कोरोनावायरस

मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे, वो कांग्रेसी सरकारों के एजेंडे में कभी था ही नहीं

12 मई को राष्‍ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के दौर में अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए बीस लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का एलान किया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अर्थव्‍यवस्‍था के सभी क्षेत्रों में सुधार की बात कही ताकि आत्‍मनिर्भर भारत का ख्‍वाब हकीकत में बदल सके।

श्रमिकों के हित में है श्रम कानूनों में बदलाव, आर्थिक गतिविधियों में भी आएगी तेजी

प्रधानमंत्री की सलाह को मूर्त रूप देने के लिये उत्तर प्रदेश समेत 7 राज्यों ने उद्योगों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए श्रम कानूनों में अनेक महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं। कहा जा रहा है कि जल्द ही बिहार समेत कुछ और राज्य श्रम कानूनों में बदलाव कर सकते हैं। गौरतलब है कि श्रम कानूनों में बदलाव करने की शुरुआत 5 मई को मध्य प्रदेश ने सबसे पहले की थी।

कोरोना संकट : मोदी विरोध की अपनी राजनीति में बंगाल को संकट में डाल रहीं ममता

ममता बनर्जी का यह पुराना तरीका है कि जब कोई बड़ी समस्या सुलझाने में आप नाकाम होने लगो तो उसके लिए केंद्र और नरेन्द्र मोदी को बदनाम करना शुरू कर दो। कोरोना का संकट जब दस्तक दे रहा था तो उन्होंने केंद्र द्वारा दी गई चेतावनी को हल्के में लिया, और ऐसा भी कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा से ध्यान हटाने के लिए केंद्र सरकार लोगों में दहशत फैलाना चाहती है।

भारत सहित विश्व व्यापार पर कैसा होगा कोरोना संकट का प्रभाव ?

भारत में परिस्थितियाँ, अन्य विकासशील देशों की तुलना में, थोड़ी अलग हैं।  भारत में एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर निर्मित किए जाने वाले विभिन्न उत्पादों को आसानी से भारत में ही खपाया जा सकता है। भारत को आर्थिक विकास के सम्बंध में बहुत अधिक चिंता करने की शायद आवश्यकता नहीं है।

कोरोना से लड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी गतिशील रखने की कवायदों में जुटी सरकार

कोरोना महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है, हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को इस संकट से यथासंभव बचाने की कोशिश सरकार द्वारा लगातार की जा रही है। इसके लिए कई कदम उठाए हैं और आगे भी उठाए जाने की उम्मीद है। सरकार ने विगत दिनों वंचित तबके के लोगों, मजदूरों और कामगारों को राहत देने के लिये 1.75 लाख करोड़ रूपये के पैकेज का ऐलान किया था, जिसकी एक बड़ी राशि का वितरण लाभार्थियों के बीच किया जा चुका है

कोरोना संकट में अपने सधे हुए क़दमों से स्थिति को नियंत्रित रखने में कामयाब योगी सरकार

कोरोना वायरस की महामारी की जकड़ में देश व दुनिया का हर आम व खास है। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण के हॉटस्‍पॉट को नियंत्रित करना राज्‍यों के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश के लिए यह चुनौती बढ़ जाती है क्‍योंकि यहां जिलों की संख्‍या और आबादी अन्‍य राज्‍यों की तुलना में अधिक है।

शिवराज की सक्रियता से एमपी में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित रखने में प्रभावी रहा है लॉकडाउन

कोरोना महामारी से जीतने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक उपाय है- लॉकडाउन। कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में भी लॉकडाउन प्रभावी है। आज मध्यप्रदेश में स्थितियां नियंत्रण में दिख रही हैं, तो वह इसलिए कि सरकार ने लॉकडाउन का पालन ठीक से कराया।

कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की जैम योजना से गरीबों तक आसानी से पहुँच रही मदद

भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया।

कोरोना काल में भी राष्ट्र सेवा की अपनी परंपरा को लेकर आगे बढ़ता संघ

देखा जाए तो संघ का ये इतिहास ही रहा है कि देश पर जब भी कोई बड़ी आपदा आई है, संघ के स्वयंसेवक उससे निपटने के लिए कृतसंकल्पित भाव से जुट गए हैं। फिर चाहें वो स्वतंत्रता के पश्चात् पाकिस्तान में हुए दमन से पलायन कर भारत आने वाले हिन्दुओं को आश्रय-भोजन देना हो या फिर 1962 और 1965 के युद्धों में प्रशासन के साथ मिलकर सैनिकों के लिए रसद आदि

कोरोना, संवेदना और शिवराज : राजसत्ता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की हो रही पहल

मनुष्यों की तरह सरकारों का भी भाग्य होता है। कई बार सरकारें आती हैं और सुगमता से किसी बड़ी चुनौती और संकट का सामना किए बिना अपना कार्यकाल पूरा करती हैं। कई बार ऐसा होता है कि उनके हिस्से तमाम दैवी आपदाएं, प्राकृतिक झंझावात और संकट होते हैं। इस बार सत्तारुढ़ होते ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही संकटों से दो-चार हैं।