डिजिटल इंडिया

वित्तीय समावेशन से भारत में गरीब वर्ग का हो रहा कायाकल्प

आज वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में, दुनिया के कई देश, भारत को मिसाल के तौर पर देखने लगे हैं कि किस प्रकार 140 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश ने…

भारत की ‘डिजिटल क्रांति’ अन्य देशों के लिए बन रही है उदाहरण

जी-20 के डिजिटल इकॉनामी वर्किंग ग्रूप की दूसरी बैठक 17 से 19 अप्रेल के बीच हुई। इस बैठक में भारत को वैश्विक स्तर पर डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार माना गया।

सुशासन के द्वार की कुंजी है ई-गवर्नेंस

ई-गवर्नेंस यानी ईजी गवर्नेंस, इफेक्टिव गवर्नेंस, इकॉनोमिकल गवर्नेंस और इन्वायरमेंट फ्रेंडली गवर्नेंस। इसी ई-गवर्नेंस के अंतर्गत मोदी सरकार देश को…

मोदी सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को मिली वैश्विक पहचान

मोदी सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्‍तांतरण योजना (डीबीटी) एक बार फिर चर्चा में है। विश्व बैंक ने न सिर्फ मोदी सरकार की प्रशंसा की है बल्कि अन्य देशों को इससे सीखने की सलाह दी है।

ई-शासन से सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करती मोदी सरकार

देश में ई-शासन को मजबूती से स्थापित करने के लिए मोदी सरकार कमर कसके जुटी हुई है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं।

चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करता भारत

कुल मिलाकर कहने का आशय है कि भारत अब अपनी पूरी क्षमता के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के कारवां को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

यूपी में होने जा रही ई-विधान की शुरुआत, विधानसभा के कामकाज में आएगी बेहतरी

21 मई को विधायकों को ई-विधान के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नेशनल ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत यह पूरा प्रोजेक्‍ट संचालित किया जा रहा है।

डिजिटल इंडिया के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है भारत

डिजिटल इंडिया के माध्यम से किसानों को अपनी फसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने हेतु भी सक्षम बनाया जा रहा है।

ई-रूपी : डिजिटल इण्डिया के सफलता भरे सफर में एक और मील का पत्‍थर

ई-रूपी वाउचर के जरिये सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन में और अधिक पारदर्शिता आएगी, भ्रष्टाचार के रास्ते बंद होंगे और जनता को सहज-सुगम ढंग से योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।

जम्मू-कश्मीर : डिजिटल इंडिया की कामयाबी का नतीजा है ‘दरबार मूव’ पर रोक

दस्‍तावेजों के डिजिटल होने से सबसे ज्‍यादा परेशानी कांग्रेसी सिस्‍टम में पले-बढ़े उन लोगों को हो रही है जिनकी रोजी-रोटी कागजी रिकॉडों के हेर-फेर से चलती थी।