यूपी चुनाव

यूपी चुनाव : भाजपा की परिवर्तन यात्रा के आगे हवा हो रहे विपक्षी दलों के सियासी समीकरण

उत्तर प्रदेश में चुनाव को अभी लगभग दो-तीन महीने का वक्त शेष है, लेकिन सूबे की सियासत में सियासी गर्माहट का माहौल देखने को लगातार मिल रहा है। सूबे में वोटबैंक की राजनीति साधने के लिए तमाम पार्टियॉं अपने सभी पैंतरें अपना रही है। बसपा एक ओर जहां दलित समुदाय को अपनी पैतृक संपत्ति मानते हुए ब्राहाण और राजपूतों को अपने पाले में खींचकर चुनावी वैतरणी को पार करने की फिराक में दिख

यूपी चुनाव : भाजपा के अलावा सभी दल राजनीतिक अस्थिरता का शिकार

उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियॉ अपने-अपने तरीके से जोड़-तोड़ की राजनीति में लग गई है। प्रशात किशोर की रणनीति भी कांग्रेस के लिए सफल नही हो पा रही है। जिस सियासत को साधने के लिए कांग्रेस ने यूपी की बहू को दिल्ली से लेकर आई, उसी की वजह से रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन पकड़ चुकी है। जिस 27 साल के सूखे को खत्म करने के लिए प्रशांत किशोर ने

आगामी यूपी चुनाव में जनता के करारे जवाब के लिए तैयार रहे सपा सरकार!

यूपी चुनाव आने में लगभग छः महीने का वक्त शेष है। राज्य की सत्ता में काबिज सरकार में जिस तरीके से बीते कुछ महीनों से टकराव की राजनीति देखने को मिल रही है, उसे देखकर तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य की सत्ता में आपसी टकराव का खेल केवल सत्ता हथियाने तक ही सीमित ना रह कर वर्चस्व की जंग बन गई है। सरकार में जिस तरीके से अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए सरकार के

यूपी चुनाव आते ही फिर बढ़-चढ़कर हिलोरें मारने लगा मुलायम का मुस्लिम प्रेम!

यूपी चुनाव में अब बहुत अधिक समय शेष नहीं है। अगले ही साल चुनाव होने हैं। अब चुनाव की आहट पाते ही यूपी की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का मुस्लिम प्रेम जो पहले भी बाहर आता रहा है, अब और सिर चढ़कर बोलने लगा है। अब अभी पिछले दिनों उन्होंने कार सेवकों पर गोली चलवाने वाले मामले पर कहा था कि अगर मस्जिद बचाने के लिए सोलह की बजाय तीस जानें जातीं तो भी

सिर्फ खाटें नहीं लुटी हैं, उनके साथ कांग्रेस की बची-खुची साख भी लुट गई!

यह निर्विवाद तथ्य है कि कांग्रेस इस वक़्त अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजर रही है। देश से लेकर राज्यों तक हर जगह जनता द्वारा लगातार उसे खारिज होना पड़ा है। इन लगातार मिली विफलताओं से हताश कांग्रेस ने आगामी यूपी चुनाव के मद्देनज़र सफल चुनावी रणनीतिज्ञ माने जाने वाले प्रशांत किशोर की पीआर एजेंसी को यूपी में अपने प्रचार की जिम्मेदार सौंपी है। अब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को

यूपी चुनाव आते ही लामबंद होने लगा असहिष्णुता गिरोह

असहिष्णुता की बहस को गुजरे अधिक समय नहीं हुआ। यदि आप असहिष्णुता की पूरी बहस में सक्रिय गिरोह की भूमिका को याद करें तो यह बिहार चुनाव से ठीक पहले सक्रिय हुआ था और बिहार चुनाव के ठीक बाद असहिष्णुता की पूरी बहस शांत हुई थी। चुनाव के दौरान अखलाक की हत्या को कमान बनाकर वामपंथी गिरोह ने बिहार चुनाव में तीर चलाया था। खैर, नीतीश की जीत के बाद असहिष्णुता की पूरी

यूपी चुनाव कांग्रेस लड़ रही है या प्रशांत किशोर लड़ रहे हैं ?

राजनीति में हार-जीत स्थायी नहीं होती है। यह एक क्रम है जो कभी इस पाले तो कभी उस पाले के अनुकूल होता है। आजादी के बाद नेहरु से शुरू हुई कांग्रेस इंदिरा गांधी से होते हुए राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक पहुंची है। इस दरम्यान लगभग पांच दशकों तक कांग्रेस सत्ता में रही है, जिसमें लगभग तीन दशक से ज्यादा सत्ता के शीर्ष पर नेहरु का परिवार रहा है। अब केंद्र की सत्ता बेशक कांग्रेस के पास नहीं है,

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए मुलायम ने फिर गाया ‘बाबरी राग’!

उत्तर प्रदेश के चुनाव सिर पर आ गए हैं। इस बार समाजवादी पार्टी की नैया भंवर में दिखाई पड़ रही है। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव को ‘मुस्लिम प्रेम’ नजर आने लगा है। वह किसी भी प्रकार अपने वोटबैंक को खिसकने नहीं देना चाहते हैं। मुसलमानों को रिझाने के लिए उन्होंने फिर से ‘बाबरी राग’ अलापा है।