मोदी

गीता प्रेस प्रकरण : एक बार फिर बेनकाब हुआ कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा!

गीता प्रेस गोरखपुर को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा के साथ ही कांग्रेस का हिंदू धर्म विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया।

मुफ्तखोरी की राजनीति में एकदूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में जुटीं कांग्रेस और आप

जो कांग्रेस पार्टी आज मुफ्त बिजली के चुनावी वायदे कर रही है उसके 70 वर्षों के शासन काल में हजारों गांवों में ऐसा थे जहां बिजली का पोल नहीं था।

सेंगोल : भारतीय इतिहास से छल के अपराधी कौन ?

जो सेंगोल भारतीय स्वाधीनता और स्व-शासन के गौरवशाली प्रतीक के रूप में संसद में स्थापित होना चाहिए था, वो इतिहास से बेदखल होकर म्यूजियम में…

प्रधानमंत्री मोदी के प्रति असभ्य भाषा कांग्रेस की कार्य-संस्कृति बन गई है

खड़गे ने मोदी के प्रति जिस अभद्र भाषा का प्रयोग किया वह किसी आवेश में नहीं निकली है। यह तो कांग्रेस की अप-संस्‍कृति ही है जिसके संवाहक खड़गे भी बने हुए हैं।

लगातार भाषाई मर्यादा लांघते राहुल गांधी को अदालत ने सही सबक दिया है

राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता पच नहीं रही है। उसी का नतीजा है कि वे ऐसे लफ्जों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफलता के नित नए सोपान चढ़ रही भारतीय विदेश नीति

भारत और इटली के बीच एक ‘स्टार्टअप ब्रिज’ की स्थापना की भी घोषणा की गई। रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी दोनों देश एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं।

जी-20 : भारतीय विचार से निकल रही वैश्विक समस्याओं के समाधान की राह

जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत के अनुभव और ज्ञान का लाभ विश्व को, विशेषकर विकासशील देशों को मिलेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि..

जयंती विशेष : साहस, स्वाभिमान एवं स्वानुशासन के जीवंत प्रतीक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिए गए नारे ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा’, ‘दिल्ली चलो’ या ‘जय हिंद’ – प्रमाणित करते हैं कि वे युवाओं के मन और मिज़ाज की कितनी गहरी समझ रखते थे!

नमो एप कियोस्क : राजनीति जब तकनीकी से मिलती है

भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारणी में नमो एप के 2 कियोस्क टचस्क्रीन से, फ्लिपबुक से, बुकमार्क से और क्यूआर कोड के साथ स्टिकर और किताबों के साथ सुसज्जित हैं।

अर्थव्यवस्था में ऊर्जा भरते प्रवासी भारतीय

तथ्यों पर गौर करें तो आज की तारीख में प्रवासी भारतीय जितना धन भेज रहे हैं, वह भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लगभग बराबर है।