केरल

केरल की बाढ़ का एक बड़ा कारण कांग्रेस और वामपंथियों की वोट बैंक की राजनीति भी है!

केरल में आई भीषण बाढ़ का एक कनेक्‍शन तुष्टिकरण की राजनीति से भी जुड़ा है जिसकी ओर बहुत कम लोगों का ध्‍यान जा रहा है। केरल का सबसे बड़ा चर्च है सायरो-मालाबा कैथोलिक चर्च। केरल के पश्‍चिमी घाट पर रहने वाले ज्‍यादातर ईसाई इसी से जुड़े हैं और इनके बड़े-बड़े बागान हैं। इस चर्च ने 2013 में कम्‍युनिस्‍टों के साथ मिलकर गाडगिल समिति की सिफारिशों के

यूएई की मदद का झूठ फैलाने वाले वही लोग हैं जिन्हें ‘क़यामत’ में भी सियासत दिखती है!

केरल इन दिनों बाढ़ की भीषण विभीषिका से दो-चार हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग मृत, विस्थापित और घायल हुए हैं। केरल में वामपंथी मोर्चे की सरकार है जिसपर राज्य में भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या करवाने और हत्यारों को बचाने का आरोप लगता रहा है। बावजूद इसके भाजपानीत केंद्र सरकार ने बाढ़ की इस आपदा के समय बिना देरी के केरल की मदद को

केरल पर कुदरत का कहर, कंधे से कंधा मिलाकर मददगार बनी केंद्र सरकार

केरल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा आई हुई है। लगभग आधे से अधिक राज्‍य भीषण बाढ़ के प्रकोप में है। अभी तक यहां 300 से अधिक लोगों की मौत बाढ़ के चलते हुई है। सैकड़ों की संख्‍या में लोग बेघर हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक जान-माल के नुकसान का आंकड़ा 20 हज़ार करोड़ तक पहुंच चुका है। निश्चित ही केरल की यह आपदा इस सदी की सर्वाधिक भीषण

भारत ही नहीं, दुनिया भर में हिंसा और दमन से भरा है वामपंथ का इतिहास !

कम्युनिस्ट देशों में असहमति जताने का अर्थ है देशद्रोह। सोवियत संघ ने कैसे अपने नागरिकों के मन में भय और घुटन को जन्म दिया, इसे इतिहास के विद्यार्थी भलीभांति जानते हैं और उसी की अंतिम परिणति सोवियत संघ के विभाजन में हुई। युद्ध और रक्तपात ही साम्यवाद की पहचान है और उसी का परिचायक है, उनका बहुचर्चित नारा ‘लाल सलाम’। भले ही भारत के अधिकांश हिस्से में साम्यवाद की कोई प्रासंगिकता

वामपंथी हिंसा का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता आनंद, पी. विजयन के शासन में चौदहवीं हत्या

केरल में राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध पिन्नाराई सरकार की शह पर वामपंथियों के द्वारा लगातार की जा रही घात-प्रतिघात की राजनीति के विरुद्ध भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में चली जनरक्षा यात्रा को अभी 1 महीने भी नहीं पूरे हुए थे कि संघ का एक और स्वयंसेवक फिर से वामपंथियों की रक्तरंजित राजनीति का शिकार हो गया है। त्रिसूर जिले के अंतर्गत नेन्मेनिक्करा निवासी संघ के कार्यकर्ता आनंद (26) की हत्या

जनरक्षा यात्रा : केरल में भी वामपंथियों के लिए बजने लगी खतरे की घंटी !

लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद एवं बहस-मुबाहिसों को पर्याप्त स्वीकार्यता प्रदान की गयी है। स्वतंत्रता के पश्चात भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अनेक ऐसे दलों का निर्माण हुआ जो किसी न किसी वैचारिक विरोध के फलस्वरूप अस्तित्व में आए। लेकिन वैचारिक भिन्नता की वजह से हिंसा का सहारा लेना किसी भी दृष्टि से न तो लोकतंत्र के अनुकूल है और न ही इसे उचित ठहराया जा सकता है। स्वस्थ बहस और वाद

जनरक्षा यात्रा : केरल में भाजपा की बढ़ती धमक

केरल की वामपंथी हिंसा के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा जनरक्षा यात्रा की शुरुआत के गहरे अर्थ हैं। दरअसल केरल में आजादी के बाद से ही संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं पर हमले होते रहे हैं, जिनमें अबतक लगभग तीन सौ कार्यकर्ताओं की जान जा चुकी है। इनमें सर्वाधिक हत्याएं केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के क्षेत्र कन्नूर में होने की बात भी कही जाती रही है।

जनरक्षा यात्रा : कम्युनिस्ट हिंसा को भाजपा का लोकतान्त्रिक जवाब

इसमें दो राय नहीं है कि राजनीति मौजूदा समाज का दर्पण है। समाज के प्रचलित मूल्‍य राजनीति में भी झलकते हैं। जहां तक वर्तमान राजनीति की बात है, यह उस दौर से गुजर रही है जो पहले कभी नहीं देखा गया। ऐसा प्रतीत होता है मानो भाजपा सरकार की सफलता से भयाक्रांत होकर सारे विपक्षी दल लामबंद होकर नफरत एवं हिंसा के सतही हथकंडों पर उतर आए हैं।

जनरक्षा यात्रा : केरल की वामपंथी हिंसा के विरुद्ध भाजपाध्यक्ष अमित शाह की हुंकार !

‘केरल’, जिसे ईश्वर की भूमि कहा जाता है, वामपंथी शासन में राजनीतिक हिंसा का खूनी अखाड़ा बनता जा रहा है। अबतक यहाँ भाजपा और संघ के करीब 300 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकतर हत्याएं खुद मुख्यमंत्री पी. विजयन के क्षेत्र कन्नूर में हुई हैं। वामपंथी बुद्धिजीवी, तथाकथित मानवाधिकारवादी जो भाजपा-शासित राज्यों पर सवाल उठाने के मामले में सबसे आगे होते हैं, इन हत्यायों पर खामोश नज़र आते हैं।

जनरक्षा यात्रा : केरल में जमीन पर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ चुकी है भाजपा

देश में इस समय केवल अमित शाह ही ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का सच्चे अर्थों में निर्वाह कर रहे हैं। वह भाजपा को उन प्रदेशों में मजबूत बनाने के अभियान पर हैं, जो पहुंच से दूर समझे जाते थे। केरल की जनरक्षा यात्रा यहां के समीकरण बदलने की दिशा में बढ़ रही है। शाह ने पहले दिन नौ किलो मीटर की यात्रा की थी। दूसरे दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसे आगे बढ़ाया। योगी आदित्यनाथ करीब नौ किलो मीटर