राजनीति

राजनीति के आदर्श प्रतिमान हैं श्रीकृष्ण

नए निर्माण के पथ में आने वाले प्रत्येक अवरोध को, चाहे वह कितना भी प्रतिष्ठित क्यों न हो; हटाना ही होगा। यही श्रीकृष्ण की राजनीति का मूलमंत्र है।

ये भारतीय राजनीति में महिला सशक्तिकरण का स्वर्णिम काल है!

इस बार भारतीय जनता पार्टी का महिला मोर्चा एक ऐसे देशव्यापी अभियान के साथ आगे आया है जो निश्चित तौर पर सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं की भूमिका को बदल देने वाला सिद्ध हो सकता है।

नेहरू से राहुल तक मुस्लिम तुष्टिकरण को समर्पित रही है कांग्रेस!

आजादी के बाद देश में जिस मुस्‍लिम तुष्टिकरण की नीति की बीजवपन हुआ वह आगे चलकर वटवृक्ष बन गया। भारत दुनिया का इकलौता देश बना जहां बहुसंख्‍यकों के हितों की कीमत पर अल्‍पसंख्‍यकों को वरीयता दी गई। कांग्रेसी तुष्टिकरण का पहला नमूना आजादी के तुरंत बाद देखने को मिला जब देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने गुलामी के पहले कलंक (सोमनाथ मंदिर के ध्‍वस्‍तीकरण) को मिटाने के लिए भव्‍य सोमनाथ मंदिर बनाने की पहल की।

राहुल गांधी की ‘भक्ति’ चुनावों के मौसम में ही क्यों जागती है?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पार्टी को चुनावों में जीत भले न दिलवा पा रहे हों, लेकिन अपनी गतिविधियों से चर्चा में जरूर बने रहते हैं। इन दिनों वे अपनी ‘शिव भक्ति’ को लेकर सुर्ख़ियों में हैं। अभी हाल ही में वे कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए थे, जिसके बाद से ही उनकी ‘भक्ति’ को लेकर राजनीतिक गलियारों का तापमान बढ़ा हुआ है। कांग्रेस जहां इसे राहुल की निश्छल

केरल की बाढ़ का एक बड़ा कारण कांग्रेस और वामपंथियों की वोट बैंक की राजनीति भी है!

केरल में आई भीषण बाढ़ का एक कनेक्‍शन तुष्टिकरण की राजनीति से भी जुड़ा है जिसकी ओर बहुत कम लोगों का ध्‍यान जा रहा है। केरल का सबसे बड़ा चर्च है सायरो-मालाबा कैथोलिक चर्च। केरल के पश्‍चिमी घाट पर रहने वाले ज्‍यादातर ईसाई इसी से जुड़े हैं और इनके बड़े-बड़े बागान हैं। इस चर्च ने 2013 में कम्‍युनिस्‍टों के साथ मिलकर गाडगिल समिति की सिफारिशों के

बलात्कार के मामलों में भी इतना दोहरा रवैया कैसे दिखा लेते हैं, मिस्टर सेकुलर?

देश में इन दिनों कठुआ नाम छाया हुआ है। जम्‍मू संभाग के कठुआ के एक गांव में 8 वर्षीय बच्‍ची से दुष्‍कर्म एवं हत्‍या की खबर सामने आई और उसके मामला तूल पकड़ गया। यहां गौर करने योग्‍य बात यह है कि बच्‍ची नाम असिफा है, इसलिए विरोध और आक्रोश जताने के खेल में बॉलीवुड, बुद्धिजीवी, सेकुलर आदि गिरोह पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गए हैं। बहुत हैरत की बात है कि जिस समय कठुआ की खबर

पकौड़ा प्रकरण : क्या देश के सभी छोटे व्यवसायी भीख मांग रहे हैं, चिदंबरम साहब !

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने चाय बेचने को लेकर मजाक बनाया था। इसके बाद कांग्रेस खुद मजाक बन गई थी। इस बार उसने पकौड़े पर मजाक बनाया है। कांग्रेस का राजनीतिक स्तर तो गिरा हुआ है ही, विरोध का यह तरीका कांग्रेस के वैचारिक स्तर को भी गिराता है। इसका लाभ नहीं, नुकसान ही होता है। बात नरेंद्र मोदी या भाजपा तक सीमित हो तो उस पर आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन, ऐसे बयानों में देश

इन तथ्यों से साफ हो जाता है कि राजनीति की उपज है मध्य प्रदेश का किसान आंदोलन !

यह एक हद तक सही है कि देश में किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह अचानक देश के कई हिस्‍सों में किसानों का आंदोलन उठ खड़ा हुआ, उससे 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय हुए पुरस्कार वापसी गिरोह की याद ताजा हो उठी। बाद में किसानों को आंदोलन के लिए भड़काने, सड़कों पर दूध बहाने से लेकर सब्‍जी फेंकने तक में कांग्रेसी नेताओं की संलिप्‍तता के ऑडियो-वीडियो

सूर्यास्त की ओर बढ़ती वामपंथी राजनीति

हर मुद्दे पर सिद्धांतवादी राजनीति का ढिंढोरा पीटने वाली वामपंथी राजनीति की असलियत उजागर करने वाले उदाहरणों की कमी नहीं है। ताजा मामला केरल की भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (सीपीआई) नेता एमएस गीता गोपी की बेटी की शादी का है, जिसमें सोने के गहनों से लदी उनकी बेटी की तस्‍वीर चर्चा का विषय बनी। क्‍या इतनी वैभवपूर्ण शादी सिद्धांतवादी राजनीति करने वाली पार्टी का कोई नेता बिना भ्रष्‍टाचार किए कर लेगा?

क्या है भाजपा की लगातार बढ़ रही लोकप्रियता का कारण ?

वर्तमान में देश के लिए भाजपा एक आदर्श सत्तारूढ़ दल है जो अपनी सकारात्मक और तरक्की पंसद सोच के जरिये देश को विकास की राह में आगे बढ़ा रहा है। यही कारण है कि केंद्र में तीन साल की सत्ता के बावजूद भाजपा-नीत नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता में कमी आने की बजाय लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। भाजपा को लगातार चुनावों में मिल रही बम्पर विजय इसीका उदाहरण है। फिलहाल