गांधी की हत्या

बेदाग़ संघ के ऊपर दाग लगाने वालों को पड़ा सर्वोच्च अदालत का चाबुक

आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ वैचारिक स्तर पर हमले होते रहे हैं। संघ के खिलाफ नियोजित ढंग से तथ्य गढ़ने और उन्हें कुतकोर्ं से साबित कराने के लिएअलग-अलग दौर में कांग्रेस की सरकारों द्वारा भी बुद्धिजीवियों की एक बड़ी लॉबी तैयार की गयी। वामपंथी विचार वाले प्रोफेसर्स, इतिहासकार, साहित्यकार सहित तमाम लोगों द्वारा संघ के खिलाफ एक आम एका तैयार करके दशकों से संघ को बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है। वैसे तो वामपंथी विचारधारा के लेखकों द्वारा संघ पर तमाम आरोप लगाये जाते रहे हैं लेकिन उन सभी आरोपों में सर्वाधिक बार यह आरोप लगाया जाता है कि गांधी की हत्या संघ द्वारा की गयी थी।

फिर बेनकाब हुआ संघ-विरोधियों का चरित्र

याद्दाश्त पर थोड़ा जोर डालें तो विगत वर्ष कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा एक जनसभा में भाजपा पर निशाना साधते हुए यह कहा गया था कि संघ के लोगों ने महात्मा गाँधी की हत्या की और अब उसी संघ से समर्थित भाजपा द्वारा गांधी का गुणगान किया जा रहा है। उनके इस वक्तव्य से आहत होकर भिवंडी के संघ कार्यकर्ता राजेश महादेव कुंटे द्वारा उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसे खारिज करवाने के लिए वे पिछले साल मई में सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे।