मोदी सरकार

युवाओं को ‘रोजगार मांगने वाले’ से ‘रोजगार देने वाले’ बना रही मोदी सरकार !

बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वालों की कमी नहीं है लेकिन वे यह नहीं देख रहे हैं कि मोदी सरकार युवाओं को “रोजगार मांगने वाले” से “रोजगार देने वाले” में बदल रही है। मोदी सरकार ने हर साल जिन एक करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्‍य रखा है, वे वेतनभोगी प्रकृति की नहीं हैं। दरअसल मोदी सरकार का मुख्‍य बल प्रक्रियागत खामियों को दूर कर ऐसा वातावरण बनाने का है, जिसमें युवा वर्ग

जानिए, स्वच्छ भारत अभियान से कैसे बदल रही देश की तस्वीर !

2 अक्‍टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। यह क्रांति विचारों की या बल प्रदर्शन की नहीं बल्कि जनजागरूकता और नागरिकता बोध को लेकर उठाए गए कदम की थी। यह क्रांति आदतों की थी, व्‍यवहार की थी, आचरण की थी। इसका संबंध स्‍वास्‍थ्‍य से और सलीके से था। यह क्रांति सफाई की थी। स्‍वच्‍छ भारत अभियान का आरंभ इस दिन से हुआ और तीन साल में यह एक विराट

गाँधी के स्वच्छ भारत के सपने को कांग्रेस ने अनदेखा किया, मोदी सरकार कर रही पूरा

महात्मा गाँधी ने एक “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था। वह चाहते थे कि भारत एक स्वच्छ देश के रूप में जाना जाये, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी अभी भारत को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है। चूंकि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें स्वच्छता के महत्व को समझी ही नहीं। महात्‍मा गांधी के इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्‍टूबर 2014 को देश के सभी लोगों से इस अभियान से जुडने की अपील

सौभाग्य योजना : हर घर बिजली पहुँचाने की ठोस और रचनात्मक पहल

मोदी सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ नागरिक की मूल आवश्यकताओं को केंद्रीत कर योजनाएं बनाई जा रही हैं। ये सरकार सिर्फ शहरीय विकास पर केन्द्रित नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री अपने भाषणों और कार्यक्रमों में इस बात को साफ कर चुके हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा, तभी शहरों में कुछ नए निर्माण की संभावना है।

हर घर तक बिजली पहुँचाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार !

हर गांव तक बिजली पहुंचाने के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य के करीब पहुंची मोदी सरकार अब देश के हर घर को रोशन करने के लिए “सुभाग्‍य योजना” लाने जा रही है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर को 2019 तक सब्‍सिडी देकर बिजली कनेक्‍शन मुहैया कराया जाएगा। गौरतलब है कि देश के चार करोड़ घरों में अभी भी बिजली के बल्‍ब जलने का इंतजार है। यह संख्‍या यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था जर्मनी के कुल घरों से ज्‍यादा

अमेरिका की अफगानिस्तान नीति से पाक बाहर, भारत को मिला सर्वाधिक महत्व

भारत के थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और अमेरिकी विदेश उपमंत्री के बयान में कोई सीधा संबन्ध नही था। लेकिन, लगभग एक ही समय मे आये इन बयानों की सच्चाई एक जैसी है। जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान और चीन दोनो मोर्चो पर मुस्तैद रहने की बात कही तो दूसरी ओर अमेरिकी विदेश उपमंत्री ने कहा कि भारत दो खतरनाक देशों से घिरा है। इन दोनों बयानों का मतलब भी एक है और इनकी सच्चाई

‘शौचालय क्रांति’ लाने में कामयाब रही मोदी सरकार

भ्रष्‍टाचार, भाई-भतीजावाद में आकंठ डूबी और जाति-धर्म की राजनीति करने वाली कांग्रेसी सरकारों ने साफ-सफाई, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, बेकारी जैसी जमीनी समस्‍याओं की ओर बहुत कम ध्‍यान दिया। दूसरे शब्‍दों में कांग्रेसी सरकारें सत्‍ता की राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाईं। इसका नतीजा यह हुआ कि अपने नागरिकों को स्‍वच्‍छता की सुविधाएं मुहैया कराने में भारत पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और श्रीलंका से ही नहीं युद्ध गस्‍त देश

विकास के लिए ‘स्पीड बूस्टर’ साबित होगा ये मंत्रिमंडल विस्तार

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 साल से भी कम समय बच गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चुनाव में जीत को सुनिश्चित करना चाहते हैं और यह जीत वे तभी हासिल कर सकते हैं जब सभी क्षेत्रों में बेहतर कार्य किये जायें। इसलिये ताजे फेरबदल में कुछ नए एवं ऊर्जावान सिपहसालारों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, क्योंकि सकारात्मक दृष्टि के साथ 24 घंटे एवं 365 दिन लक्ष्य को हासिल करने के लिये गतिशील रहने वाले मंत्री

निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्री बनने का मतलब

केंद्र की सत्ता संभालने के बाद देश के विकास में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कई सकारात्मक कदम उठाए। ग्रामीण महिलाओं को परेशानियों से निजात दिलाने हेतु उज्ज्वला योजना की शुरूआत की गई और महिलाओं के उत्थान के लिए कई कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा गया। महिलाओं को सशक्त करने की ओर बढ़ रहे कदमों के क्रम में ही एक बड़ा कदम मोदी सरकार की कैबिनेट में

गाय के ‘अर्थशास्त्र’ को समझने की जरूरत

भारतीय संदर्भ में देखें तो गाय को लेकर जितना विवाद होता है उतना शायद ही किसी पशु को लेकर होता हो। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि गाय के संरक्षण-संवर्द्धन को लेकर जो प्रावधान किए जाते हैं, उन्‍हें देश के तथाकथित सेकुलर खेमे द्वारा धार्मिक और वोट बैंक के नजरिए से देखा जाने लगता है। इस विवाद का सबसे दुखद पहलू यह है कि हम गाय के आर्थिक महत्‍व को भुला देते हैं। जिस दिन हम गाय के अर्थशास्‍त्र को