मोदी सरकार

न्यूनतम मजदूरी में पांच गुना तक वृद्धि का प्रस्ताव, आएंगे मजदूरों के अच्छे दिन!

केंद्र सरकार ने मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी में इजाफा करने के लिये वीवी गिरि नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के फेलो अनूप सत्पथी के नेतृत्व में विगत वर्ष एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट का प्रकाशन 11 फरवरी को किया गया है

केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन क्यों नहीं करते अन्ना हजारे?

अन्‍ना हजारे को मोदी सरकार के विरूद्ध अनशन करने से पहले 2011 के चर्चित अन्‍ना आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी और उसकी सरकार के भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन करना चाहिए। संभव है कि इससे उनके आंदोलन से उपजी पार्टी एक ईमानदार सरकार का प्रतिमान स्‍थापित कर देश की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश करे।

चार सालों में सुशासन और विकास के हर मोर्चे पर कांग्रेस से बेहतर साबित हुई है मोदी सरकार !

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की सरकार सत्ता में आई। आजादी के इतने वर्षों बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार को अकेले दम पर बहुमत मिला। नरेन्द्र मोदी के करिश्माई चेहरे के आगे विपक्ष ढेर हो गया। जनता ने मोदी को दिल खोलकर अपना समर्थन दिया। इसका मुख्य कारण था कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की कुनीतियाँ। कांग्रेस के कार्यकाल में भ्रष्टाचार

आकांक्षी जिला कार्यक्रम : मोदी राज में अति पिछड़े जिलों में भी पहुँच रही विकास की रोशनी

देश के सर्वागीण विकास और 2022 तक न्‍यू इंडिया के ख्‍वाब को हकीकत में बदलने के लिए मोदी सरकार ने देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों में 5 जनवरी 2018 को आकांक्षी जिला कार्यक्रय (एस्‍पीरेशनल डिस्‍ट्रिक्‍ट प्रोग्राम या एडीपी) शुरू किया।

एकीकरण और पुनर्पूंजीकरण के जरिये बैंकों को मजबूती देने में जुटी मोदी सरकार

विजया बैंक और देना बैंक का एक अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो जायेगा। देश में पहली बार तीन बैंकों का एकीकरण होगा। इस विलय से बनने वाला बैंक परिसंपत्ति के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक और कुल मिलाकर तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश का सबसे बड़ा बैंक है जबकि दूसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक है।

मोदी सरकार की नीतियों का असर, दुनिया में सबसे तेजी से भारत में कम हो रही गरीबी !

जिस देश में गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीबी बढ़ती गई हो, वहां गरीबी मिटाने की बात करना कल्‍पना-लोक में विचरण करना ही माना जाएगा। सौभाग्‍यवश यह कल्‍पना अब हकीकत में बदल चुकी है। अमेरिकी शोध संस्‍था ब्रुकिंग्‍स के फ्यूचर डेवलपमेंट ब्‍लॉग में प्रकाशित रिपार्ट के मुताबिक भारत अब दुनिया का सबसे ज्‍यादा गरीबों का घर नहीं रह गया है। मई, 2018

रंग ला रही है मोदी सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम!

आजादी के बाद से ही तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में उलझी सरकारों ने देश की विशाल आबादी को संपदा न मानकर आपदा माना और उन्‍हें आपस में उलझाए रखने का काम किया। बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाली सरकारों का पूरा जोर येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने और उसके बाद अपनी झोली भरने पर रहता था। इंदिरा गांधी की नीतिशून्‍य राजनीति के दौर

राहुल गांधी की किसान-कल्याण की सुई कर्जमाफी से आगे क्यों नहीं बढ़ रही?

कर्जमाफी के लोकलुभावन मुद्दे पर तीन राज्यों के चुनावों में जीत करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जैसे कर्जमाफी के अलावा और कुछ दिख ही नहीं रहा। गत दिनों उन्होंने कहा कि जबतक प्रधानमंत्री पूरे देश का कर्ज माफ़ नहीं करते, वे उन्हें सोने नहीं देंगे। इस बात से संकेत यही निकलता है कि लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी कर्जमाफी को मुद्दा बनाने वाले हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की किसान कल्याण की सुई कर्जमाफी से आगे क्यों नहीं बढ़ रही?

राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में कामयाब रहेगी मोदी सरकार!

अगले वर्ष चुनाव होने के कारण सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है। फिर भी,  राजकोषीय घाटा के लक्ष्य के अनुरूप रहने का अनुमान है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र की हिस्सेदारी से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि आगामी महीनों में जीएसटी संग्रह में और भी वृद्धि होने का अनुमान है। हालाँकि, कहा जा रहा है

उर्जित पटेल के इस्तीफे पर बेवजह का शोर

सितम्बर, 2016 में जब उर्जित पटेल ने आरबीआई गवर्नर का पदभार संभाला था, तब मोदी विरोधी खेमा उन्हें मोदी का बेहद करीबी आदमी बता रहा था। कहा जा रहा था कि उर्जित को इसलिए लाया गया है ताकि वे सरकार की आर्थिक नाकामियों को ढँक सकें। हालांकि देखा जाए तो उर्जित के आने के समय भारतीय अर्थव्यवस्था किसी बुरी स्थिति में नहीं थी।