केरल

पतन की कगार पर खड़े वामपंथी खेमे की बौखलाहट

आजकल वामपंथी विचार को मानने वाले छात्र संगठन, पत्रकार समूह और बुद्धिजीवियों में अजीबो-गरीब बेचैनी देखने को मिल रही है। हालांकि इस तरह के लक्षण और इनकी ओछी हरकते कोई नई नहीं है। ये इन दिनों देश में होने वाली छोटी से बड़ी सारी नकारात्मक घटनाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

गौरी लंकेश की हत्या पर बोलने वाले बुद्धिजीवी केरल की वामपंथी हिंसा पर मुंह में दही क्यों जमा लेते हैं?

300 से अधिक राजनीतिक हत्याएं और हजारों लोग हिंसा के शिकार। चौंकाने वाला आंकड़ा है। मगर, यह आंकड़ा न तो कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएस प्रभावित इराक या सीरिया का है और ना ही तालिबान प्रभावित किसी देश का है। यह आंकड़ा उस देश का है, जहाँ एक वामपंथी और घोषित रूप से हिंदुत्व विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर ऐसा बवाल मचाया जाता है कि मानों देश में सब कुछ असुरक्षित है। वहीं

केरल की वामपंथी हिंसा पर कब टूटेगी ‘असहिष्णुता गिरोह’ की खामोशी ?

केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएगी? एक तरफ वामपंथी बौद्धिक गिरोह देश में असहिष्णुता की बहस चलाकर मोदी सरकार को घेरने का असफल प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर उनके समान विचारधर्मी दल की केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में असहमति की आवाज उठाने वालों को मौत के

केरल में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कब टूटेगी मानवाधिकारवादियों की खामोशी ?

केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकताओं के कत्लेआम का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोकतंत्र में मतभेद संवाद से दूर होते हैं, हिंसा के सहारे विरोधियों का खात्मा नहीं किया जाता। राजनीतिक हिंसा तो अस्वीकार्य है ही। पर, केरल में लेफ्ट फ्रंट सरकार को यह समझ नहीं आता। केरल में भाजपा और संघ के जुझारू और प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस

सूर्यास्त की ओर बढ़ती वामपंथी राजनीति

हर मुद्दे पर सिद्धांतवादी राजनीति का ढिंढोरा पीटने वाली वामपंथी राजनीति की असलियत उजागर करने वाले उदाहरणों की कमी नहीं है। ताजा मामला केरल की भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (सीपीआई) नेता एमएस गीता गोपी की बेटी की शादी का है, जिसमें सोने के गहनों से लदी उनकी बेटी की तस्‍वीर चर्चा का विषय बनी। क्‍या इतनी वैभवपूर्ण शादी सिद्धांतवादी राजनीति करने वाली पार्टी का कोई नेता बिना भ्रष्‍टाचार किए कर लेगा?

कन्नूर में यूथ कांग्रेस के लोगों ने जो किया, वैसी हरकतें कांग्रेस की बची-खुची लुटिया भी डुबो देंगी!

केरल के कन्नूर में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा गाय काटने की घटना निहायत घटिया, शर्मनाक और शैतानी हरकत है। इसे देश में गाय के नाम पर माहौल को बिगाड़ने की साज़िश माना जाना चाहिए। ऐसे लोगों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए। यह मत भूलिए कि केरल के कन्नूर जिले में लगातार भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं की हत्याएं भी हो रही हैं।

सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी

सीपीएम कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे – हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर, सिर काट लेंगे !

ताज़ा घटना दिनांक 30 अप्रैल की है जब संघ के एक नवनिर्मित सेवा केंद्र को कन्नूर में उद्घाटन के महज २४ घंटों के अन्दर ही वामपंथी गुंडों के द्वारा तहस नहस कर दिया गया। इस केंद्र का शुभारम्भ जे नन्द कुमार जी ने किया था। रात्रि के तीसरे पहर में हुए आक्रमण में कार्यालय के अन्दर रखी सारी वस्तुएं तोड़ डाली गयीं; खिड़कियाँ, दरवाजे एवं ईमारत में लगे शीशे तोड़ डाले गए। भवन की बाहरी

केरल की वामपंथी हिंसा का जवाब देने के लिए अब मिशन मोड में भाजपा

ईश्वर की धरती कहलाने वाला केरल दानव की धरती बन चुकी है। संघ और भाजपा के कार्यकर्ता यहाँ लगातार वामपंथी गुंडों का निशाना बन रहे हैं। मगर, इसपर मीडिया से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक खामोशी पसरी है। क्या केरल में मारे जाने वाले इंसान नहीं हैं? क्यों केरल में हो रही हत्याओं पर कथित प्रगतिशील लेखक बिरादरी अपने पुरस्कार वापस नहीं करती?

लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए भाजपा नेता रवींद्रनाथ

अभी सी.पी.एम. के कार्यकर्ताओं के हाथों केरल भाजपा के युवा कार्यकर्ता निर्मल (20) की हत्या के एक सप्ताह भी नहीं बीते कि यहाँ एक और भाजपा नेता की मौत मार्क्सवादी हिंसा में हो गयी है। भाजपा के कडकल पंचायत समिति के अध्यक्ष एवं सेवानिव्रित पुलिस इंस्पेक्टर रवींद्रनाथ (58) दिनांक 2 फ़रवरी को मार्क्सवादियों के घातक हमले में घायल हो गए थे। उनके सर पर गंभीर चोटें आई थीं। इस चोट के कारण