रामजन्मभूमि से प्राप्त हो रहे ऐतिहासिक अवशेषों पर छद्म-धर्मनिरपेक्षों को सांप सूंघ गया है
बार-बार प्रमाण प्रस्तुत करने के बावजूद ऐसे लोगों ने राम मंदिर के अस्तित्व को अस्वीकार करने में कोई कोर कसर बाक़ी नहीं रखी। जो अयोध्या राममय है, जिसके पग-पग परa श्रीराम के चरणों की मधुर चाप सुनाई पड़ती है, वहाँ वे बाबर की निशानदेही तलाशते रहे।
गणतंत्र दिवस: भारतीय संविधान में मौजूद राम-कृष्ण के चित्रों के बारे में कितना जानते हैं आप?
भारत की स्वतंत्रता और संविधान निर्माण को अलग करके नहीं देखा जा सकता। दोनों भारत के गौरवशाली अवसर हैं। इससे हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। यह तो आप जानते हैं कि आज की तारीख को ही 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ था, लेकिन क्या आपको मालूम है कि मूल संविधान में अनेक चित्र थे। इनका निर्माण नन्दलाल बोस ने किया था। यह हमारे गौरवशाली अतीत की झलक देने वाले थे। गणतंत्र दिवस पर इनकी भी चर्चा होनी चाहिए।
केवल दार्शनिक और सन्यासी ही नहीं, महान समाज सुधारक भी थे शंकराचार्य
शंकराचार्य के कर्तृत्व और जीवन यात्रा को देखने पर हम पाते है कि वैदिक धर्म को उन्होने समय की मांग, व्यक्ति की रूचि एवं जिज्ञासा तथा समाज के कल्याण की सर्वोपरि भावना के रूप में व्याख्यापित किया। आत्म ज्ञान एवं मोक्ष के प्रति उत्कट भावना ने उन्हे मात्र नौ वर्ष की आयु में सन्यास आश्रम में प्रवेश करा दिया। कदाचित् यह आश्रम व्यवस्था का व्यतिक्रम है, यदि ऐसा वे उस समय कर सकते हैं
शस्त्र और शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं परशुराम
मनुष्य के लिए आत्मरक्षण और समाज-सुख-संरक्षण के निमित्त शस्त्र का आराधन भी आवश्यक है। शर्त यह है कि उसकी शस्त्र-सिद्धि पर शास्त्र-ज्ञान का दृढ़ अनुशासन हो। भगवान परशुराम इसी शस्त्र-शास्त्र की समन्वित शक्ति के प्रतीक हैं। सहस्रार्जुन के बाहुबल पर उनकी विजय उनकी शस्त्र-सिद्धि को प्रमाणित करती है, तो राज्य भोग के प्रति उनकी निस्पृहता
अज्ञानतापूर्ण और आपत्तिजनक है कृष्ण पर प्रशांत भूषण की टिप्पणी
कभी आतंकी याकूब मेमन की फांसी को रोकने के लिए रतजगा करने वाले प्रशांत भूषण ने उत्तर प्रदेश में एंटी-रोमियो स्क्वाड का विरोध करते हुए भगवान श्रीकृष्ण पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। हालांकि उनकी यह टिप्पणी मुझे अधिक हैरान नहीं करती, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में अनेक आतंकवादियों (राक्षसों) का वध किया था, इसलिए बहुत स्वाभाविक है कि याकूब मेमन जैसे आतंकवादियों के
दिल्ली का इतिहास: पांडवों की राजधानी से लेकर भारत की राजधानी तक
देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास का सिरा भारतीय महाकाव्य महाभारत के समय…
जीवन के हर क्षेत्र में सारथी की भूमिका निभाते हैं कृष्ण के विचार!
कृष्ण का जीवन जितना रोचक है, उतना ही मानवीय और मर्यादित भी। इसीलिए आम इंसान को बहुत कुछ सिखाता-समझाता है। नंदगांव के कन्हैया से लेकर अर्जुन के पार्थ तक उनका चरित्र जीवन जीने के अर्थपूर्ण संदेश संजोये हुए है, जो हर तरह से मानव कल्याण और जन सरोकार के भाव लिए हैं।
मनुष्य को मनुष्य की तरह जीने की शिक्षा देने वाले महामानव थे कृष्ण!
जीवन के साथ ही मृत्यु घेरने लगती है और अनवरत हमले करने शुरू करती है। कुछ इस हमले से उबर जाते हैं और कुछ पहले ही झपट्टे में ध्वस्त। यह तय बात है कि जिस किसी ने भी जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। मगर कुछ लोग काल को टाल देते हैं और ऐसे ही लोग कालजयी या कालातीत कहलाते हैं।