योगी आदित्यनाथ

वैचारिक ऊर्जा की प्रतिमा

स्वामी विवेकानन्द के प्रत्येक ध्येय वाक्य भारतीय संस्कृति उद्घोष करने वाले है। उनकी भव्य प्रतिमा देख कर उन्हीं विचारों की प्रेरणा मिलती है। इन्हीं उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुई लखनऊ के राजभवन में स्वामी विवेकानन्द जी की भव्य प्रतिमा की स्थापना की गई।

नीति आयोग की बैठक में योगी के सार्थक प्रस्ताव

नीति  आयोग के माध्यम से राज्यों के बीच विकास की स्वस्थ प्रतिद्वंदिता प्रारंभ करने की कल्पना की गई थी। योगी ने इसे चरितार्थ किया। उन्हीं की तरह अनेक मुख्यमंत्री भी इस दिशा में बेहतर कार्य करने में सफल रहे। वहीं जिनको विकास की अपेक्षा वोटबैंक की सियासत ज्यादा पसंद थी, वह उसी में उलझे रहे।

प्रतिबंध के सम्मान के साथ आस्था की अभिव्यक्ति

योगी आदित्यनाथ ने चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध का सम्मान किया। उन्होंने इसे एक अवसर के रूप में लिया। आयोग के आदेशानुसार वह बहत्तर घण्टे तक चुनाव प्रचार नहीं कर सकते थे। योगी आदित्यनाथ संत हैं, गोरखधाम के पीठाधीश्वर हैं, इसी के अनुकूल उन्होंने प्रतिबन्ध काल में आचरण किया। संकटमोचन मंदिर में दर्शन के साथ स्पर्श बालिका विद्यालय जाकर

प्रयागराज : कुम्भ से प्रवाहित हुई विकास की धारा

कुंभ का ऐतिहासिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है। इस प्रकार का आयोजन अन्यत्र कहीं भी नहीं होता है। यह उचित है कि प्रत्येक सरकारें अपने स्तर पर इसके निर्बाध आयोजन का प्रयास करती रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे यहीं तक  सीमित नहीं रखा। उसने अपने को भावनात्मक रूप से भी कुम्भ से जोड़ा है। यह अंतर तैयारियों में भी दिखाई दिया।

क्या देश का नेता बनने का सपना देख रहीं ममता की जमीन पश्चिम बंगाल में ही खिसक रही है?

बीते सप्‍ताह देश की राजनीति में कुछ विचित्र प्रकार की घटनाएं सामने आईं। बीते रविवार पश्चिम बंगाल में समूचा विपक्ष एकजुट हुआ और ममता बनर्जी की अगुवाई में जी भरकर सत्‍ता पक्ष के प्रति विष वमन किया गया। यहां ममता बनर्जी सहित सभी विपक्षियों ने जी भरकर लोकतांत्रिक मूल्‍यों की दुहाई दी लेकिन आश्‍चर्य की बात है कि इन्‍हें स्‍वयं ही लोकतंत्र का वास्‍तविक अर्थ व परिभाषा ज्ञात नहीं है।

‘राजनीति के महानायक और देश के सर्वमान्य नेता थे अटल बिहारी वाजपेयी’

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन का अधिकांश समय विपक्ष में बिता। इस रूप में उन्होंने मर्यादा का नया अध्याय कायम किया। यह बताया कि सत्ता पक्ष का जोरदार विरोध भी मर्यादा की सीमा में रहते हुए किया जा सकता है। वह दो वर्ष विदेश मंत्री और छह वर्ष प्रधानमंत्री रहे। इस रूप में उन्होंने सत्ता को देशहित का माध्यम बनाया। विदेशमंत्री के रूप में मजबूत विदेश

एकता संवाद : भाजपा की एकता की कोशिशें और कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति

विविधता में एकता भारतीय राष्ट्र की प्रमुख अवधारणा रही है। लेकिन इस भावना के कमजोर पड़ने का भारत को ऐतिहासिक खामियाजा भी भुगतना पड़ा। विदेशी आक्रांताओं ने इसी का फायदा उठाया था। सैकड़ों वर्षों तक देश को दासता का दंश झेलना पड़ा। अंग्रेज भारत से जाते-जाते विभाजन की पटकथा लिख गए थे। लेकिन सरदार पटेल के प्रयासों से देश में एकता स्थापित हुई।

‘अकबर ने दुर्भावना से प्रयागराज का नाम बदला था, योगी आदित्यनाथ ने इसे सुधारा है’

कुंभ का आयोजन ग्रह नक्षत्रों के संयोग से होता है। प्रयाग कुंभ के इतिहास में नया संयोग जुड़ा। वह यह कि इस समय उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश ही नहीं, विश्व में रहने वाले हिंदुओं की आस्था का ध्यान रखा। भारत में अनेक स्थानों के पुराने नाम बहाल करने के लिए आंदोलन या अभियान चलाने पड़े। बंबई को मुम्बई नाम दिलाने का अभियान

इन्वेस्टर समिट : ‘तुम हमें निवेश दो, हम तुम्हें सुरक्षा देंगे’

उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर समिट का समय करीब आ रहा है। इस बीच सरकार ने निवेशकों को एक अच्छा सन्देश दिया। इसमें कहा गया कि तुम हमें निवेश दो हम तुम्हें सुरक्षा देंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार की कमजोरियों से सबक लिया है। खराब कानून व्यवस्था न केवल लोगों को परेशान करती है, उससे निवेशकों का भी मोहभंग होता है। बेहतर कानून व्यवस्था सुशासन की पहली शर्त होती है। पहले एक

‘इन्वेस्टर्स समिट’ के द्वारा यूपी के विकास की नयी इबारत लिखने में जुटी योगी सरकार !

उत्तर प्रदेश की पिछली दोनों सरकार को पूर्ण बहुमत से अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला था। उनके मुख्यमंत्रियों के लिए अपने कतिपय ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में भी आसानी थी। शायद उन्होने कुछ ड्रीम प्रोजेक्ट बनाये भी थे और इनकी चर्चा भी खूब होती थी । लेकिन प्रदेश के सर्वांगीण विकास या बीमारू छवि से प्रदेश को बाहर निकालने के प्रति इन सरकारों में पर्याप्त गंभीरता दिखाई नहीं दी थी। वर्तमान