सुप्रीम कोर्ट

दुर्भाग्यपूर्ण है हिजाब प्रकरण पर कट्टरपंथी नेताओं की राजनीति

दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, परीक्षा में बैठना चाहिए वहां अनेक छात्राएं “पहले हिजाब और बाद में किताब” का नारा लगा रही हैं।

किसान आंदोलन की दशा और दिशा

अब किसान आंदोलन किसानों से निकल कर ऐसे ही संदिग्ध हाथों में पहुँच गया है। ऐसे में सरकार जिस धैर्य से काम ले रही है वो ठीक ही है।

कृषि कानून की प्रतियां फाड़कर किसान आंदोलन को भुनाने की व्‍यर्थ कोशिश करते केजरीवाल

केजरीवाल को यदि वास्‍तव में अवाम की चिंता होती तो वे सबसे पहले इस कथित आंदोलन को खत्‍म कराने की पहल करते ना कि यहां अपनी नफरत की राजनीति का अवसर तलाशते।

कोरोना काल में परेशान कर्जदारों को मोदी सरकार ने दी राहत

मोदी सरकार के ब्याज पर प्रभारित ब्याज की राशि को माफ़ करने और मोरेटोरियम अवधि को बढ़ाने के फैसले से कोरोना महामारी से प्रभावित ऋणियों को तत्काल राहत मिलेगा

राम मंदिर हमें भान कराता रहेगा कि सत्य को कितना भी दबाया जाए, वो असत्य को मिटा ही देता है

राम देश के राष्ट्र पुरुष हैं। जाहिर है उनका मंदिर राष्ट्र मंदिर होगा जो देश में समरसता, आस्था, मर्यादा का भाव जागृत करता रहेगा।

पद्मनाभस्वामी प्रकरण : न्याय और आस्था दोनों का सम्मान करने वाला है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

ये मामला न्‍यायपालिका के पास था, इसलिए निष्‍पक्ष न्‍याय हुआ, अन्‍यथा केरल की वामपंथी सरकार के स्वामित्व में जाकर इस मंदिर की क्या दशा होती, यह कहना कठिन है।

रामजन्मभूमि से प्राप्त हो रहे ऐतिहासिक अवशेषों पर छद्म-धर्मनिरपेक्षों को सांप सूंघ गया है

बार-बार प्रमाण प्रस्तुत करने के बावजूद ऐसे लोगों ने राम मंदिर के अस्तित्व को अस्वीकार करने में कोई कोर कसर बाक़ी नहीं रखी। जो अयोध्या राममय है, जिसके पग-पग परa श्रीराम के चरणों की मधुर चाप सुनाई पड़ती है, वहाँ वे बाबर की निशानदेही तलाशते रहे।

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राहुल ही नहीं, एक पूरे गिरोह के मुंह पर तमाचा है!

राहुल के साथ-साथ वामपंथी गिरोह के कुछ पत्रकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने भी राहुल द्वारा झूठ की बुनियाद पर उठाए गए इस मामले में तरह-तरह के दुष्प्रचारों को हवा देने का काम किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब एकबार पुनः उन सभी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राफेल को लेकर राहुल गांधी को डांट पिलाई थी

राम जन्मभूमि फैसला : सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाला समाधान

9 नवंबर, 2019 की तारीख भारतीय इतिहास में सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाले एक ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो चुकी है। इस दिन एक तरफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने लम्बे समय से चले आ रहे रामजन्मभूमि विवाद पर निर्णय देकर उसका समाधान किया तो वहीं दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच सिख समुदाय की आस्था से जुड़े करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत हुई।  

कई अर्थों में ऐतिहासिक साबित हुई नौ नवम्बर की तारीख

देश के बहुचर्चित रामजन्‍मभूमि  मामले में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ चुका है। यह निर्णय वास्‍तव में राष्‍ट्र के हित में आया है, राष्‍ट्र की एकता व अखंडता, सामाजिक सौहार्द्र के पक्ष में आया है। कानूनी निष्‍कर्ष की बात करें तो विवादित भूमि रामलला को दिए जाने और मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्षकार सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को पृथक से निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि दिए