शिकागो सम्मेलन

भगिनी निवेदिता : मार्गरेट नोबल से निवेदिता तक की यात्रा

स्वामीजी द्वारा बताई गयी सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए मार्गरेट नोबेल 28 जनवरी,1898 को अपना परिवार, देश, नाम, यश छोड़कर भारत आती हैंI

‘यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें’

स्वामी विवेकानंद और उनके शब्द, ज्ञान और जीवन के व्यावहारिक पाठों से इतने समृद्ध थे कि प्रसिद्ध विद्वान और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था “यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें। उनमें, सब कुछ सकारात्मक है और कुछ भी नकारात्मक नहीं है”।