राहुल गांधी

प्रियंका गांधी : परिवारवादी कांग्रेस में परिवारवाद के नए अध्याय की शुरुआत

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पार्टी का पूर्वी यूपी महासचिव एवं प्रभारी बनाने का ऐलान किया है। इसीके साथ अबतक पार्टी के चुनाव प्रचार में जब-तब नजर आती रहीं प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आधिकारिक प्रवेश हो गया है। कहते हैं कि केंद्र की सरकार का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। ऐसा कहे जाने का कारण है कि यूपी सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाला राज्य है

कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति को समझने की जरूरत

जब वोट बैंक और मुफ्तखोरी की राजनीति का इतिहास लिखा जाएगा तब उसमे कांग्रेस का नाम स्‍वर्णाक्षरों से अंकित होगा। जाति-धर्म, क्षेत्र-भाषा, अगड़े-पिछड़े, दलित-आदिवासी के नाम पर राज कर चुकी कांग्रेस पार्टी अब नये मोहरों की तलाश में है। मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान विधान सभा चुनावों में उसे एक नया मोहरा मिल गया- किसानों की कर्जमाफी।

तथ्यों के धरातल पर बार-बार मात खाने के बावजूद राहुल राफेल-राफेल करने से बाज क्यों नहीं आ रहे!

राफेल पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद होना तो यह चाहिए था कि राहुल गांधी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले पर तथ्यहीन आरोप उछालने के लिए अपनी गलती मान लेते, लेकिन विद्रूप देखिये कि इसके बाद उनके सुर और ऊंचे हो गए। फैसले की एक पंक्ति पकड़कर वे सरकार को घेरने लग गए।

क्या देश की छवि खराब करने दुबई गए थे राहुल गांधी?

कभी अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए। इसका निहितार्थ था कि राजनीतिक विरोध की एक सीमा होनी चाहिए। जहां राष्ट्रहित का प्रश्न हो वहां केवल आपसी सहमति का प्रदर्शन होना चाहिए।

राहुल का लगातार फजीहत के बावजूद राफेल-राफेल करना चुनावी मजबूरी के सिवा कुछ नहीं

पिछले दिनों संसद में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल रक्षा सौदों पर सरकार के पक्ष को बखूबी उजागर कर कांग्रेस के झूठ को बेनकाब कर दिया। कांग्रेस की तरफ से फैलाए गए झूठ को खरीदने और बेचने वालों को इसके बाद समझ नहीं आ रहा कि झूठ के किस सिरे को पकड़ा जाए और किस सिरे को छोड़ दिया जाए। लेकिन राहुल हैं कि राफेल पर फैलाये जा रहे असत्य से

‘राहुल गांधी का मंदिर दर्शन कार्यक्रम अगले चुनाव तक के लिए स्थगित हो चुका है!’

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनावों के खत्‍म होने के बाद कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी का मंदिर दर्शन कार्यक्रम अगले चुनाव तक स्‍थगित हो चुका है। राहुल गांधी का मंदिर प्रेम नया नहीं है। गुजरात और कर्नाटक विधान सभा चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी का मंदिर प्रेम इसी तरह उमड़ा था। राहुल गांधी के मंदिर दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे उन्‍हीं राज्‍यों में मंदिर जाते हैं जहां चुनाव होने वाले होते हैं।

राफेल सौदे का अंधविरोध राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति कांग्रेस की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है!

राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ जाने के बाद से ऐसा माना जा रहा था कि विपक्ष को अब अपनी गलती का एहसास हो जाएगा और वह इस भ्रम को फ़ैलाने के लिए माफ़ी भले न मांगे, लेकिन कम से कम अब राफेल घोटाले का भूत कांग्रेस मुखिया के सर से जरूर उतर जाएगा। किन्तु ऐसा तब संभव होता जब विपक्ष राफेल पर तथ्यों के तहत बात कर रहा होता।

राहुल गांधी की किसान-कल्याण की सुई कर्जमाफी से आगे क्यों नहीं बढ़ रही?

कर्जमाफी के लोकलुभावन मुद्दे पर तीन राज्यों के चुनावों में जीत करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जैसे कर्जमाफी के अलावा और कुछ दिख ही नहीं रहा। गत दिनों उन्होंने कहा कि जबतक प्रधानमंत्री पूरे देश का कर्ज माफ़ नहीं करते, वे उन्हें सोने नहीं देंगे। इस बात से संकेत यही निकलता है कि लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी कर्जमाफी को मुद्दा बनाने वाले हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की किसान कल्याण की सुई कर्जमाफी से आगे क्यों नहीं बढ़ रही?

नेशनल हेराल्ड : दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से मुश्किल में कांग्रेस

गत 21 तारीख को नेशनल हेराल्ड मामले में एसोसिएट जर्नल्स लिमटेड (एजेएल) की तरफ से दायर याचिका पर आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल बीते अक्टूबर में भूमि विकास कार्यालय द्वारा कांग्रेस के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स को लीज समाप्ति के चलते नवम्बर में हेराल्ड हाउस खाली करने का नोटिस भेजा गया था। 

‘इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं, उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है’

तीन राज्‍यों में भारतीय जनता पार्टी को कांटे की टक्‍कर के साथ मिली पराजय ने कांग्रेस पोषित मीडिया और बुद्धिजीवियों को 2019 के लोक सभा चुनाव की भविष्‍यवाणी करने का मौका दे दिया। ये लोग यह नहीं देख रहे हैं कि इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं बल्‍कि उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है। कांग्रेस इस कड़वी हकीकत को जानती है कि युवा बेरोजगारों को सरकारी