राहुल गांधी

हाफिज सईद की रिहाई पर राजनीति कर दुनिया को क्या सन्देश देना चाहते हैं, राहुल गांधी ?

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद की पाकिस्तान में रिहाई वस्तुतः विश्व समुदाय की चिंता होनी चाहिए। अनेक देशों ने इसपर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चिंता भी व्यक्त की है। उसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवादी घोषित किया था। दस मिलियन डॉलर अर्थात पैसठ करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। अतः उसका रिहा होना केवल भारत की समस्या नहीं है।

अध्यक्ष से कम कब थे राहुल गांधी कि अब अध्यक्ष बनकर कुछ ‘कमाल’ कर देंगे !

कांग्रेस कार्यसमिति ने अध्यक्ष पद के चुनाव की अनुमति दे दी है। सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो चुनाव की औपचारिकता पूरी कर राहुल संभवतः गुजरात चुनाव से पूर्व ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे। वैसे, इस प्रकार की चर्चाएं पहली बार नहीं चली हैं। यह चर्चा वर्षों से चल रही है। कई बार तारीखें आगे बढ़ती रहीं। लेकिन, चाहे जितनी देर हो, अध्यक्ष की कुर्सी राहुल को हो मिलनी थी। अब पहले की तरह राहुल अज्ञातवास

गुजरात चुनाव से पहले अचानक राहुल गांधी में इतना मंदिर प्रेम कैसे जग गया है ?

चुनाव के दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों के तूफानी दौरों से वाकई कई सवाल उठते हैं। क्या राहुल अपनी “सॉफ्ट हिंदुत्ववादी” नेता की छवि बनाकर कांग्रेस को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं? मंदिर जाने के क्रम में ही राहुल गांधी ने अपनी भक्ति से जुड़ा एक खुलासा भी किया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उत्तरी गुजरात के शहर पाटन में कहा कि वह भगवान शिव के परम भक्त हैं और वह सच्चाई में यकीन

फ़िल्मी भाषणों के भरोसे गुजरात जीतने का स्वप्न देख रहे राहुल गांधी!

गुजरात विधानसभा चुनाव की चर्चाएं सियासी गलियारों में जोरों पर हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों दल अपने-अपने स्‍तर पर यहां चुनावी सभाएं कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश का दौरा किया और प्रदेशवासियों के लिए करोड़ों रुपए लागत के निर्माण कार्यों का शिलान्‍यास किया। भाजपा जहां सकारात्‍मक ढंग से अपने ध्‍येय वाक्‍य ‘सबका साथ सबका विकास’ को लेकर आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस हमेशा की तरह

गुजरात चुनाव : विकास के मुद्दे पर मात खाने के बाद जातिवादी राजनीति पर उतरी कांग्रेस

गुजरात में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस अपने तरकश के सभी तीर आजमाती रही है। लेकिन,  पिछले तीन विधानसभा चुनाव में उसे कामयाबी नही मिली। इस बार स्थिति बदली थी।  नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। कांग्रेस को लगा कि इस बार मुकाबला पहले की अपेक्षा आसान होगा। राहुल गांधी ने मोर्चा खोल दिया।

तो क्या राहुल गांधी की ट्विटर पर बढ़ती लोकप्रियता भी एक महज एक छलावा है ?

हो सकता है कि कांग्रेस समर्थक इस बात से खुश हो गये हों कि राहुल गांधी की लोकप्रियता कम से कम ट्विटर पर तो बढ़ रही है; मगर, राहुल गांधी के लोकप्रिय होने की यह गलतफ़हमी आने वाले चुनावों में उनका कितना साथ देगी, ये सोचने वाली बात है। क्योंकि, कांग्रेस के अधिकाधिक कारनामों की तरह इस अचानक बढ़ी लोकप्रियता पीछे भी फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आ रही है।

स्क्रिप्ट राइटर नेता नहीं बनाते, नेता ‘परफॉर्म’ करके बना जाता है राहुल गांधी जी !

इन दिनों खबर मिल रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्क्रिप्ट राइटर बदल लिए हैं। अब वो लोग उनके लिए लिखने लगे हैं जो फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखते हैं और पहली कतार में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं। राहुल गांधी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए आजकल सस्ते फ़िल्मी हथकंडे का सहारा ले रहे हैं। चुटकुले, कहानियाँ और पहेलियाँ सुनाना उनका शगल हो गया है, जनता उन्हीं को सुनकर मनोरंजन

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का बौद्धिक और भाषाई स्तर भी गिरता जा रहा है !

हमेशा की तरह अपने बेसिर-पैर के बचकाने बयानों को लेकर थोथी लोकप्रियता बटोरने वाले कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं। इस बार भी कारण वही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने गए राहुल ने इस बार नैतिकता व मर्यादा की सीमाएं पार करते हुए अशालीन टिप्‍पणी कर दी। उन्‍होंने कहा कि संघ व भाजपा में महिलाओं से भेदभाव होता है। मैंने संघ की महिलाओं को कभी शॉर्ट्स में नहीं

बोलने से पहले सोचना कब शुरू करेंगे, राहुल गांधी !

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार में लगे हैं। खूब रैलियां कर रहे और तरह-तरह से सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं। मगर, वे हैं तो राहुल गांधी ही न, सो कमोबेश अपनी विशिष्ट राजनीतिक समझ का प्रदर्शन कर ही देते हैं। चुनाव प्रचार के क्रम में पिछले दिनों वे गुजरात के वडोदरा में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। जय शाह प्रकरण से लेकर मोदी सरकार के काम-काज और 2014

गुजरात में किसानों का मुद्दा उठाने से पहले वहाँ की ‘कृषि क्रांति’ के बारे में तो जान लें, राहुल गांधी !

गुजरात में कांग्रेस की खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी गुजरात का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। चूंकि मोदी को सांप्रदायिक ठहराने की 2014 की कांग्रेसी मुहिम उल्‍टा असर दिखा चुकी है, इसलिए कांग्रेस इस बार विकास को मुद्दा बना रही है। राहुल गांधी कभी नोटबंदी तो कभी जीएसटी के बहाने बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं।