मोदी

बुलंद हौसलों के साथ कई मिशनों को अंजाम देने की तैयारी में इसरो

चंद्रयान-2 के बाद अब चंद्रयान-3 के लिए कवायद शुरू हो गई है। नवंबर 2020 तक के लिए इसकी समय-सीमा तय हो चुकी है।इसरो के मिशन चंद्रयान-2 के साथ सब कुछ ठीक था। इसकी लॉन्चिंग से लेकर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने तक सारी गतिविधियां ठीक थीं लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के पहले ही इसका पृथ्‍वी से संपर्क टूट गया। बस यही अंतिम क्षण की आंशिक

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राहुल ही नहीं, एक पूरे गिरोह के मुंह पर तमाचा है!

राहुल के साथ-साथ वामपंथी गिरोह के कुछ पत्रकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने भी राहुल द्वारा झूठ की बुनियाद पर उठाए गए इस मामले में तरह-तरह के दुष्प्रचारों को हवा देने का काम किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब एकबार पुनः उन सभी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राफेल को लेकर राहुल गांधी को डांट पिलाई थी

पूर्वोत्तर को देश के विकास से जोड़ने में कामयाब रहे प्रधानमंत्री मोदी

आजादी के बाद से ही सरकारों ने पूर्वोत्‍तर भारत के मन को समझने का प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, इस संवेदनशील क्षेत्र में सरकारें अलगाववादी गुटों को बढ़ावा देकर राजनीतिक रोटी सेंकने से भी बाज नहीं आई। आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्‍तर को शेष भारत से एकाकार करने का ठोस जमीनी उपाय कर रहे हैं।

राष्ट्रीय हितों की दिशा में उचित कदम है भारत का आरसेप में शामिल न होना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकाक में 4 नवम्बर, 2019 को आसियान देशों के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते आरसीईपी यानी रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप में भारत के शामिल नहीं होने का फैसला किया। आरसीईपी सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी के सिद्धांत और अपनी अंतरात्मा की वजह से उन्होंने यह निर्णय लिया है।

कई अर्थों में ऐतिहासिक साबित हुई नौ नवम्बर की तारीख

देश के बहुचर्चित रामजन्‍मभूमि  मामले में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ चुका है। यह निर्णय वास्‍तव में राष्‍ट्र के हित में आया है, राष्‍ट्र की एकता व अखंडता, सामाजिक सौहार्द्र के पक्ष में आया है। कानूनी निष्‍कर्ष की बात करें तो विवादित भूमि रामलला को दिए जाने और मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्षकार सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को पृथक से निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि दिए

आरसेप प्रकरण : एकबार फिर साबित हो गया कि देश सुरक्षित हाथों में है

लंबे अरसे से मोदी सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समग्र क्षेत्रीय व्‍यापार समझौते (आरसीईपी-आरसेप) पर केंद्र सरकार के सलाहकार की सिफारिशों को ठुकराते हुए आरसेप पर हस्‍ताक्षर करने से इंकार कर दिया।

फिर एकबार कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भारत की ऊंची छलांग!

विश्व बैंक हर साल “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” या कारोबारी सुगमता के संबंध में वैश्विक रैकिंग जारी करता है। “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस 2020”की रैकिंग में भारत 190 देशों की सूची में 14 स्थानों की छलांग लगाते हुए 77वें स्थान से 63वें स्थान पर पहुँच गया है। इतना ही नहीं भारत को देश में कारोबार का माहौल बेहतर करने के लिये सर्वश्रेष्ठ देश के रूप में चुना गया है।

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स निर्माण की धुरी बनने की ओर बढ़ता भारत

वोट बैंक की राजनीति करने वाली पिछली कांग्रेसी सरकारों ने भारत में नवोन्‍मेषी संस्‍कृति के विकास की ओर कभी ध्‍यान ही नहीं दिया। उनका पूरा जोर दान-दक्षिणा वाली योजनाओं पर रहता था ताकि वोट बैंक की राजनीति चलती रहे। इस स्थिति को बदलने के लिए मोदी सरकार ने शोध व विकास संस्‍थानों, विश्‍वविद्यालयों और निजी क्षेत्र से देश को इनोवेशन हब में बदलने का आह्वान किया है। 

‘भारत अगले पांच साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है’

रिजर्व बैंक के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 1.879 अरब डॉलर बढ़कर 439.712 अरब डॉलर हो गया। यह पिछले सप्ताह 4.24 अरब डॉलर बढ़कर 437.83 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। इस तरह विगत दो सप्ताह से विदेशी मुद्रा में बढ़ोतरी हो रही है। केन्द्रीय बैंक के अनुसार 11 अक्टूबर को विदेशी मुद्रा 2.269 अरब डॉलर बढ़कर 407.88 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

कृषि और जल प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहेगा नीदरलैंड का सहयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति में यूरोप को भी प्राथमिकता दी थी। इसके चलते यूरोपीय देशों के साथ भारत के रिश्तों में बहुत सुधार आया। पिछले कुछ वर्षों में व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्र सहयोग बढ़ा है। रणनीतिक क्षेत्र में भी यही स्थिति है।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत का समर्थन किया। फ्रांस से राफेल विमान भी समय से भारत को मिला है। इसी प्रकार नीदरलैंड से भी नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में ही रिश्ते मजबूत हुए थे। तब भारत और नीदरलैंड के बीच