उन्नाव

बलात्कार के मामलों में भी इतना दोहरा रवैया कैसे दिखा लेते हैं, मिस्टर सेकुलर?

देश में इन दिनों कठुआ नाम छाया हुआ है। जम्‍मू संभाग के कठुआ के एक गांव में 8 वर्षीय बच्‍ची से दुष्‍कर्म एवं हत्‍या की खबर सामने आई और उसके मामला तूल पकड़ गया। यहां गौर करने योग्‍य बात यह है कि बच्‍ची नाम असिफा है, इसलिए विरोध और आक्रोश जताने के खेल में बॉलीवुड, बुद्धिजीवी, सेकुलर आदि गिरोह पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गए हैं। बहुत हैरत की बात है कि जिस समय कठुआ की खबर

बलात्कार पर राजनीति की परम्परा तो इस देश में नेहरू-इंदिरा के समय से रही है!

उन्‍नाव और कठुआ में हुई बलात्‍कार की घटनाओं ने एक बार फिर वोट बैंक की राजनीति करने वालों को उर्वर जमीन मुहैया करा दी। यदि यही उन्‍नाव की घटना किसी गैर-भाजपा शासित राज्‍य में घटी होती, तो मानवाधिकार के स्‍वयंभू नेता घरों से बाहर न निकलते। इसी प्रकार यदि कठुआ में पीड़ित लड़की हिंदू होती, तो सभी की जुबान सिल जाती। इसका ज्‍वलंत उदाहरण है 10 अप्रैल को बिहार के सासाराम में छह साल की मासूम