कांग्रेस

सरदार वल्लभभाई पटेल : स्वतंत्र भारत की एकता के महान सूत्रधार

31 अक्टूबर, 1875 की तारीख इतिहास में दर्ज है, जब आजाद भारत की एकता और अखण्डता के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था।

गीता प्रेस प्रकरण : एक बार फिर बेनकाब हुआ कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा!

गीता प्रेस गोरखपुर को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा के साथ ही कांग्रेस का हिंदू धर्म विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया।

मुफ्तखोरी की राजनीति में एकदूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में जुटीं कांग्रेस और आप

जो कांग्रेस पार्टी आज मुफ्त बिजली के चुनावी वायदे कर रही है उसके 70 वर्षों के शासन काल में हजारों गांवों में ऐसा थे जहां बिजली का पोल नहीं था।

मुस्लिम लीग को सेक्युलर कहने वाले राहुल गांधी को उसका इतिहास भी बताना चाहिए

मुस्लिम लीग को सेक्युलर बताकर अपना राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रहे राहुल गांधी को समझना चाहिए कि उनकी यह गलतबयानी देश के लिए कतई हितकारी नहीं है।

सेंगोल : भारतीय इतिहास से छल के अपराधी कौन ?

जो सेंगोल भारतीय स्वाधीनता और स्व-शासन के गौरवशाली प्रतीक के रूप में संसद में स्थापित होना चाहिए था, वो इतिहास से बेदखल होकर म्यूजियम में…

प्रधानमंत्री मोदी के प्रति असभ्य भाषा कांग्रेस की कार्य-संस्कृति बन गई है

खड़गे ने मोदी के प्रति जिस अभद्र भाषा का प्रयोग किया वह किसी आवेश में नहीं निकली है। यह तो कांग्रेस की अप-संस्‍कृति ही है जिसके संवाहक खड़गे भी बने हुए हैं।

विपक्षी एकता की कवायदों में नीति, नेतृत्व और नीयत का अभाव

विपक्षी एकता के अधिकांश दलों की राजनीति का आधार क्षेत्रीय और जातिगत रहा है तथा वर्तमान में इनके जुटान का उद्देश्य भाजपा को हराना मात्र है।

आंबेडकर जयंती विशेष : ‘मुझे कैबिनेट की किसी कमिटी में नहीं रखा गया, कहीं जगह नहीं दी गयी’

देश में जब भी बड़े चुनाव होने को होते हैं, तो दलित विमर्श का मुद्दा ज़ोरों-शोरों से उठाया जाने लगता है। कुछ राजनीतिक पार्टियों में ये बताने की होड़ मच जाती है कि वही दलितों की सबसे बड़ी हितैषी हैं और फिर चुनाव के बाद दलित भुला दिए जाते हैं। याद रखा जाना चाहिए कि देश एक दिन में नहीं बनता, देश का इतिहास भी एक दिन में सृजित नहीं होता। दलितों की बात राजनीतिक फायदे के लिए करना एक बात है और दलितों

राहुल की सजा पर कांग्रेस के कथित सत्याग्रह में लेशमात्र भी ‘सत्य’ नहीं दिखता!

पिछले कुछ महीनों की अवधि में कांग्रेस ने दो बार कथित सत्याग्रह किए हैं। लेकिन उसके साध्य और साधन दोनों में सत्य के तत्व नहीं हैं।

लगातार भाषाई मर्यादा लांघते राहुल गांधी को अदालत ने सही सबक दिया है

राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता पच नहीं रही है। उसी का नतीजा है कि वे ऐसे लफ्जों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं।