गुजरात चुनाव

हार की हकीकत से मुंह चुरा रहे, राहुल गांधी !

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। पिछली बार यानी उत्‍तरप्रदेश चुनाव की तरह इस बार भी परिणाम में भाजपा का परचम लहराया और कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी। 18 दिसंबर को हुई मतगणना के दिन सुबह से पूरे देश की निगाहें आरंभिक रूझानों की तरफ थीं। जैसे-जैसे बाद के रूझान आते गए, परिणाम की तस्‍वीर साफ होने लगी। शाम तक सब कुछ स्‍पष्‍ट और घोषित हो गया।

गुजरात चुनाव : मंदिर दौड़ और जातिवादी गठजोड़ के बावजूद क्यों नहीं जीत सकी कांग्रेस ?

कांग्रेस के नवनियुक्‍त अध्‍यक्ष राहुल गांधी की मंदिर दौड़ और जातिवादी नेताओं से गठजोड़ के बावजूद कांग्रेस को गुजरात में पराजय का मुंह देखना पड़ा। 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी आज इतनी कमजोर हो गई है कि वह गुजरात में अकेले चुनाव में उतरने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाई और हार्दिक पटेल, अल्‍पेश ठाकोर, जिग्‍नेश मेवानी जैसे जातिवादी नेताओं से गठजोड़ करने पर मजबूर हुई। इसके बावजूद उसकी दाल नहीं

गुजरात चुनाव में बदल गया भारतीय राजनीति का वैचारिक धरातल

हाल ही में संपन्न हुए गुजरात चुनाव वैसे तो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में किसी राज्य के सामान्य चुनाव जैसा ही था, परन्तु एक राजनीतिक विश्लेषक की नज़र से देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि शायद ये चुनाव सामान्य नहीं था। भारतीय राजनीती के वैचारिक परिद्रश्य से तो कतई ये चुनाव सामान्य नहीं था, कभी जिनके पूर्वजों ने सोमनाथ के जीर्णोद्धार का विरोध किया था, उनके वंशज उसी सोमनाथ बाबा के सामने साष्टांग

गुजरात चुनाव में उतरा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का नकाब

भारतीय जनता पार्टी 22 साल गुजरात में सत्ता में काबिज रहने के बाद फिर से पांच साल के लिए राज्य में राज करेगी। गुजरात में भाजपा की जीत पर कभी भी संदेह नहीं था। देखा जाए तो बहस का मुद्दा यही था कि उसे पहले से थोड़े ज्यादा या कम वोट/सीट मिलेंगी या नहीं? कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के साथ ही अपने धर्मनिरपेक्षता के चोले को उतारकर फेंक दिया। गुजरात चुनाव में मुसलमानों के वोटों को पाने की कोई

गुजरात-हिमाचल में भाजपा की जीत का सबसे बड़ा श्रेय मोदी-शाह की जोड़ी को जाता है !

नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने छठी बार चुनाव जीतकर गुजरात में एक नया इतिहास बनाया है। गुजरात के अलावा भाजपा ने हिमाचल में भी दो तिहाई बहुमत हासिल करके अपना डंका बजा दिया है। देश की 135 करोड़ जनता चाहती है कि सरकार की विकासपरक नीतियां जारी रहें। स्थिति साफ़ हो गयी है कि देश का विश्वास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी नीतियों के प्रति कायम है। अगर थोड़ी कमियां हैं, तो उन्हें दूर

गुजरात चुनाव परिणाम : विकास की राजनीति के आगे चारों खाने चित हुई जातिवादी राजनीति !

हिमाचल को बचाने और गुजरात को पाने का कांग्रेसी सपना बिखर गया। उसकी झोली से एक राज्य और कम हो गया। इस बार उसकी उम्मीद बुलन्दी पर थी। जातिवादी आंदोलन के युवा नेताओं को गले लगाया। बड़े जतन से बनाई गई सेकुलर छवि में बदलाव के लिए प्रयास किए। लेकिन कोई भी नुस्खा काम नही आया। नोटबन्दी, जीएसटी, ईवीएम पर आरोप लगाने जैसे सभी अस्त्र-शस्त्र निरर्थक साबित हुए। इसका दूरगामी प्रभाव

गुजरात-हिमाचल चुनाव परिणाम : भाजपा का विकास पागल नहीं हुआ, अव्वल आया है !

गुजरात के नतीजे ऐतिहासिक रहे हैं। भाजपा का विकास पागल नहीं हुआ है, अव्वल आया है। गुजरात की जनता ने एक बार फिर जातिवाद की राजनीति के विष-बेल को उखाड़कर फेंक दिया है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही देश के सबसे बड़े नेता हैं, यह गुजरात की जनता ने साबित करके दिखाया है। अब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह नतीजे कांग्रेस को नासूर की तरह

एग्जिट पोल : गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भगवा लहराने के संकेत

गुजरात विधानसभा चुनाव में दूसरे दौर का मतदान भी पूरा हो गया। इसी के साथ गुजरात सहित हिमाचल प्रदेश, दोनों राज्‍यों के एग्जिट पोल भी सामने आ गए। ये पोल विभिन्‍न चैनलों और एजेंसियों द्वारा करवाए गए सर्वे के आधार पर जारी किए गए। इन एग्जिट पोलों का पूरे देश को बेसब्री से इंतज़ार था। जैसे ही शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे पोल के ज़रिये आरंभिक रूझान आना शुरू हुए, गुजरात और हिमाचल की पूरी तस्‍वीर साफ

कांग्रेस में राहुल राज : गुजरात चुनाव के नतीजे राहुल गांधी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होंगे !

सोमवार सुबह से ही समाचार चैनल्स ब्रेकिंग न्यूज़ चलाकर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बार-बार तस्दीक कर रहे थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में यह एक बड़ा घटना विकास था। देश के पहले प्रधानमंत्री पं। नेहरू के पनाती, इंदिरा गांधी के पौत्र, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने का हफ्ते भर से गहन विश्लेषण हो रहा था। लेकिन

राहुल गांधी का सोमनाथ मंदिर में गैर-हिन्दू के रूप में प्रवेश गलती है या राजनीति !

राहुल गांधी शायद मंदिरों का दौरा करते-करते थक गए हैं, वर्ना वो ऐसी गलती नहीं करते जैसी कि उन्होंने सोमनाथ मंदिर में की। यह एक ऐतिहासिक भूल है, जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, गुजरात के सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले राहुल गाँधी का नाम उनके साथी ने एक ऐसे रजिस्टर में लिख दिया गया जिसमें एंट्री सिर्फ गैर-हिन्दू ही करते हैं। राहुल गाँधी का