राजद

बिहार में अपनी छवि गँवा चुके नीतीश किस आधार पर देश में विपक्षी एकता की संभावना तलाश रहे हैं ?

अब नीतीश देश में विपक्षी एकता की गुहार लगाते घूम रहे हैं। तेजस्वी के साथ वह दर-दर भटक रहे हैं। इनके राजनीतिक सपने तो हसीन हैं, लेकिन वास्तविकता से दूर हैं।

बिहार चुनाव ने सिद्ध किया कि देशहित की राजनीति को ही मिलेगा जनसमर्थन

बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि देश की राजनीति राजनेताओं के वोट कबाड़ने वाले हथकंडों से उबरने का प्रयत्न कर रही है।

बिहार चुनाव : राजग के पास विकास का मुद्दा है, जबकि राजद अपने शासन का नाम भी नहीं ले रहा

भाजपा व जेडीयू दोनों सुशासन को महत्व देने वाले दल हैं, जबकि राजद व कांग्रेस के काम करने का अलग तरीका है। इन दोनों दलों को विकास से कोई मतलब नहीं।

लोकलुभावन चुनावी वादे करने वाले तेजस्‍वी यादव अतीत को भुला बैठे हैं

नीतीश कुमार के शासनकाल को जंगलराज करार देते हुए राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव चुनावी वादों की बरसात कर रहे हैं। 

‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल

बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।

भ्रामक ‘तस्वीरों’ के जरिये भीड़ बढ़ाकर भाजपा को भगाने निकले हैं, लालू यादव !

27 अगस्त, 2017 को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की अगुआई में पटना के प्रसिद्ध गाँधी मैदान में “भाजपा भगाओ, देश बचाओ” रैली आयोजित की गई, जिसमें जदयू के बागी नेता शरद यादव, कांग्रेस, तृणमूल, समाजवादी पार्टी, भाकपा, राकांपा समेत कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए। रैली का मकसद था नीतीश कुमार और भाजपा पर निशाना साधना। लालू खेमे द्वारा इस रैली को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर और सफल बताया जा रहा