दिल्ली

इनोवेशन के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा भारत, वैश्विक रैंकिंग में फिर आई उछाल

जीआईआई रैंकिंग में 4 पायदान का सुधार करके भारत मध्य और दक्षिण एशिया में नवोन्मेष के मामले में पहले स्थान पर काबिज हो गया है।

कोरोना संकट : अमित शाह के कुशल प्रबंधन से संभलने लगे दिल्ली के हालात

जून में जिस तरह से मामलों में बढ़ोत्‍तरी हो रही थी, उसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि जुलाई के अंत तक आंकड़े साढ़े 5 लाख के पार जा सकते हैं। लेकिन प्रशासन अमित शाह के हाथ में आते ही आंकड़ों का ग्राफ संभलता दिखने लगा।

श्रमिक हितों के लिए ‘आपदा काल’ में भी मोदी सरकार का कामकाज ‘आदर्श’ रहा है

सिर्फ विपक्ष ही नहीं, मीडिया के एक ख़ास धड़े ने भी पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों की कब्र खोदते हुए श्रमिकों के पलायन पर बेहद गैरजिम्मेदाराना रुख दिखाया।

दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य की नहीं, केवल विज्ञापन की क्रांति हुई है – कपिल मिश्रा

नेशनलिस्ट ऑनलाइन से बातचीत के दौरान युवा भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार की विफलताओं को तथ्यों-तर्कों के साथ रेखांकित किया, वहीं अमित शाह द्वारा लिए गए निर्णयों को दिल्ली की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया।

हेमचन्द्र विक्रमादित्य : जिन्होंने बर्बर मध्यकाल में 22 लड़ाइयाँ जीतीं और दिल्ली के सम्राट भी बने

आज के दिल्ली का कुतुब मीनार क्षेत्र तुग़लकाबाद – 7 अक्टूबर 1556 को हेम चंद्र विक्रमादित्य के नाम से प्रसिद्ध हेमू विक्रमादित्य और तार्दी बेग खान के नेतृत्व में मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच लड़ी गई एक उल्लेखनीय लड़ाई का मेजबान बन गया।

क्यों दिल्ली से मुंबई तक पलायन के नामपर जुटी भीड़ के पीछे साज़िश प्रतीत होती है?

पहले दिल्ली, अब मुंबई, फिर सूरत, उसके बाद ठाणे, इन सभी जगहों पर लगभग एक जैसे पैटर्न, एक जैसे प्रयोग; एक जैसी बातें, एक जैसी तस्वीरें देखने को मिली हैं। सवाल यह भी कि क्या भूख, बेरोजगारी या लाचारी का हौव्वा खड़ा कर रातों-रात ऐसी भीड़ एकत्रित की जा सकती है? स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी भीड़ के पीछे कुछ संगठनों और चेहरों की भूमिका की संभावनाओं को निराधार और निर्मूल नहीं सिद्ध किया जा सकता

मोदी सरकार ने किया दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के विकास का रास्ता साफ़

यदि हम बीते दो दशकों का दौर देखें तो दिल्ली में डेढ़ दशक तक कांग्रेस का शासन रहा, उसके बाद गत 5 वर्षों से आम आदमी पार्टी सत्‍ता में है। इसके बावजूद दोनों दलों ने अनाधिकृत कॉलोनियों की दिशा में ना कुछ सोचा, ना किया। अब जब मोदी सरकार ने यह बीड़ा उठाया है तो केजरीवाल इसका श्रेय लेने की कोशिश में जुट गए हैं।

सिर्फ दिल्ली के पानी का सैम्पल ही फेल नहीं हुआ, दिल्ली की सरकार भी फेल हो चुकी है

राजधानी नई दिल्‍ली में इन दिनों पानी को लेकर खासा घमासान मचा है।  असल में, पिछले दिनों केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्‍ता मंत्रालय ने देश भर के 20 राज्‍यों को लेकर एक रैंकिंग जारी की थी। इसमें केवल राजधानियों के पानी की गुणवत्‍ता की जांच का हवाला था। दिल्‍ली का पानी इसमें सर्वाधिक प्रदूषित पाया गया। दिल्‍ली से जो 11 सैंपल लिए गए थे, वे सारे सैंपल 19 तय मापदंडों

गठबंधन के लिए कांग्रेस के आगे घुटने क्यों टेक दिए हैं केजरीवाल?

राजनीति बदलने का दावा कर सत्ता तक का सफर तय करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीति को तो नहीं बदल पाए, लेकिन खुद जरूर बदल गए हैं। आज केजरीवाल अपनी कही हर बात से पलटते हुए नज़र आ रहें है। हैरत इस बात की भी है कि जो केजरीवाल कभी किसी दल से  गठबंधन नहीं करने की कसमें खाते थे, आज कांग्रेस के समक्ष घुटने टेक दिए हैं

वैचारिक प्रतिबद्धताओं को छोड़ किसी भी तरह सत्ता बचाने की जुगत में जुटे केजरीवाल

भारत और पाकिस्‍तान के बीच जारी तनाव को देखते हुए भले ही दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने अनशन कार्यक्रम को स्‍थगित कर दिया हो, लेकिन उन्होंने अपनी सिकुड़ती राजनीतिक जमीन को संभालने के लिए कांग्रेस से गठबंधन की आस नहीं छोड़ी है।