निकाय चुनाव

चिंताजनक है यूपी निकाय चुनावों में एमआइएम का राजनीतिक उभार

उत्‍तर प्रदेश स्‍थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत से यह साबित हो गया कि प्रदेश की जनता अब जातिवादी राजनीति से तौबा कर चुकी है; लेकिन इन चुनावी नतीजों ने भारतीय राष्‍ट्र-राज्‍य के लिए एक नए खतरे का भी आगाज किया है जिसका विश्‍लेषण जरूरी है। स्‍थानीय निकाय चुनाव के घोषित नतीजों में हैदराबाद की घोर सांप्रदायिक पार्टी मजलिस-ए-इत्‍तेहादुल मुस्‍लिमीन (एमआइएम) ने 29 सीटों पर

स्थानीय निकायों में मजबूत होती भाजपा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं । राजनीतिक विश्लेषक इस चुनाव के नतीजे को लेकर तरह-तरह का आंकलन कर रहे हैं । बौद्धिक जुगाली के लिए हर तरह के जातिगत और अन्य आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है । भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का लंबे समय से विरोध करनेवाले व्यक्ति और संस्थाएं भी इस बात पर एकमत दिखती हैं कि उत्तर प्रदेश में भारतीय

उड़ीसा और महाराष्ट्र निकाय चुनावों में भी नोटबंदी पर लगी जनता की मुहर

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार को गरीब विरोधी सरकार बताने वाली कांग्रेस पार्टीं का वजूद धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के नक़्शे में सिमटता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपाध्यक्ष अमित शाह की ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात सही साबित होती नज़र आ रही है। नोटबंदी जैसे काले धन को ख़त्म करने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले कदम को गरीब और किसान विरोधी बताकर कांग्रेस व अन्य विपक्षी

चंडीगढ़ निकाय चुनाव : भाजपा की चली आंधी, जनता ने दिखाया विपक्षी दलों को आईना

हाल ही में पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में निकाय चुनावों के परिणाम आये। इन चुनावों में जनता ने भाजपा को ऐतिहासिक रूप से विजयी बनाया है। चंडीगढ़ निकाय के कुल 26 वार्डों में से 22 वार्डों में भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 20 में उसे जोरदार जीत हासिल हुई है। भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ एक सीट हाथ लगी, वहीँ पिछली बार के चुनावों में ११ सीटें जीतने वाली कांग्रेस

निकाय चुनावों में भाजपा की इस बम्पर जीत के बाद तो नोटबंदी के विरोध की राजनीति बंद करें विपक्षी!

वैसे तो हर चुनाव का मुद्दा और कलेवर अलग होता है। उसमे भी स्थानीय निकाय और नगर पंचायत चुनावों का मुद्दा पूर्णतया स्थानीय होता है। परंतु पिछले दिनों महाराष्ट्र और गुजरात मे निकाय चुनाव का आयोजन विमुद्रीकरण के साए में हुआ जहां पर अन्य स्थानीय मुद्दों के अलावा विमुद्रीकरण चुनाव में बड़ा मुद्दा था और हर पार्टी इस मुद्दे को भुनाने में लगी थी। इस चुनाव मे भाजपा ने भारी जीत दर्ज की जिसे प्रधानमंत्री

नोटबंदी पर जनसमर्थन की सूचक है निकाय चुनावों में भाजपा की जीत

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 8 नवम्बर को पांच सौ और हजार के नोटों पर प्रतिबन्ध का ऐलान करने के बाद से इस निर्णय को लेकर राजनीतिक गलियारों में हो-हल्ला मचा हुआ है। विपक्ष द्वारा लगातार सरकार के इस निर्णय को जनता को परेशान करने वाला बताया जा रहा है। नोटबंदी पर जनता का मिजाज़ मांपने के लिए तमाम मीडिया संस्थानों द्वारा सर्वेक्षण भी किए गए, जिनमें इसके प्रति लोगों का समर्थन ही सामने आया।

निकाय चुनाव: नोटबंदी के निर्णय पर जनता की मुहर

आठ नवंबर को रात आठ बजे राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद होने का फैसला सुनाकर सबको चौंका दिया था। इस बात को अब बीस दिन से ज्यादा हो गए हैं लेकिन आज भी यह विमर्श का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। हालांकि विमुद्रीकरण के फैसले के बाद से ही इसके पक्ष-विपक्ष में बहस शुरू हो गयी, जो अब भी चल रही है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस,