस पिछले चार वर्षों से यही कर रही है। कुछ दिन तक उसने राफेल डील पर घोटाले का आरोप लगाया था। लेकिन बिना तथ्यों के लगाए गए आरोप ने कांग्रेस की फ्रांस तक जगहँसाई कराई। राहुल द्वारा लगाए गए आरोपों का फ़्रांस तक ने खण्डन किया

अगस्ता-वेस्टलैंड : मिशेल के प्रत्यर्पण से कांग्रेसी खेमे में इतनी बौखलाहट क्यों है?

इस सप्‍ताह हुए एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत अगस्‍ता वेस्‍टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को मंगलवार की रात यूएई से प्रत्‍यर्पित करके नई दिल्‍ली लाया गया। निश्चित ही यह मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता है। इस सफलता की अहमियत इससे प्रकट होती है कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्‍या ने स्‍वत: ही सहमकर ट्विट किया कि वो बैंकों का सौ प्रतिशत पैसा वापस

राफेल पर कांग्रेस के झूठ की खुल रही पोल!

अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस वर्तमान में इस स्थिति में नहीं है कि वह चुनावों में जनता के भरोसे पर खरी उतर सके। सत्ता में विफल रहने के बाद पिछले साढ़े चार सालों में विपक्ष के रूप में भी कांग्रेस की भूमिका बेअसर रही है। वाजिब मुद्दों के अभाव में कांग्रेस फिजूल के मुद्दों की हवा बनाने में लगी है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरी पार्टी ने