मालदा

क्या देश का नेता बनने का सपना देख रहीं ममता की जमीन पश्चिम बंगाल में ही खिसक रही है?

बीते सप्‍ताह देश की राजनीति में कुछ विचित्र प्रकार की घटनाएं सामने आईं। बीते रविवार पश्चिम बंगाल में समूचा विपक्ष एकजुट हुआ और ममता बनर्जी की अगुवाई में जी भरकर सत्‍ता पक्ष के प्रति विष वमन किया गया। यहां ममता बनर्जी सहित सभी विपक्षियों ने जी भरकर लोकतांत्रिक मूल्‍यों की दुहाई दी लेकिन आश्‍चर्य की बात है कि इन्‍हें स्‍वयं ही लोकतंत्र का वास्‍तविक अर्थ व परिभाषा ज्ञात नहीं है।

भाजपा के प्रति ममता का ये अंधविरोध खुद उन्हें ही नुकसान पहुंचाएगा !

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा के प्रति विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से गत वर्ष हुई नवम्बर में हुई नोटबंदी के बाद से तो उनका भाजपा विरोध घृणा के स्तर तक पहुँचता नज़र आ रहा है। भाजपा के प्रति वे अपने विरोध को जिस-तिस प्रकार से जाहिर करती रहती हैं। अब उन्होंने घोषणा की है कि आगामी 9 अगस्त से वे ‘बीजेपी भारत छोड़ो’ नामक

बंगाल हिंसा : इखलाक और जुनैद पर आंसू बहाने वाले कार्तिक घोष पर सन्नाटा क्यों मारे हुए हैं ?

कार्तिक घोष न तो जुनैद बन पाया और न ही अखलाक। कार्तिक के लिए तथाकथित सेकुलरों से लेकर स्वघोषित मानवाधिकारवादियों ने जंतर-मंतर पर जाकर कैंडिल मार्च भी नहीं निकाला। बता दें कि पश्चिम बंगाल के 24 परगना में बीते दिनों भड़की खूनी सांप्रदायिक हिंसा में कार्तिक को अपनी जान गंवानी पड़ी। ये देश के सेकुलरानों का मिजाज है। कोई हिन्दू मारा जाए तो उफ तक न करो। कोई मुसलमान भीड़ का शिकार हो तो