कांग्रेस अध्यक्ष

वंशवाद, अहंकार और अदूरदर्शिता के भँवर में फँसकर पतन की ओर बढ़ती कांग्रेस

चाटूकारों और अवसरवादियों की भीड़ और उनकी विरुदावलियाँ किसी नेतृत्व के अहं को तुष्ट भले कर दें, पर इनसे वे सर्वस्वीकृत, सार्वकालिक, और महान नहीं बनते।

कांग्रेस में राहुल राज : कांग्रेस को अब लोकतान्त्रिक मूल्यों की बात करना छोड़ देना चाहिए !

कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।

कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।