केजरीवाल

घोटालों की सरताज बनती जा रही आम आदमी पार्टी !

आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। निरर्थक मुददों को लेकर विवादों में रहने वाले पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल फिर से मुश्किल में हैं। ताजा मामले में खबर है कि पार्टी पर 139 करोड़ रुपए के बड़े घोटाले का आरोप है। यह घोटाला निर्माण श्रमिक कोष को लेकर है। दिल्‍ली सरकार एक बार फिर से कठघरे में खड़ी है। शिकायत के अनुसार दिल्‍ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में उन लोगों का भी गैर-

घोटालों और नाकामियों के ढेर पर बैठी केजरीवाल सरकार !

कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट में गंभीर खुलासे सामने आए हैं। इस खुलासे से बहुत सारी चीजें सार्वजनिक प्रकाश में आ गईं जो अभी तक दबे-छिपे रूप से संचालित हो रही थीं। आम आदमी पार्टी की सरकार इस रिपोर्ट के आने के बाद मुश्किल में फंसती नज़र आ रही है। यह मुश्किल भी छोटी-मोटी नहीं, बड़ी और निर्णायक है; क्‍योंकि, भाजपा एवं कांग्रेस दोनों दलों ने अब आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल

राशन घोटाला : क्या अगला लालू बनने की राह पर हैं केजरीवाल !

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार का तो जैसे विवादों से चोली-दामन का साथ हो गया है। एक विवाद के सुर जरा थमते नहीं कि अगला विवाद कोहराम मचा देता है। अभी पार्टी और सरकार के मुखिया अरविन्द केजरीवाल द्वारा अपने हवा-हवाई आरोपों के लिए लोगों से घूम-घूमकर माफ़ी मांगने के कारण पार्टी की फजीहत हो ही रही थी कि तभी कैग की रिपोर्ट में दिल्ली में राशन घोटाले का मामले ने आप सरकार की हवाइयां

राशन घोटाला : भ्रष्टाचार और झूठ के बेताज बादशाह हैं केजरीवाल !

कांग्रेसी भ्रष्‍टाचार की पैदाइश (आम आदमी पार्टी) से जनता ने उम्‍मीद की थी कि वह देश में शुचिता और जवाबदेही की राजनीति के एक नए युग का सूत्रपात करेगी, लेकिन वह केजरीवाल के झूठ और भ्रष्‍टाचार का शिकार बनकर रह गई। यही कारण है कि सरकार बनने के बाद से ही घोटाले सामने आ रहे हैं। राशन कार्ड के बदले अस्‍मत लूटने का कारनामा संभवत: पहली बार केजरीवाल के मंत्री ने किया होगा। इसके बाद तो

अन्ना को सबसे पहले अपने राजनीतिक शिष्य केजरीवाल के खिलाफ जनांदोलन करना चाहिए !

इसे विडंबना ही कहेंगे कि एक ओर अन्‍ना हजारे भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन के दूसरे चरण का आगाज कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी राजनीतिक पैदाइश (अरविंद केजरीवाल) भ्रष्‍टाचार के नित नए कीर्तिमान बना रहे हैं। इतना ही नहीं, एक नई तरह की राजनीति करने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल आजकल माफीनामा लेकर घूम रहे हैं। गौरतलब है कि ईमानदारी और स्‍वच्‍छता के नए प्रयोग के दावे और वादे के

पंजाब में टूट की ओर बढ़ती आम आदमी पार्टी

झूठ को गढ़ने और उसे बहुप्रचारित करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। इन्होने पंजाब चुनाव से पहले पूरे देश को बताया कि वहाँ पूरी युवा पीढ़ी ड्रग्स की वजह से तबाह हो गई है। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अकाली नेता बिक्रम मजीठिया खुद नशे के सौदागरों से मिले हुए हैं और नशे की तस्करी में शामिल हैं।

अहंकार में चूर केजरीवाल यह नहीं समझ रहे कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती !

आम आदमी पार्टी में एक बार फिर से घमासान मचा हुआ है। इस बार फिर से सत्‍ता को ही लेकर खींचतान मची और उसके परिणामस्‍वरूप पार्टी के भीतर आंतरिक कलह फिर प्रकट हो गई। पार्टी ने इसी सप्‍ताह राज्‍यसभा के लिए अपने तीन प्रत्‍याशी तय किए। 16 जनवरी को चुनाव होना है और परिणाम आएंगे। इनमें बाहरी प्रत्‍याशी सुशील गुप्‍ता और नारायण गुप्‍ता को स्‍थान दिया गया। संजय सिंह पहले से थे।

‘आप’ के पांच साल : व्यवस्था परिवर्तन के वादे से मोदी के अंधविरोध की राजनीति तक

अन्‍ना आंदोलन की कोख से पैदा हुई आम आदमी पार्टी (आप) अपनी स्‍थापना की पांचवी सालगिरह मनाने में जोर-शोर से जुटी है। दिल्‍ली के रामलीला मैदान में होने वाले इस समारोह के लिए “क्रांति के पांच साल” नामक नारा दिया गया है। लेकिन जिस शुचिता और ईमानदारी के संकल्‍प के साथ पार्टी का गठन हुआ था, अब उसका कोई नामलेवा नहीं रह गया है।

जिन चिदंबरम को कभी ‘सबसे भ्रष्ट’ कहा था, अब उन्हीसे अपनी पैरवी करवाएंगे केजरीवाल !

ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब केजरीवाल ने 2014 के चुनावों के दौरान ‘सबसे-भ्रष्ट-नेताओं’ की एक सूची जारी की थी, जिसमें चिदंबरम का नाम भी शामिल था। अब 2017 में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच शक्ति के बंटवारे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के समक्ष दायर मुकदमे की सुनवाई में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए केजरीवाल ने पी. चिदंबरम को चुना है। पी. चिदंबरम उस कानूनी टीम

केजरीवाल की राष्ट्रीय नेता बनने की निरर्थक महत्वाकांक्षा ने ‘आप’ को पतन की ओर धकेल दिया है !

दिल्‍ली पर राज कर रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए 23 अगस्‍त को होने वाला बवाना विधानसभा उप चुनाव एक इम्‍तिहान से कम नहीं है। एक के बाद एक कई चुनाव हारने के बाद अपनों की बगावत और केजरीवाल की छवि पर हो रहे चौतरफा हमले के कारण इस चुनाव का महत्‍व बहुत बढ़ गया है।