दक्षिणपंथ

दक्षिणपंथी साहित्यकारों के साथ अपना नाम देखते ही भड़क गईं कॉमरेड कृष्णा सोबती, खुली वामपंथी सहिष्णुता की पोल!

बौद्धिक आतंकवाद शब्द पर पिछले लंबे समय से मीडिया और समानान्तर सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। इस विषय में अभी तक अपनी कोई राय नहीं बना पाया हूं, लेकिन बौद्धिक सवर्णवाद को लेकर अब अपनी एक धारणा बन गई है। इस देश का कम्यूनिस्ट तबका खुद को बौद्धिक सवर्ण समझता है और राष्ट्रवादी विचारकों को जिसे आजकल दक्षिणपंथी कहने का चलन है, अछूत समझता है।

कुतर्कों की बुनियाद पर टिका वामपंथी बुद्धिजीवियों का विलासी-विमर्श

हिटलर के प्रचारक गोयबेल्स ने ये उक्ति यूँ ही नहीं कही होगी कि अगर किसी झूठ को सौ बार बोला जाय तो सामने वाले को वो झूठ भी सच लगने लगता है। भारत के संदर्भ में अगर देखा जाय तो आज ये उक्ति काफी सटीक नजर आती है। भारतीय राजनीति एवं समाज के विमर्शों में दो ऐसे शब्दों का बहुतायत प्रयोग मिलता है, जिनकी बुनियाद ही कुतर्कों और झूठ की लफ्फाजियों पर टिकी हुई है। ये दो शब्द हैं दक्षिणपंथ एवं फासीवाद।