मोदी सरकार के अध्यादेश से सहकारी बैंकों के भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देश में बैंकिंग नियम (संशोधन) अध्यादेश लागू हो गया है। इसके जरिए अब सरकारी बैंकों की तरह देश भर के सहकारी बैंक भी रिजर्व बैंक की निगरानी में आ जाएंगे।
भ्रष्टाचार रोकने में सफल साबित हो रही मोदी सरकार
मोदी सरकार की भ्रष्टाचार रोकने की मुहिम सफल होती दिख रही है, इस बात का खुलासा हाल में आये कुछ रिपोर्टों से हुआ है। वित्त वर्ष 2019 में देश के 20 राज्यों में भ्रष्टाचार 10 प्रतिशत कम हुआ है। इंडिया भ्रष्टाचार सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी कामकाज में रिश्वतखोरी पर पिछले कुछ वर्षों में थोड़ी लगाम लगी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर प्रतिबद्ध सरकार
बीते शुक्रवार को सीबीआई ने एक अनपेक्षित और बड़ी कार्यवाही की। ब्यूरो ने पूरे देश भर में करीब डेढ़ सौ शासकीय कार्यालयों पर छापेमार कार्यवाही की जो कि पूरी तरह से औचक थी। इस अचानक हुई छापेमारी से वहां मौजूद कर्मचारियों में खलबली सी मच गई। किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। इस कवायद का मुख्य ध्येय सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर रोकथाम था।
मैं भी चौकीदार: मोदी की सकारात्मक राजनीति का एक और उदाहरण
इस अभियान के बाद ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने वाले विपक्षियों को सांप सूंघ गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि इसका क्या जवाब दिया जाए। चौकीदार को चोर कहने पर अब एकसाथ असंख्य चौकीदार जवाब में उतर पड़ रहे हैं। दरअसल ये मोदी की राजनीति है, जो जितनी सकारात्मक भावना से ओतप्रोत है, विपक्ष को जवाब देने में उतनी ही प्रभावी भी है।
भ्रष्टाचार के इतने आरोपों के बाद भी इस्तीफा क्यों नहीं देते केजरीवाल ?
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की सता पर पिछले तीन साल से काबिज हैं। 2015 में मतदाताओं ने उनके भ्रष्टाचार विरोधी और लोक कल्याण समर्थक वादों से प्रभावित होकर उन्हें भारी-भरकम बहुमत देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था। लेकिन, तीन सालों से अधिक के अपने कार्यकाल में केजरीवाल की सरकार अपने काम के लिए नहीं, कारनामों के लिए ही चर्चा में
मोदी सरकार की नीतियों से भ्रष्टाचार में आई कमी, बढ़ी विकास की रफ़्तार !
भ्रष्टाचार को विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा माना जा सकता है। बढ़ते वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वित्तीय लेनदेन में भ्रष्टाचार की गूँज साफ तौर पर सुनाई देती है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जो अपने यहाँ इसकी उपस्थिति से इंकार कर सके। देखा जाये तो लेन-देन की लागत में इजाफा, निवेश में कमी या बढ़ोतरी या संसाधनों के दुरुपयोग में भ्रष्टाचार की सक्रियता बढ़ जाती है। भ्रष्टाचार का प्रतिकूल प्रभाव निर्णय लेने की
मोदी सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने पर अन्ना को ‘जन्नत की हकीकत’ मालूम हो जाएगी !
किस तरह से कभी-कभी कुछ नेता और आंदोलनकारी अप्रासंगिक हो जाते हैं, उसका शानदार उदाहरण है अन्ना हजारे। अब उन्हें कोई याद तक नहीं करता। उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती। एक दौर में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई के प्रतीक बनकर उभरे थे। अब वही अन्ना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेतावनी दे रहे हैं लोकपाल की नियुक्ति को लेकर। आंदोलन की धमकी दे रहे हैं।
लालू पर लगे भ्रष्टाचार के ताज़ा आरोपों के बाद क्या सोच रहे होंगे नीतीश ?
चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव और उनके बेटे बेटियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई। आरोप है कि उनके रेल मंत्री रहते हजार करोड़ रुपए के आसपास बेनामी संपत्ति उनके बेटों और बेटियों के नाम पर की गईं। यह तो जांच के बाद साफ हो पाएगा कि इन आरोपों में कितना दम है, लेकिन लालू यादव एक बार फिर से भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं। पटना में अस्सी लाख की मिट्टी खरीद का आरोप
तकनीक के जरिये भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की दिशा में बढ़ती मोदी सरकार
2018 के अंत तक सभी प्रकार की उर्वरक सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में भेजने की योजना है। इतना ही नहीं आगे चलकर सरकार जमीन की रजिस्ट्री, यात्रा की टिकट जैसे सभी क्रियाकलापों को आधार नंबर से जोड़ेगी। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर सेवाओं तक आसान पहुंच बनेगी और सरकारी कामकाज भी सरल हो जाएगा। स्पष्ट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र
शुंगलू समिति की रिपोर्ट से बेनकाब हुआ केजरीवाल की ईमानदारी का असल चेहरा
अगर देश की जनता को हाल के दौर में किसी एक नेता ने सर्वाधिक छला और निराश किया है, तो वो अरविंद केजरीवाल हैं। अपने आप को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला बताने वाला यह शख्स भ्रष्टाचार और नियमों की अवहेलना करने में सबसे आगे रहा है। केजरीवाल के ईमानदार और पारदर्शी सरकार देने के तमाम दावों को तार-तार कर दिया है शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट ने। दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल