बिहार सरकार

मूछ-दाढ़ी की बचकाना दलीलों की बजाय आरोपों का तथ्यात्मक जवाब दे, लालू परिवार !

लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें इन दिनों बढ़ी हुई हैं। यूँ तो लालू पहले से ही चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और जमानत पर घूम रहे हैं। लेकिन, अब उनसे लेकर उनके परिवार के सदस्यों तक के खिलाफ एक के बाद एक आरोप जिस तरह से सामने आए हैं तथा सरकारी एजेंसियों द्वारा उनपर कार्रवाई हुई है, उससे साफ़ ज़ाहिर है कि लालू की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। शायद समय आ गया है कि उन्हें अपने पूरे कच्चे-

लालू यादव बताएं कि ये हजार करोड़ की संपत्ति कमाने के लिए उन्होंने कौन सी ‘मेहनत’ की है ?

लालू के परिवार के सदस्यों की संपत्ति अगर आयकर विभाग स्थाई तौर पर जब्त कर ले तो वे बिहार के ऐसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री होंगे जिन पर बेनामी संपत्ति कानून के तहत कार्रवाई होगी। पर, लालू इससे भी शर्मसार होने वाले नहीं हैं। लालू एक अजीब नेता हैं। वे अमीरों पर बरसते हुए खुद धन्नासेठ हो गए। याद नहीं आता कि लालू एंड फैमिली ने बिहार के अवाम का दुख-दर्द दूर करने के लिए भी कोई बड़ी पहल की हो।

लालू पर लगे भ्रष्टाचार के ताज़ा आरोपों के बाद क्या सोच रहे होंगे नीतीश ?

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव और उनके बेटे बेटियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई। आरोप है कि उनके रेल मंत्री रहते हजार करोड़ रुपए के आसपास बेनामी संपत्ति उनके बेटों और बेटियों के नाम पर की गईं। यह तो जांच के बाद साफ हो पाएगा कि इन आरोपों में कितना दम है, लेकिन लालू यादव एक बार फिर से भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं। पटना में अस्सी लाख की मिट्टी खरीद का आरोप

जब लालू यादव ने इंद्र कुमार गुजराल को अपने कमरे से बाहर निकाल दिया !

लालू यादव, एक जमाने में सामाजिक न्याय के मसीहा के तौर पर उभरे और जब रथयात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार किया गया तो उसके बाद से धर्म निरपेक्षता के भी चैंपियन माने जाने लगे । बिहार पर परोक्ष-प्रत्यक्ष रूप से करीब एक दशक से ज्यादा वक्त तक शासन किया । सामाजिक न्याय के उस दौर में मतदाताओं ने लालू यादव को अपार राजनीतिक ताकत दे दी थी । लालू यादव कहा भी करते थे कि